Sunday, May 24, 2020

PU इस वर्ष छात्रों से कोई बढ़ा हुआ शुल्क न ले-नरेश गौड़

24th May 2020 at 4:47 PM
शुल्क बढ़ोतरी पर फैसला होना है 30 मई को सिंडिकेट बैठक में 
लुधियाना: 24 मई 2020: (एजुकेशन स्क्रीन ब्यूरो):: 
2020-21 के शैक्षणिक सत्र में नए प्रवेशकों के लिए आज के अखबारों में सिंडिकेट पंजाब यूनिवर्सिटी (पीयू) द्वारा दिए गए बयान  में,  स्व वित्तपोषित पाठ्यक्रमों पर 7.5% शुल्क और पारंपरिक पाठ्यक्रमों के लिए 5% की बढ़ोतरी के संबंध में जिसका निर्णय  30 मई, 2020 को होने वाली सिंडिकेट की बैठक में लिया जाएगा, के जवाब में, श्री नरेश गौड़, सदस्य सीनेट पंजाब विश्वविद्यालय, जो छात्रों के साथ-साथ शिक्षकों के लिए भी आवाज उठाने में हमेशा सबसे आगे रहते है, ने अपने पत्र में वाइस चांसलर पीयू से उनके दृष्टिकोण पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया है।

उन्होंने कहा, पोस्ट COVID 19 स्थिति को ध्यान में रखते हुए, जहां पंजाब सरकार ने स्कूलों को निर्देश दिया है कि वे इस वर्ष छात्रों से कोई बढ़ा हुआ शुल्क न लें। वह वाइस चांसलर से अनुरोध करते है कि इस संबंध में एक धर्मार्थ स्वभाव होना चाहिए कि स्व वित्तपोषित और पारंपरिक पाठ्यक्रमों के लिए शुल्क में  भी कोई वृद्धि नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि पीयू उन अनगिनत छात्रों के लिए शिक्षा भी प्रदान कर रहा है जो समाज के कमजोर वर्ग से आते हैं, वह समाज जिसने COVID 19 महामारी का खामियाजा किसी और से ज्यादा उठाया है। जहां इन परिवारों के लिए दिन में 2 बार भोजन की व्यवस्था करना मुश्किल हो गया है, वे अपने बच्चों की शिक्षा के लिए बढ़ी हुई फीस जमा करने के बोझ से कैसे निपट सकते हैं? एक वाक्यांश का उपयोग करते हुए, "यूथ इज द फ्यूचर ऑफ नेशन" उन्होंने कहा, अगर हम पीयू एक प्रतिष्ठित संस्थान होने के नाते इस कठिन समय में उनके साथ नहीं खड़े हो सकते हैं तो कौन करेगा?

श्री। नरेश गौड़ ने कहा, उनका दृढ़ विश्वास है कि इस संबंध में नेतृत्व करने से हमारा विश्वविद्यालय न केवल अपने सामाजिक सद्भाव को बढ़ाएगा, बल्कि साथ ही पहले से ही बोझ तले दबे हुवे अनगिनत परिवारों के दुखों को कम करेगा।

Tuesday, May 19, 2020

पंजाब में मेडिकल शिक्षा की फ़ीसों में समानता हो-सोनी

 अब MD/ MS (क्लिनिकल) कोर्सों के लिए 6.50 लाख सालाना होगी  
चंडीगढ़: 19 मई 2020: (एजुकेशन स्क्रीन ब्यूरो)::
पंजाब राज्य में स्थित सभी सरकारी और निजी मैडीकल कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में डॉक्टरी की पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों की फ़ीसों में समानता लाने के मकसद से आज डॉक्टरी शिक्षा एवं अनुसंधान विभाग द्वारा साल 2020 में जारी नोटिफिकेशन नंबर 5/26/2016-5 एच.बी. 3/1121 में आंशिक संशोधन कर दिया गया है, जिस सम्बन्धी आज संशोधन पत्र जारी कर दिया गया। यह जानकारी आज यहाँ पंजाब के डॉक्टरी शिक्षा एवं अनुसंधान संबंधी मंत्री श्री ओम प्रकाश सोनी ने दी।

