एस. सी. डी. कॉलेज के छात्रों के नाम स्वर्ण और रजत पदक
रिंकू कुमारी |
रिंकू कुमारी |
कक्षा 9 वीं से 12वीं तक की कक्षाएं आंशिक रूप से लगेंगी
स्कूल शिक्षा विभाग द्वार जारी आदेशानुसार कक्षा 1 से 8वीं तक के स्कूल 31 दिसंबर तक बंद रहेंगे। वहीं कक्षा 9 वीं से 12वीं तक की कक्षाएं आंशिक रूप से लगेंगी। विद्यार्थियों के शंका-समाधान के लिए स्कूल नियमित रूप से निर्धारित समय तक खुले रहेंगे।
Monday:02nd November 2020 17:26 IST
केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने वर्चुअल प्लेटफॉर्म के जरिए संबोधित किया
नयी शिक्षा नीति से उत्कृष्टता मिलेगी-श्री रमेशखरियाल पो'निशंक'
नई दिल्ली: 02-नवंबर-2020: (पीआईबी//एजुकेशन स्क्रीन)::
मंत्री ने प्राचीन भारतीय शिक्षा प्रणाली की उत्कृष्टता उल्लेख किया है जब दुनिया भर के विद्वान नालंदा, तक्षशिला, विक्रमशिला आदि विश्वविद्यालयों में पढ़ने के लिए हमारे देश आते थे। उन्होंने बताया कि हमारी प्राचीन शिक्षा प्रणाली पर गर्व करते हुए और विद्वता से भरे शिक्षकों एवं छात्रों के साथ भविष्य की तैयारी करते हुए गुणवत्ता आधारित शित्रा प्रणाली के साथ भारत खुद को विश्व गुरु के तौर पर स्थापित करेगा। श्री पोखरियाल ने नई शिक्षा नीति-2020 के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला जो पथ प्रवर्तक साबित होंगे और लाखों छात्रों की जीवन के सभी क्षेत्रों में बढ़ने और उत्कृष्टता हासिल करने में मदद करेंगे। उन्होंने कहा कि नयी शिक्षा नीति के तहत सरकार न केवल अपने संस्थानों की स्थापना के लिए विश्व के शीर्ष 100 विश्वविद्यालयों/संस्थानों के साथ सहयोग कर रही है, बल्कि विभिन्न आयामों में भी सहयोग कर रही है। मंत्री ने पेटेंट को बढ़ाने के लिए टैलेंट को पेटेंट से जोड़ने का उल्लेख किया जो न केवल संस्थान को आगे बढ़ाएगा बल्कि देश के आर्थिक विकास में एक प्रमुख भूमिका निभाएगा।
श्री पोखरियाल ने कहा कि प्रधानमंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार के नेतृत्व में राष्ट्रीय अनुसंधान कोष और राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी मंच की शुरूआत की गई है और यह देश के अनुसंधान एवं विकास परिदृश्य को एक बेहतर, समावेशी और उत्कृष्ट वातावरण में बदल देगा। उन्होंने उल्लेख किया कि एनईपी-2020के तीन स्तंभ-सुधार, परिवर्तन और प्रदर्शन, राष्ट्र की शिक्षा प्रणाली में क्रांति लाएंगे और इनमें हमारी शिक्षा प्रणाली को एक वैश्विक मंच पर स्थापित करने की क्षमता है। श्री पोखरियाल ने यह भी कहा कि संस्थान के लिए एक सतत भविष्य के निर्माण की खातिर पूर्व छात्रों को अपने संस्थान के साथ जोड़ा जाना चाहिए। उन्होंने समावेशी तरीके से संस्थान की बेहतरी के लिए एक एलुमनी टास्क फोर्स बनाने का विचार व्यक्त किया।
