Thursday, February 7, 2019

शिक्षा के अधिकार पे डाका; नहीं सहेंगे-नहीं सहेंगे

शिक्षा के बाजारीकरण पर विशेष सेमिनार 10 फरवरी को लुधियाना में 
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लुधियाना: 7 फरवरी 2019: (कार्तिका सिंह//शिक्षा स्क्रीन):: आयोजन कर्ता: AISF
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देश में सबसे बड़ी डकैती छात्र वर्ग के अधिकारों पर डाली जा रही है। सबसे बड़ी जालसाज़ी युवा वर्ग के साथ हो रही है। सबसे बड़ा धोखा देश के भविष्य के साथ किया जा रहा है। युवाओं और छात्र-छात्राओं से शिक्षा का अधिकार पूरी तरह से छीना जा रहा है। धीरे धीरे और बहुत ही ख़ामोशी के साथ देश का आधार ही खोखला किया जा रहा है। शिक्षा को चंद अमीरों की जागीर बनाया जा रहा है तांकि गरीब तो क्या मध्यम वर्ग का कोई बच्चा भी कल को देश के भविष्य निर्माण में सहभागी न बन सके। विकास के खोखले दावों के बीच युवा वर्ग को थमाया जा रहा है हर रोज़ बड़े से बड़े इंटरनेट पैक का लॉलीपॉप तांकि वे मोबाइल पर उलझे रहें और इसी नशे में वास्तविक शिक्षा से दूर हो जाएं।  
यह सूक्ष्म और साज़िशी चालें आज हमारे सामने बहुत बड़ी चुनौतियाँ हैं। अगर शिक्षा का अधिकार ही छिन  गया तो बाकी कुछ छीनने के लिए किसी भी देश दुश्मन को कोई बड़ा प्रयास नहीं करना पड़ेगा। इस लिए इन साज़िशों को समझना आवश्यक है तांकि इन चुनौतियों का सामना सफलता से किया जा सके। 
अंधविश्वास से पंगु हो रहा समाज:Courtesy Pic
लगातार महंगी हो रही शिक्षा किसी डकैती से कम नहीं। सिलेबस में इतिहास को तोड़ मरोड़ कर दिखाया जाना किसी जालसाज़ी से काम नहीं। गुरुओं, पीरों, पैगंबरों और शहीद भगत सिंह जैसे वीरों के विचारों से दूर करना ही मुख्य मकसद है आज के इंटरनेट पैक्स का। किताबें महंगी हो रही हैं, फीसें महंगी हो रही हैं, स्कूल कालेज तक पहुंचने के किराये महंगे हो रहे हैं, खाने पीने का भोजन तक भी महंगा हो रहा  है लेकिन इंटरनेट सस्ता हो रहा है। इस सब कुछ को गहरायी से समझना आवश्यक है। 
अध्यापकों को मिड डे मील जैसे गैर शिक्षा के कामों में उलझाना और वेतन मांगने पर लाठी-गोली दिखाना भी इसी साज़िश का हिस्सा है। अगर हम नहीं समझे तो पूरा समाज खतरे में है। 
अगर आप को खुद से प्रेम है, अपने भविष्य से प्रेम है, अपने परिवार, समाज और देश से प्रेम है तो मौजूदा खतरों पर चर्चा करके कोई ठोस कदम उठाना ही होगा। इस का सुअवसर आपको मिल रहा है 10 फरवरी रविवार को। इन सभी आवश्यक बातों पर सेमिनार का आयोजन किया जा रहा है अगस्त 1936  में बने छात्र संगठन आल इण्डिया स्टूडेंटस फेडरेशन अर्थात ए आई एस एफ की तरफ से। शिक्षा के इस सेमिनार का स्थान है लुधियाना के नए बस अडडे के नज़दीक बस्ती अब्दुल्ला/ इंद्रा नगर में स्थित शहीद करनैल सिंह ईसड़ू भवन में। 
अध्यापकों पर सख्ती भी इसी साजिश का हिस्सा है: देखिये बठिंडा में पुलिस एक्शन की तस्वीर:साभार: अमर उजाला  
आयोजनकर्ताओं में ए आई एस एफ के दीपक कुमार, सौरव यादव, राजीव और ललित कुमार भी शामिल हैं। बोलने का मौका आप सभी को मिलेगा। वक्ताओं में कुछ लोग अन्य स्थानों से भी सम्भव हैं। 
सेमिनार में उठने वाले मुद्दों में प्रमुख मुद्दा होगा शिक्षा के बाज़ारीकरण को बंद करने की मांग। सरकारी शिक्षा संस्थानों में आधुनिक सुविधाएँ प्रदान करने की मांग। शिक्षा का सुअवसर हर किसी तक पहुँचाने  की मांग। शिक्षा में से अंध विश्वास की रोकथाम करके उसे शुद्ध वैज्ञानिक बनाने की मांग। शिक्षा की फीसें और किताबों की कीमतों को आम इंसान की पहुँच में लाने की मांग। 
अगर आप अध्यापक हैं तो भी आपका इस सेमिनार में स्वागत होगा और अगर आप छात्र हैं तो भी आपको अपनी बात कहने का मौका मिलेगा। चुनाव नज़दीक है। सभी दलों को अपने इस मौलिक अधिकार की बात से खुल कर अवगत करवाओ। जिन जिन लोगों ने भी शिक्षा के इस अधिकार पर बुरी नज़र डाली है उनका लिहाज़ मत करो।  उन्हें बेनकाब करने में कोई कसर मत छोडो। यह अपने भविष्य को बचाने  की जंग है इसे लड़े बिना अब कोई गुज़ारा भी नहीं।  कभी जानेमाने शायर दुष्यंत कुमार ने अपनी एक काव्य रचना में व्यंग्य करते हुए कहा था:
भूख है तो सब्र कर रोटी नहीं तो क्या हुआ 
आजकल दिल्ली में है ज़ेर-ए-बहस ये मुदद्आ।  
आज भी शिक्षा के अधिकारों की बात करने पर कुछ इसी तरह लटकनबाज़ी लगाई जाती है लेकिन हमें खुद दिल्ली चलने को तैयार रहना होगा। शिक्षा का अधिकार हमारा मौलिक अधिकार है हम इसे नहीं छीनने नहीं देंगें।