श्री सोनी ने बताया कि निजी मैडीकल कॉलेजों और विश्वविद्यालयों द्वारा राज्य में फीस सम्बन्धी लागू *2015 में लागू की गईं फ़ीसों से बहुत ज़्यादा फीस ली जा रही थी, हालात यह थे कि आदेश यूनिवर्सिटी द्वारा एम.डी. करने वाले विद्यार्थियों से 6.50 लाख रुपए सालाना फीस लेने की बजाय 16.50 लाख रुपए फीस ली जा रही थी। जिस कारण डॉक्टरी की शिक्षा हासिल करने के इच्छुक विद्यार्थियों पर बहुत ज़्यादा आर्थिक बोझ पड़ता था।

उन्होंने कहा कि विभाग की जि़म्मेदारी संभालने के बाद उनके ध्यान में यह मामला आया था, जो कि उनको बिल्कुल भी तर्कसंगत नहीं लगा। इसके बाद उन्होंने इस मामले को निजी रूचि लेकर हल करने के लिए यत्न आरंभ कर दिए, जिससे डॉक्टरी शिक्षा हासिल करने के इच्छुक विद्यार्थियों पर पडऩे वाले इस आर्थिक बोझ को ख़त्म करके फ़ीसों में समानता लाई जा सके। अब इस सम्बन्धी अपेक्षित कार्यवाही अमल में लाने के बाद आज फ़ीसों में समानता लाने के लिए संशोधन पत्र जारी कर दिया गया है।

डॉक्टरी शिक्षा एवं अनुसंधान संबंधी मंत्री ने कहा कि अब दयानन्द मैडीकल कॉलेज लुधियाना, क्रिसचन मैडीकल कॉलेज लुधियाना और क्रिसचन डैंटल कॉलेज लुधियाना, श्री गुरु रामदास यूनिवर्सिटी ऑफ हैल्थ साइंसेज़ अमृतसर, देश भगत यूनिवर्सिटी और आदेश यूनिवर्सिटी बठिंडा में अब एम.डी / एम.एस. (क्लिनिकल) कोर्सों के लिए फीस 6.50 लाख सालाना होगी, जबकि एन.आर.आई. कोटे की सीट के लिए इस पूरे कोर्स की फीस 1 लाख 25 हज़ार अमरीकी डॉलर है। 

श्री सोनी ने बताया कि पिछली अकाली-भाजपा सरकार द्वारा इस मामले पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं दिया गया और आप द्वारा इस सम्बन्धी कभी भी विधान सभा में मुद्दा नहीं उठाया गया। इन पार्टियों के नेताओं ने न ही कभी उनके साथ इस बारे में बात की। अब जब संशोधन पत्र जारी हो गया है तो इन पार्टियों के नेता अपनी राजनीति चमकाने के लिए दिखावे के लिए बयानबाज़ी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जिस मामले में सरकार की विरोधी पार्टियों को सराहना करनी चाहिए, उस मामले पर बेकार की बयानबाज़ी करके अपनी राजनैतिक रोटियाँ सेकी जा रही हैं, जिससे लोगों को बहकाया जा सके, परन्तु लोग अब बहुत समझदार हो चुके हैं और वह ऐसे नेताओं की झूठी बातों में नहीं आऐंगे। उन्होंने विरोधी राजनैतिक नेता को दिखावा करने से बाज़ आने की चेतावनी दी।