श्री पोखरियाल ने कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री के जय जवान, जय किसान की घोषणा ने देश को कृषि क्षेत्र में आत्म-निर्भर राष्ट्र में बदल दिया था। पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने इस नारे में‘जय विज्ञान’को जोड़ा जिससे देश के वैज्ञानिक अनुसंधान में महत्वपूर्ण बदलाव आया और हमें वैश्विक रूप से दूसरी परमाणु महाशक्तियों के साथ अग्रिम पंक्ति में खड़े होने में मदद मिली। उसी नारे में हमारे वर्तमान प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने ‘जय अनुसंधान’को जोड़ा जो राष्ट्र के अनुसंधान और विकास की प्रगति को और ऊंचाई पर लेकर जा रहा है। उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार के सपने और एनईपी-2020 के कार्यान्वयन के साथ हम शिक्षा और अनुसंधान में अपनातेजस्वी गौरव दोबारा हासिल कर लेंगे। मंत्री ने युक्ति 2.0 पोर्टल की पहल का भी उल्लेख किया जहां देश के सभी प्रतिष्ठित संस्थान अपने अभिनव विचार साझा करते हैं और समाज की बेहतरी के लिए तकनीकी जानकारी उपलब्ध कराते हैं। अंत में उन्होंने भारत सरकार की विभिन्न योजनाओं जैसे मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया, स्टार्टअप इंडिया का उल्लेख किया और कहा कि ये नए भारत के निर्माण के लिए राष्ट्र के युवा प्रतिभाशाली संसाधन को पर्याप्त समर्थन और सहयोग प्रदान करने के लिए बनाए गए हैं। इनका उद्देश्य एक नये भारत का निर्माण करना है जो आत्मनिर्भर हो और बुद्धिमता एवं ज्ञान से सशक्त हो।
श्री सर्बानंद सोनोवाल ने अपने दीक्षांत संबोधन में युवा स्नातक छात्रों को बधाई दी। उन्होंने संस्थान की हालिया उपलब्धियों पर खुशी जतायी। उन्होंने छात्रों से कहा कि वे अपने लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित रखें और उन्हें हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत करें। उन्होंने सफलता हासिल करने के लिए शारीरिक स्वास्थ्य को सभी शैक्षणिक और अनुसंधान गतिविधियों से जोड़ने के महत्व पर जोर दिया। मुख्यमंत्री ने सफल जीवन के लिए मन और स्वास्थ्य का सही संतुलन बनाए रखने के लिए जीवन में स्वामी विवेकानंद का अनुसरण करने को कहा। उन्होंने यह भी कहा कि हमारे छात्रों के सामूहिक प्रयास से नये भारत के प्रधानमंत्री के सपने को साकार किया जा सकता है। उन्होंने उल्लेख किया कि स्नातक छात्रों जैसे युवा ही राष्ट्र को आगे बढ़ाने और सपनों के भारत का निर्माण करने की क्षमता रखते हैं। उन्होंने पूर्वोत्तर क्षेत्र की अपार क्षमता और संभावनाओं का भी उल्लेख किया और कहा कि इसमें प्रगतिशील भारत के निर्माण की दिशा में बड़ा प्रभाव डालने की क्षमता है।
एनआईटी सिलचर के निदेशक प्रो. शिवाजी बंद्योपाध्याय ने इस साल उत्तीर्ण करने वाले छात्रों के पूरे शैक्षणिक सत्र में हुई सभी गतिविधियों पर प्रकाश डालते हुए संस्थान की रिपोर्ट प्रस्तुत की। उन्होंने सभी स्नातक छात्रों को बधाई दी और कहा कि 2020 के बैच को उसकी संभावनाओं और क्षमताओं के लिए इतिहास में याद किया। उन्होंने समारोह में शामिल होने के लिए शिक्षा मंत्री का आभार जताया और कहा कि शिक्षा मंत्रालय की मदद और समर्थन के साथ, एनआईटी सिलचर अपने संसाधनों की मदद से सरकार के सपने को पूरा करने के लिए हमेशा प्रयास करता रहेगा।
