एजुकेशन स्क्रीन से जुड़िए

 आपकी रचनाओं, खबरों और रिपोर्टों की इंतज़ार में हैं हम 


एजुकेशन स्क्रीन आपको स्कूलों कालेजों में चल रही शिक्षा और अन्य कार्यक्रमों की जानकारी हिंदी में देता है। इनमें अन्य भाषाओं के स्कूल कालेज भी शामिल होते हैं। केवल भाषा की सुविधा को सामने रखते हुए हम अंग्रेज़ी के साथ साथ हिंदी और पंजाबी में भी हर जानकारी आप तक लाते हैं। 

इसी मकसद से हमारा सहयोगी प्रकाशन एजुकेशन स्क्रीन पंजाबी में भी है और अंतर्राष्ट्रीय पाठकों तक पहुंचने का भी भी हम हर सम्भव प्रयास करते हैं।  बहुत से परिवारों के बच्चे विदेश में पढ़ रहे हैं। हम उन तक भी पहुंचते हैं। उनकी समस्याओं से भी आपको अवगत करवाते हैं। उनके कैरियर के लिए क्या क्या अच्छा हो सकता है इसकी जानकारी भी आपको देते हैं। अंग्रेजी में भी एजुकेशन स्क्रीन आप तक आप तक शिक्षा जगत की सभी खबरें लाने की कोशिश करता है। 

इस तरह एजुकेशन स्क्रीन समूह हिंदी, पंजाबी और अंग्रज़ी से जुड़े सभी परिवारों के मध्य एक पुल की तरह है। अगर आप भी हमें अपने अपने स्कूल, कालेज और कोचिंग सेंटरों की जानकारी, उपलब्धियों की चर्चा और छात्रों की प्रतिभाओं के संबंध में कोई जानकारी भजते हैं तो हम उसे भी स्थान देंगें। 

आपको शिक्षा संस्थान की कोई समस्या हो तो हम उसे भी अवश्य उठाएंगे। समाज और सरकार तक आपकी समस्या की जानकारी पहुंचाएंगे तांकि शिक्षा के मंदिरों को और विकसित करने में एक चेतना जगाई जा सके। जब स्कूल कालेज और कोचिंग सेंटर अन्य भवनों से अधिक बड़े होंगें तभी समाज का भला हो सकेगा। 

आपके पत्रों, खबरों, रिपोर्टों, तस्वीरों और साहित्यिक रचनाओं इत्यादि की हमें इंतज़ार रहेगी ही।यह जानकारी आप हमें ईमेल के ज़रिए भेज सकते हैं। ईमेल को ही पहल दीजिए। वटसप केवल आवश्यक सूचना के लिए है कि आपने ईमेल  भेज दी। आपात हालात में आप इसका इस्तेमाल भी कर सकते हैं लेकिन रूटीन मत बनाइए। --कार्तिका सिंह (कोआर्डिनेशन सम्पादक)

Email: medialink32@gmail.com

WhatsApp: +919915322407

पोस्ट स्क्रिप्ट: साहिर लुधियानवी साहिब के सपनों का एक नया संसार बनाना है और इस संसार को उनके ही एक ही शेयर में बताया  है:

जेलों के बिना जब दुनिया की सरकार चलाई जाएगी!

वो सुबह कभी तो आएगी, वो सुबह कभी तो आएगी!

इस संसार की कल्पना बहुत मुश्किल ही नहीं नामुमकिन सी लगती है लेकिन शिक्षा की रौशनी से इसे सम्भव बनाया जा सकता है:

डा. कविता किरण के शब्दों में:

नामुमकिन को मुमकिन करने निकले हैं,

हम छलनी में पानी भरने निकले हैं।

                           आँसू पोंछ न पाए अपनी आँखों के

                         और जगत की पीड़ा हरने निकले हैं।

पाँव पड़े न जिन पर अब तक सावन के

ऐसी चट्टानों से झरने निकले हैं।

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