Tuesday, May 12, 2020

बीसीएम आर्य स्कूल ललतों के छात्रों ने मनाया मातृ दिवस

Tuesday: 12th May 2020 at 10:18 AM
 प्रिंसिपल डा. परमजीत कौर ने की बच्चों के इस कदम की सराहना  
लुधियाना: 12 मई 2020: (कार्तिका सिंह//एजुकेशन स्क्रीन)::
होश संभालते ही सबसे गहरा ध्यान परिपक्व होता है मां का ध्यान। इस ध्यान की शुरुआत वास्तव में बहुत पहले शुरू हो चुकी होती है। यही ध्यान हमारी आखिरी सांस तक बना भी रहता है। हमारी पूजा अर्चना, धर्म कर्म सब इसी ध्यान का संकेत भी देते हैं। मातृ दिवस के मौके पर बीसीएम स्कूल के बच्चों ने भी मां पर आधारित अपनी मानसिक जागृति अपने चित्रों से दर्शायी। 
मातृ दिवस  के उपलक्ष्य पर बीसीएम आर्य  स्कूल ललतों  के छात्रों ने अपनी माताओं के लिए विशेष पेशकश प्रस्तुत की। सभी माताओं की उनके बच्चों के प्रति  प्यार व योगदान की सराहना  करते हुए ग्रीटिंग कार्ड, फोटो फ्रेम व मुकुट बनाने जैसी गतिविधियां छात्रों द्वारा आयोजित की गई। अपनी माताओं के प्रति प्रेम व  कृतज्ञता को प्रगट करते हुए नन्हे, मुन्हों ने अपनी माताओं की घर के कार्यों में सहायता की तांकि वे भी अपने इस इस विशेष दिवस का आनन्द ले सकें। प्रिंसिपल डा. परमजीत कौर ने बच्चों के इस उत्साहवर्धक कदम की खुले दिल से सराहना की और कहा कि वह नन्हें-मुन्हों के इस प्रेम व कृतज्ञता के कार्यों को देखकर अभिभूत हुए हैं।

Monday, May 11, 2020

ये जो माँ की मोहब्बत है ये सब मुहब्बतों की माँ है-अनीता शर्मा

11th May 2020 at 2:03 PM
 मां गलती पर एक बार डांटती है तो सौ बार प्यार भी करती है 
लुधियाना: 11 मई 2020 (एजुकेशन स्क्रीन ब्यूरो)::
भारत में मई के दुसरे रविवार को मदर डे मनाया जाता है और इस वर्ष कोरोना महामारी व लॉक डाउन के कारण सभी बच्चे दो महीने से घरो में अपनी माँ के पास ही 24 घण्टे उसकी आँखों के सामने ही रह रहे है। यह वो दिन है जब हर बेटा या बेटी अपनी मां को अपनी अच्छाइयों से उसका स्नेह पाना चाहता है। 
बेलन ब्रिगेड की राष्ट्रीय अध्यक्ष आर्किटेक्ट अनीता शर्मा ने अपनी दोनों बेटियों प्रियल प्रांजल व तेजस्वी के साथ मदर  डे पर उन्हें ढेर सारा प्यार दिया और बेटियों ने भी अपनी माँ से लिपट कर मदरज़ डे पर उसे स्पेशल ग्रीटिंग कार्ड जो उन्होंने खुद बनाया था मां को भेंट किया।  
इस अवसर पर अनीता ने कहा कि मां एक ऐसा  शब्द है जिसे सुनकर भगवान भी आदर से सिर झुका लेते है एक माँ अपने परिवार का पालन पोषण करने के लिए दिन रात एक कर देती है।  मानव तो क्या दुसरे जीवों में भी माँ अपने बच्चो के लिए हर कुर्बानी देने के लिए कभी भी एक पग पीछे नहीं हटती। माँ खुद भूखी सो जायेगी लेकिन अपने बच्चो को भूखे नहीं देख सकती। ये जो माँ की मोहब्बत है ये सब मुहब्बतों की माँ है। 
प्रियल प्रांजल व तेजस्वी ने बताया कि कोरोना महामारी में लॉक डाउन के कारण स्कूल बंद होने के कारण घर पर ही रहते है और मम्मा उन्हें शिवाजी मराठा गुरु गोबिंद सिंह पुराणों की कहानिया सुनाती है।  हर रोज़ भारतीय संस्कृति के टी वी पर आने वाले कार्यक्रम जैसे महाभारत चाणक्य रामायण जैसे सीरियल मां और पापा के साथ इक्कठे बैठ कर देखते है। उन्होंने बताया कि माँ उनकी गलती पर एक बार डांटती है तो अच्छा करने पर सौ बार प्यार भी करती है। इसलिए हमने  मदर डे पर अपनी माँ को ढेर सारा प्यार दिया और प्रॉमिस किया कि माँ तुम्हे हम कभी दुःख नहीं देंगे और आप का हमेशा कहना मानेगे।     