संस्थान के 18वें दीक्षांत समारोह में विभिन्न पदक विजेताओं के नाम की घोषणा की गयी। इस वर्ष पूरे संस्थान में सर्वाधिक सीपीआई हासिल करने के लिए संस्थान स्नातक वर्ग में स्वर्ण पदक श्री क्षितिज मेहरोत्रा को दिया गया। वे मैकेनिकल इंजीनियरिंग के छात्र हैं। सर्वश्रेष्ठ स्नातक छात्र के लिए स्वर्ण पदक श्री प्रक्ष झा को दिया गया जो कि कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग के छात्र हैं। स्नातकोत्तर वर्ग में स्वर्ण पदक मैकेनिकल इंजीनियरिंग के छात्र श्री सुजीत टी को दिया गया। इस वर्ष, कालीकृष्णा मृणालिनी स्मारक स्वर्ण पदक, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की छात्रा सुश्री ह्लादिनी अग्निवेश को जबकि सास्वत पुरकायस्थ स्मारक स्वर्ण पदक, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के छात्र श्री आशीष रंजन को दिया गया। रसायनशास्त्र विभाग की पीएचडी छात्रा सुश्री कल्याणी राजकुमारी को सर्वश्रेष्ठ डॉक्टरेट की डिग्री दी गयी। रजत पदक विजेताओं की भी घोषणा की गयी। असाधारण शिक्षक का पुरस्कार प्रोफेसर सौरभ चौधरी को दिया गया। यह घोषणा करते हुए खुशी महसूस की गयी कि संस्थान के 18वें दीक्षांत समारोह में कुल 881 छात्रों को डिग्री प्रदान की गयी जिनमें इंजीनियरिंग के अलग-अलग विषयों के 572 बी.टेक छात्र, 188 एम.टेक छात्र, 30 एम.एससी छात्र, 43 एमबीए छात्र और 48 पीएचडी छात्र हैं।
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एमजी/एएम/पीके/एसएस
02-नवंबर-2020 15:51 IST
रोज़गार का सृजन करके चेहरों पर मुस्कान ला रही है खादी
खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) द्वारा सृजित स्व-रोजगार के परिणामस्वरूप कारगिल और लेह के शांत हिमालयी क्षेत्रों में उत्पादन गतिविधियां फलफूल रही हैं।
2017-18 से केवीआईसी ने कारगिल और लेह में प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी) योजना के तहत लगभग 1000 विभिन्न छोटी और मध्यम विनिर्माण इकाइयां स्थापित की हैं। इनसे केवल साढ़े तीन साल की अवधि में ही स्थानीय युवाओं के लिए 8200 से अधिक रोजगार सृजित हुए हैं। इन इकाइयों ने 2017-18 से 32.35 करोड़ रुपये की मार्जिन मनी जारी की है।
सीमेंट ब्लॉकों के विनिर्माण से लेकर लोहे और स्टील की वस्तुओं के विनिर्माण, ऑटोमोबाइल मरम्मत वर्कशॉप, टेलरिंग इकाइयां, लकड़ी की फर्नीचर निर्माण इकाइयां, लकड़ी पर नक्काशी की इकाइयां, साइबर कैफे, ब्यूटी पार्लर और सोने के आभूषणों के निर्माण आदि कुछ ऐसे क्षेत्र हैं, जिनमें केवीआईसी ने सहायता प्रदान की है। इससे स्थानीय लोगों को सम्मानजनक आजीविका अर्जित करने में मदद मिली है। यहां तक कि 2020-21 के पहले 6 महीनों के दौरान, कोविड-19 लॉकडाउन के बावजूद केवीआईसी ने विभिन्न क्षेत्रों में कारगिल में 26 और लेह में 24 नई परियोजनाएं स्थापित करने में मदद की, जिससे इन दोनों क्षेत्रों में 350 नौकरियों का सृजन हुआ।
उल्लेखनीय है कि केवीआईसी पीएमईजीपी योजना के लिए एक नोडल कार्यान्वयन एजेंसी है। 2017-18 से 2020-21 (30 सितंबर तक), केवीआईसी ने कारगिल में 802 परियोजनाएं और लेह में 191 परियोजनाएं स्थापित की हैं। जिसमें कारगिल में 6,781 और लेह में 1421 रोजगारों का सृजन हुआ। केवीआईसी ने कारगिल में इन परियोजनाओं के लिए मार्जिन मनी के रूप में 26.67 करोड़ रुपये का वितरण किया, जबकि इसी अवधि के दौरान लेह क्षेत्र में 5.68 करोड़ रुपये का वितरण किया गया।