Sunday, May 10, 2020

Mothers Day:मैं अंश हूँ उस रूह का

मां के लिए सिर्फ एक दिन ही क्यों?
सोनिया नागपाल 
मैं अंश हूँ उस रूह का 
जिसने तकलीफ में मुझे पाला था 
जब अंदर उसके सिमटा था 
उसका रोम रोम खिल उठता था 
मेरी नब्ज़ उससे जुड़ती थी 
तब वह अकेली बैठ कर हंसती थी। 
ये पंक्तियां हैं मेरे उस रिश्ते के लिए जो इस दुनिया में आने से पहले ही मेरे साथ जुड़ गया था।  कहते है कि  हर इंसान को हर रिश्ता जन्म लेने के बाद ही मिलता है परन्तु मां का रिश्ता दुनिया में आने से पहले ही  मिल जाता है।  का यह किसी चमत्कार से कम है?
आज Mother's Day है, मेरी मां और उन सभी माओं को प्रणाम जिन्होंने ने एक बीज को इंसान रूप दिया और इस दुनिया में लेकर खड़ा कर दिया।  कहते है कि मां के लिए सिर्फ एक दिन ही क्यों? मां तो एक हस्ती है, जिसके लिए लाखों दिन भी कम है।  मां के लिए हमारी ज़िन्दगी की हर एक सांस अर्पित है।  मां खुद जलती है परन्तु हमेशा अपने बच्चों के उज्जवल भविष्य की कामना करती है।  मां की कुर्बानियां इतिहास से लेकर अब तक चलती आ रही है।  मां अपने बच्चो के लिए जितना सहती है, उसे शब्दों में ब्यान करना कठिन है।  
वर्तमान काल की स्थिति जहां कोरोना वायरस ने चारो तरफ हाहाकार मचा रखा है, मां की कुर्बानियां यहां भी नज़र आ रही है। हाल ही में मैंने उन लोगो को देखा जो पलायन कर रहे है, जिसमे गर्भवती महिलाये भी शामिल है।  अपने पेट में सात माह के बच्चे को लेकर अपने गांव लौट रही हैं।  इससे बढ़ी उदाहरण क्या होगी मां की ममता की?
मां का देना हम दे नहीं सकते ,
मां को शब्दों में बयाँ हम कर नहीं सकते।  
                                           --*सोनिया नागपाल 
 --सोनिया नागपाल जैन गर्ल्स सीनियर सेकेंडरी स्कूल लुधियाना के इंग्लिश विभाग में शिक्षिका हैं।  

Mothers Day: कुछ भी नहीं मां बिन यह दुनिया

मां ने ही हर राह दिखाया--पग पग मेरा साथ निभाया 
पार्थ गुप्ता अपनी मां मोनिका गुप्ता के साथ 
जब जब खुद को अकेला पाया 
दूर तक कोई नज़र न आया,
तब तूने मेरा हाथ थामकर
इस अकेलेपन को मिटाया। 

जब जब मैं इन राहों में,
भटक गया था मंज़िल में,
तब तूने उजाला बन कर 
मुझे खोये रस्ते पर लौटाया। 

जब कोई न मेरी खुशियों में 
शामिल होने आया था,
मां  तुम ही तो थी वो 
जिसने हर पल मेरा होंसला बढ़ाया। 

सब समझते थे मुझको 
जुगनू हूं मैं आवारा सा,
तुम्ही से तो मैंने मां
सितारे का दर्ज़ा पाया। 

झाँक लिया हर कोने में
हर लम्हे को देख लिया,
समझ गया कुछ भी नहीं
बिन तेरे ये दुनिया।

मेरे जीवन के हर लम्हे में,
तेरी मज़ूदगी बनी रहे,
जब भी मैं खुद को अकेला पाऊं 
माँ तू हाथ थामने खड़ी रहे।
                   -पार्थ गुप्ता 
पुत्र श्रीमती मोनिका गुप्ता 
शिक्षिका - इंग्लिश विभाग 
जैन गर्ल्स सीनियर सेकेंडरी स्कूल, लुधियाना। 

मां का मुकाबला किसी के साथ हो ही नहीं सकता

 मां और जन्मभूमि स्वर्ग से भी बढ़ कर है 
लुधियाना: 10 मई 2020: (*वीणा शर्मा)::
किसी ने रोज़ा रखा, किसी ने व्रत रखा,
क़बूल उसका हुआ, जिसने मां बाप को करीब रखा।  
लेखिका वीना शर्मा 
मां शब्द का मुकाबला किसी के साथ नहीं किया जा सकता। मां शब्द पूरी सृष्टि के साथ जुड़ा हुआ है। अगर हम अपने आस पास झांक कर देखें तो हमे पता लगता है, धरती मां की विशालता के बारे में। किस तरह धरती मां ने हमे संभाल कर रखा हुआ है,  ये सचमुच एक वरदान ही है।  मां के ममतामयी आंचल को देखना हो तो गंगा माता की उदहारण ली जा सकती है।  लाखों करोड़ो लोग इस पवित्र गंगा में स्नान करके खुद को सभी तरह के पापों से मुक्त समझते हैं। मां की उदारता को देखने के लिए गऊ माता की पूजनीयता को देख सकते है।  जन्म दात्री मां किस तरह एक कलाकार की तरह अपने बच्चे को विद्या और अच्छे संस्कारो से संवारती और सजाती है।  वो अपने बच्चे को कदम से कदम मिला कर समाज में आगे बढ़ने, उसका विवाह होने और उसकी संतान की कामयाबी के लिए भी चिंतित रहती है।  मां हमेशा अपने बच्चों का इंतज़ार करती है लेकिन उसके बच्चे कभी उसे समय ही नहीं दे पाते।  आज के बच्चे अपने मां बाप को वृद्ध आश्रम में भेजना चाहते हैं।  हमे ये समझना चाहिए कि जन्म दात्री मां और जन्मभूमि स्वर्ग से भी बढ़ कर है जिसकी रक्षा के लिए हमे हर दम तैयार रहना चाहिए। 
जैसे स्वर्गो को जाने के कोई दूसरा रास्ता नहीं होता,
लाखो रिश्तों में भी मां जैसा कोई नाम नहीं होता।   
किसी बच्चे की सफलता पीछे उसकी मां की ही तस्वीर होती है,
 मां की दुआओं से  वाले कल की तक़दीर बनती है। 
दुनिया के सभी रिश्ते मुंह मोड़ लेते है, लेकिन माँ का रिश्ता स्वार्थ रहित, उदारता सहित, ममतामयी और विशालता भरपूर है कि वो ज़िन्दगी के हर मोड़ पर हमारा साथ निभाती है। --*वीना शर्मा
 *वीना शर्मा जैन गर्ल्स सीनियर सेकेंडरी स्कूल, लुधियाना के पंजाबी विभाग में शिक्षिका हैं। 

मां का ऋण तो कोई उतार ही नहीं सकता

 आज की पीढ़ी को भी मां के प्रति अपने कर्तव्य याद रखने चाहिएं 
लुधियाना: 10 मई 2020: (*आरती सिंगला)::
लेखिका आरती सिंगला 
एक औरत के कई रूप होते हैं जैसे के मां, बहन, पत्नी और  प्रेमिका। औरत हर रूप में त्याग की मूरत मानी जाती है  वह अपनी सारी ज़िंदगी त्याग करती हुई गुज़ार देती है, पर जब वह मां बन जाती है तो अपने आप को भूल जाती है। औरत सिर्फ  बच्चे के जन्म के बाद ही नहीं बल्कि  उसके जन्म से पहले भी बहुत कष्ट सहन करती है। उसकी ज़िंदगी का एक ही उद्देश्य रह जाता है कि वह अपने बच्चे की अच्छी तरह से परवरिश करें, उसको अच्छे संस्कार दें और उसको एक सफल और एक अच्छा नागरिक बनाएं। इसीलिए मां को ही बच्चे की पहली अध्यापका होने का दर्जा दिया जाता है पर आज हमारे समाज में मां सिर्फ अपने घर के काम तक सीमित ना रहकर अपनी बाहर की ज़िम्मेदारियों को भी उतनी अच्छी तरह से निभाती है जैसे एक मां अपने बच्चे के प्रति सारी ज़िंदगी सब कुछ करती है लेकिन इस सबके बदले में मां अपने लिए कुछ भी नहीं मांगती।  वह हमेशा यही चाहती है कि उसका बच्चा जहां भी रहे खुश व सुखी रहे। आज जरूरत है बच्चों में मां के प्रति अपनी ज़िम्मेदारियों को पूरा करने की भावना पैदा करने की। हमारे समाज में आज की पीढ़ी स्वार्थी बनती जा रही है। बच्चों को चाहिए कि वह अपनी व्यस्त दिनचर्या से समय निकालकर अपनी मां के प्रति भी अपने फर्ज पूरे करें।  एक  मां का ऋण तो कोई नहीं उतार सकता पर इतना तो बनता ही है की वह अपने कर्तव्यों को सही ढंग से पूर्ण करके अपनी मां को सुख  पहुंचाए।--*आरती सिंगला
*आरती सिंगला  जैन गर्ल्स सीनियर सेकेंडरी स्कूल ,लुधियाना के कॉमर्स विभाग शिक्षिका