केवीआईसी के चेयरमैन श्री विनय कुमार सक्सेना ने कहा कि कारगिल और लेह में रोजगार में हुई वृद्धि में पर्यावरण के लिहाज से चुनौतीपूर्ण लेह-लद्दाख क्षेत्र के सर्वांगीण विकास के लिए प्रधानमंत्री के नजरिए का योगदान है। इस क्षेत्र में साल में केवल छह महीने तक ही संपर्क स्थापित हो पाता है। कारगिल और लेह ने विभिन्न विनिर्माण गतिविधियों को बनाए रखने की अपार क्षमता दिखाई है। लेह और कारगिल देश के बाकी हिस्सों से लगभग छह महीने तक कटा रहता है। हालांकि, ये इकाइयां इन क्षेत्रों में पूरे वर्ष सामानों की स्थानीय उपलब्धता सुनिश्चित करेंगी।
कारगिल और लेह के लाभार्थियों ने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि उन्हें अपनी उत्पादन इकाइयां शुरू करने के बाद नौकरियों की तलाश में दूसरे राज्यों में नहीं जाना पड़ेगा। इन इकाइयों ने न केवल उनके लिए स्व-रोजगार सृजित किए हैं बल्कि इस क्षेत्र के कई अन्य बेरोजगार युवाओं के लिए रोजगार के अवसर पैदा किए हैं।
कारगिल के गांव मिंजी के निवासी मोहम्मद बाकिर ने 10 लाख रुपये के शुरुआती ऋण के साथ सीमेंट ब्लॉक ईंटों की उत्पादन इकाई शुरू की थी। अब उसका 52 लाख रुपये का सालाना कारोबार है। उसने अपनी विनिर्माण इकाई में 8 व्यक्तियों को रोजगार दिया है। इसी तरह लोहे और इस्पात की वस्तुओं के उत्पादन से जुड़े इस्माइल नसीरी ने कारगिल के ग्राम पोयेन में 25 लाख रुपये की लागत से अपनी इकाई शुरू की और 10 लोगों को रोजगार दिया है तथा उसकी इकाई 76 लाख रुपये का कारोबार कर रही है।
रोजगार की होड़ ने स्थानीय महिलाओं को भी स्व-रोजगार के लिए प्रेरित किया है जो घर बाहर जाने और स्वतंत्र रूप से काम करने की इच्छुक नहीं थी। केवीआईसी की सहायता से अनेक महिला उद्यमी इन जिलों में कटिंग, सिलाई इकाइयां और ब्यूटी पार्लर सफलतापूर्वक संचालित कर रही हैं।
कारगिल के बारू में एक महिला उद्यमी हमीदा बानो ने सिलाई की गतिविधि में भाग लिया और अपनी यूनिट में 3 अन्य महिलाओं को रोजगार दिया। हमीदा का सालाना कारोबार भी 12 लाख रुपये तक पहुंच गया है।
यह उल्लेख करना उचित है कि लेह-लद्दाख क्षेत्र का विकास केंद्र सरकार का प्रमुख उद्देश्य रहा है। 2019 में जम्मू और कश्मीर के विभाजन के बाद से इस क्षेत्र में स्थानीय रोजगार के सृजन पर विशेष ध्यान दिया गया है।
कारगिल और लेह में 2017-18 से 2020-21 तक (30 सितंबर तक) परियोजनाओं और रोजगार की संख्या
क्र.सं. | वर्ष | परियोजनाओं की संख्या | वितरित की गई मार्जिन मनी (रुपये लाख में) | रोजगार सृजन |
01 | 2017-18 | 172 | 417.12 | 1099 |
02 | 2018-19 | 462 | 1491.63 | 4252 |
03 | 2019-20 | 309 | 1122.94 | 2501 |
04 | 2020-20 (30.09.2020 तक) | 50 | 204.00 | 350 |
05 | योग | 993 | 3235.69 | 8202 |
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एमजी/एएम/आईपीएस/सीएल/एसके
एक प्रतीकात्मक फ़ाइल तस्वीर जिसे 12 दिसंबर 2015 को बाद दोपहर खींचा गया |
सोनिया नागपाल |
लेखिका वीना शर्मा |
लेखिका आरती सिंगला |