Monday, May 4, 2020

इस तरह कम हो सकता है कोरोना फैलने का खतरा...

 Monday: 4th May 2020 at 12:10 PM  
 डीडी जैन कालेज के हितेश आहूजा ने दिया विशेष आईडिया  
लुधियाना4 मई 2020: (एजुकेशन स्क्रीन ब्यूरो):: 
हितेश आहूजा 
पंजाब में भी कोरोना का फैलाव लगातार बढ़ता जा रहा है। आज की अखबारी खबरों के मुताबिक  कोरोना को लेकर पंजाब टॉप-10 में शामिल हो गा है। पंजाब की ऐसी भयानक तरक्की तो हमने कभी न सोची थी। पंजाब तो खाने-पीने, हंसने-खेलने और देश व दुनिया के लिए कुर्बानियां करने वालों में सबसे आगे रहा। उम्मीद है अब कोरोना के साथ लदी जा रही जंग में भी पंजाब आगे ही रहेगा लेकिन मौजूदा तस्वीर चिंतित करने वाली है। कोरोना के फैलाव में कमी नहीं आ रही। संक्रमण के आंकड़े अब डराने लगे हैं। 
कोरोना को ले कर समाज के सभी वर्ग चिंतित हैं। कोरोना कब तक रहेगा? कब जायेगा? इसके दूरगामी प्रभाव क्या होंगें? इन सवालों पर सभी जागरूक लोग विचार कर रहे हैं। माज के सभी जागरूक लोग विचार कर रहे हैं। शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े *श्री हितेश आहूजा ने कहा है की उनके पास इस समस्या को कर एक विशेष विचार है। यदि इस सलाह को सरकार मान ले तो इस समस्या को नियंत्रित करने में आसानी होगी। 
श्री आहूजा ने अपने इस विचार की चर्चा करते हुए कहा है कि पंजाब सरकार को और देश की सभी सरकारों को चाहिए कि अगर कोई प्रवासी मजदूर अपनी स्टेट में जाना चाहे तो उसे पहले कम से कम 10 से 15 दिन तक अपनी निगरानी में कुआरनटाईन रखा अर्थात पूरी तरह एकांतवास में रखा जाये। इस निगरानी से यह साबित  हो जाएगा कि उस व्यक्ति को करोना इन्फेक्शन है या नहीं अगर कोई भी व्यक्ति को करोना इन्फेक्शन से संक्रमित निकलता है या उसके लक्षण आते हैं उस व्यक्ति को किसी सबंधितअस्पताल में पहुंचाया जाये। उसका इलाज करवाया जाए। इस तरह दो सप्ताह तक निगरानी के बाद फिर टेस्टिंग हो। ऐसे व्यक्ति जिन पर कोई लक्षण नहीं दिखाई देते उन व्यक्तियों को आसानी से उनके राज्य में वापिस भेजा जा सकता है। इससे करोना इन्फेक्शन के फैलने की संभावना बहुत ही कम हो सकती है। साथ ही हमारे दूसरे राज्यों में भी कोरोना की इंफेक्शन को भेजने से बचाव किया जा सकता है।  अगर इस बात से आप सहमत हैं तो इसको आप ज़्यादा से ज़्यादा शेयर करें और कोशिश करें की यह बात सरकार तक जल्द से जल्द पहुंच जाए। इस तरह के रास्तों पर चल कर  इस महामारी से लड़ने में मदद मिल सकेगी। -*हितेश आहूजा 
*श्री हितेश आहूजा देवकी देवी जैन मैमोरियल कालेज फॉर वुमन में कार्यरत हैं समाज के विकास से जुड़े विषयों पर गहरी रुचि रखते हैं। 


Friday, May 1, 2020

कोरोना काल में उच्च शिक्षा: चुनौतियां एवं संभावनाएं

Friday: 1st May 2020 at 05:04 PM Whats app
हिन्दी विभाग एवं शोध-केन्द्र द्वारा वेबिनार का आयोजन
लुधियाना: 1 मई 2020: (कार्तिका सिंह//एजुकेशन स्क्रीन)::
कोरोना एस. सी. डी. सरकारी कॉलेज के स्नातकोत्तर हिन्दी विभाग एवं शोध-केन्द्र द्वारा वेबिनार का आयोजन किया गया। इस वेबिनार का विषय *"कोरोना काल में उच्च शिक्षा: चुनौतियां एवं संभावनाएं"* रही। उक्त विषय पर बीज व्याख्यान महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. धर्म सिंह संधू द्वारा दिया गया तथा विषय-विशेषज्ञ व मुख्य वक्ता के रूप में प्रोफेसर (डॉ.) अश्वनी भल्ला में शिरकत की। प्राचार्य डॉ. संधू के निर्देशन में हिन्दी विभाग के प्राध्यापक डॉ. सौरभ कुमार द्वारा ज़ूम मीट एप्लिकेशन के माध्यम से ऑनलाइन वेबिनार का आयोजन किया गया जिसमें महाविद्यालय के सभी प्राध्यापक सक्रियता दिखाई। डॉ. संधू ने विभाग को बधाई देते हुए कहा कि शोध-केंद्र द्वारा महाविद्यालय में पहली बार *'वेबिनार'* का आयोजन किया गया है, जो उच्च शिक्षा का भविष्य है।
कोरोना संकट के समय उच्च शिक्षा के क्षेत्र में उत्पन्न हालात की भूमिका रखते हुए प्राचार्य डॉ. संधू ने अपनी बात रखी। उन्होंने बताया कि संकट की इस घड़ी में शिक्षक-विद्यार्थियों के मध्य संवाद की कड़ी टूटती नज़र आ रही है क्योंकि आज भी सभी प्रकार के विद्यार्थी सूचना-प्रौद्योगिकी से जुड़ नहीं पा रहे हैं। शहरी विद्यार्थियों में इस प्रकार की समस्या कम देखने को मिल सकती है परंतु सुदूर ग्रामीण क्षेत्र के विद्यार्थियों के लिए यह एक गंभीर चुनौती है। आज हमें "डिजिटल लर्निंग प्रोसेस" को स्वीकार करना ही पड़ेगा और इसके लिए जहां शिक्षकों को पहले से अधिक जागरूक रहना पड़ेगा वहीं अधिक संवेदनशीलता से अपने विद्यार्थियों के साथ पुनः संवाद स्थापित करनी होगी। आजकल ई-लर्निंग के जितने भी स्रोत हैं, उनसे जुड़ते हुए अपने शिक्षण के तरीकों में भी बदलाव लाने होंगे। 
प्रोफेसर अश्वनी भल्ला ने उक्त विषय पर विस्तारपूर्वक विमर्श करते हुए कहा कि आज हमारे सामने सबसे बड़ी चिंता विद्यार्थियों के भविष्य की है, आज सर्वत्र यह चर्चा हो रही है कि पाठ्यक्रम कैसे पूरा किया जाए, परीक्षा किस प्रकार से हो आदि आदि।  परंतु हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि सबसे पहले शिक्षक-विद्यार्थी की शारीरिक-मानसिक सुरक्षा बनाए रखना बहुत बड़ी चुनौती है। इसी लिए आज विश्व के अनेक विश्वविद्यालयों द्वारा वर्चुअल क्लास की व्यवस्था तैयार की जा रही है ताकि  व्हाइवा, प्रेक्टिकल, असाइनमेंट आदि सभी प्रकार की शैक्षिक गतिविधियों को ऑनलाइन पूरा किया जा सके। इसी प्रकार मूल्यांकन व्यवस्था भी संभव दिखाई दे रही है जहां शिक्षक ऑनलाइन गतिविधियों द्वारा विद्यार्थियों के कार्यों का मूल्यांकन करते हुए उन्हें अंक दे सकते हैं।   इसके लिए हमें तकनीकी तौर पर जागरूक भी होगा होगा। मानव संसाधन विकास मंत्रालय और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा इस संबंध में कई प्रकार के प्रयास किये जा रहे हैं जिनमें ऑनलाइन शिक्षण व्यवस्था का में हम पहले से अधिक समर्थ हो पाए हैं। आयोग द्वारा कई प्रकार के ऑनलाइन वेबसाइटों की सूची भी दी गयी है जिसे बड़े पैमाने पर आज उपयोग में लाया जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि निजी तौर पर यू-ट्यूब चैनल के माध्यम से भी हम अपने विद्यार्थियों से संवाद कर सकते हैं। यद्यपि बहुत सारे ज्ञान के स्रोत यू-ट्यूब पर उपलब्ध हैं परंतु विद्यार्थी आज भी अपने शिक्षक का लेक्चर सुनना ही अधिक पसंद करते हैं। इसके साथ साथ महाविद्यालय के कई प्राध्यापकों ने भी अपने सुझाव व्यक्त किये।
डॉ. तनवीर सचदेव(विभागाध्यक्ष अंग्रेजी विभाग) ने सुझाव दिया कि हमें आज अधिक व्यवस्थित तरीके से आगे बढ़ने की आवश्यकता है ताकि सभी प्रकार के विद्यार्थियों को हम साथ लेकर आगे बढ़ सकें। प्रो. दीपक चोपड़ा का कहना था प्रेक्टिकल क्लास जो लैब में होना था, विद्यार्थी उससे वंचित हो रहे हैं, जो विज्ञान के विद्यार्थियों के लिए अति आवश्यक है।
इस वेबिनार में एक बात निकल कर सामने आई कि ऑनलाइन शिक्षण में विद्यार्थियों की भागीदारी कम है। डॉ. डी. एस. सिद्धू ने बताया कि आज सरकारी में बहुसंख्यक ऐसे विद्यार्थी हैं जो छात्रवृत्ति से पढ़ाई कर रहे हैं, उनके अभिभावक दिहाड़ीदार मजदूर हैं जिनकी रोजी-रोटी प्रतिदिन काम करने के बाद ही चलती है। ऐसे परिवार के विद्यार्थी को दो वक्त का खाना मुश्किल से मिला पा रहा है, वे किस प्रकार ऑनलाइन पढ़ पाएंगे? अतः हम शिक्षकों को विद्यार्थियों की परेशानी को भी समझना होगा। प्रो. रीतिन्दर जोशी द्वारा आगामी परीक्षा के सम्बन्ध में दिया गया  सुझाव का स्वागत अधिकांश प्राध्यापकों द्वारा किया गया, उन्होंने कहा कि सभी महाविद्यालय द्वारा मिड-सेमेस्टर टेस्ट का आयोजन किया गया था, उस परीक्षा के अंक का प्रतिशत ही आगामी परीक्षा का मान लिया जाना चाहिए जिससे शिक्षक-विद्यार्थी की सुरक्षा भी बनी रहेगी और विद्यार्थियों का भविष्य भी संकट में नहीं रहेगा। इसी प्रकार महाविद्यालय के 60 से अधिक प्राध्यापकों ने भी अपनी सक्रिय भागीदारी करते हुए सुझाव दिए। महाविद्यालय के ऐसे प्राध्यापक जो 'कोरोना योद्धा' की भूमिका में अपनी ड्यूटी दे रहे हैं, उन्हें सभी प्राध्यापकों द्वारा तालियां बजाकर उन्हें सलामी दी गयी व उनकी सफलता-सुरक्षा की कामना की। प्राचार्य डॉ. संधू, प्रो. भल्ला तथा अन्य प्राध्यापकों ने  इस वेबिनार के लिए हिन्दी विभाग को बधाई दी। कुल तीन सत्रों में यह वेबिनार का आयोजन किया गया।