Friday, February 21, 2020

लड़कियों के राजकीय कालेज में हुआ एलुमनाई का आयोजन

 कालेज की पुरानी छात्राओं ने ताज़ा किये अतीत के वो मधुर दिन 
लुधियाना: 20 फरवरी 2020: (कार्तिक सिंह//एजुकेशन स्क्रीन)::
अंतराल भी बहुत मज़ेदार जादू है। जो बात वर्तमान में आम सी लगती है वही बात कुछ अंतराल के बाद इतनी मधुर और ख़ास बन जाती है कि उसे हर पहलू से महसूस करने का मन होता है। एलुमनाई का आयोजन ऐसा सुवसर ही तो प्रदान करता है। कालेज के वे दिन जब हमें क्लास की डांटडपट बुरी लगती थी अंतराल के बाद कितनी मधुर लगने लगती है। जब ज़िंदगी संवर जाती है तब अहसास होता है कि यदि हमें क्लास की डांट न पड़ी होती तो शायद हमने इतनी तरक्की भी न की होती। जैसे हीरे को तराशा जाता है वैसे ही शिक्षा का समय हमें तराशे जाने का ही समय होता है।  हमारी प्रतिभा को बाहर लाने का एक ऐसा आपरेशन जो सब को नज़र नहीं आता। झिझक के बंधन, डर की दीवारें, ऊंचनीच और भेदभाव का जाल--बहुत कुछ ऐसा होता है जिसने हमारी ज़िंदगी की तरक्की रोक रखी होती है। हमारे जीवन पर गुप्त ताले की तरह होते हैं इस तरह के बहुत से अहसास जो हटाए न जाएँ तो सारी उम्र बंधन बने रहते हैं। स्कूल के बाद कालेज की ज़िंदगी इन तालों को एक एक कर के खोलती है और इसी के साथ खुलते चले जाते हैं हमारी ज़िंदगी में बंधन बन कर छाये हालात के ताले। एलुमनाई के दिनों में याद आते हैं वे सब दिन जब हमें हमारे आदरणीय अध्यापक लोग तराशने का काम करते थे। कितना अजीब सा सत्य है की उनकी साधना का फल हमें मिलता है बस हमें उनके कहे पर चलना होता है। 
         आज गौरमिंट कालेज फॉर गर्ल्ज़ में एलुमनाई की रौनक थी। गुज़रा हुआ वक़्त जो कभी वापिस नहीं आता वह भी इस आयोजन के दौरान कुछ पलों के लिए लौट आता है। सु लेता है पुरानी छात्राओं की दिल से निकली आवाज़ें। पुरानी छात्राओं ने आज नई छात्राओं के चेहरों में वही अपनी अतीत की झलक देखी। अपनी साधना के दिनों को याद किया। अपनी तपश्चर्या के कठिन दिनों को याद करते हुए महसूस किया कि अगर वह तप नहीं किया होता तो शायद आज सफलता की उंचाईआं छूने का शुभ अवसर भी नहीं आता। कालेज की प्रिंसिपल साहिबा और एलुमनाई संस्था की अध्यक्ष डा. मंजू साहनी ने सभी का  स्वागत किया।   इस अवसर पर अपनी ख़ुशी व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि जहाँ कालेज की संस्था अपनी होनहार छात्राओं को याद रखती है वहीँ प्रिंसपलज़ और प्रोफेसर्ज भी अपनी मेहनती छात्राओं को याद रखते हैं।  आज का दिन वास्तव में उस प्यार को बांटने का दिन होता है जो समय के साथ साथ बढ़ता ही चला जाता है। कालेज की दीवारें, कालेज के कमरे, कालेज के अतीत की -हर बात-हर चीज़ की याद दिलाते हैं।  एलुमनाई के आयोजन का मकसद उन छात्राओं को स्नेह और सम्मान देना भी होता है जिन्होंने कालेज में शिक्षा प्राप्त करके ज़िंदगी में किसी क्षेत्र में कोई बहुत ऊंचा स्थान प्राप्त किया होता है।  
एलुमनाई संस्था की परम्परा के मुताबिक आज जानीमानी शख्सियत मैडम अविनाश गुजराल को भी सम्मानित किया गया जो इसी कालेज में से पढ़ कर राजकीय कालेज सिद्धसर के प्रिंसिपल पद तक पहुंचे और अब सेवामुक्त हैं। कोमल कला विभाग के सेवामुक्त प्रोफेसर गुरुचरण सिंह खेहरा को भी सम्मानित गया। इन पलों के दौरान अतीत और वर्तमान का मिलन देखने वाला भी था और महसूस करने वाला भी।  
आजकल खालसा कालेज फॉर विमैन की प्रिंसिपल डा. मुक्ति गिल भी जीसीजी की छात्रा रही हैं। अपनी सादगी और उच्च विचारों पर आधारित जीवनशैली के लिए जानी जाती डा. मुक्ति गिल के चेहरे पर बौद्धिकता की एक ऐसी चमक है जो बहुत कम लोगों के चेहरों पर होती है। बिना शोर किये प्राकृति की तरह बहुत ही ख़ामोशी से  कर्तव्य का पालन करने वाली डा. मुक्ति गिल का भी एलुमनाई के कार्यक्रम में स्वागत किया गया। अपने नाम के अनुरूप ही बेहद वशिष्ठ हैं डा. मुक्ति गिल। 
इसी तरह एक और नाम भी उल्लेखनीय है। आजकल की आधुनिक पत्रकारिता और लेखन में तेज़ी से लोकप्रिय हो रही है ब्लॉग की विधा। ब्लॉग लिखना जितना आसान लगता है वास्तव में  होता नहीं। मुख्य धारा के मीडिया और बड़े बड़े नामी प्रकाशकों के होते हुए केवल ब्लॉग के ज़रिये अपनी जगह बनाना आसान नहीं होता। बहुत ज़िम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करना पड़ता है। एक एक शब्द--एक एक तस्वीर--एक एक शीर्षक बहुत मेहनत करनी पड़ती है  पर। इस मेहनत के रास्ते पर चल कर अपना नाम बनाया है जीसीजी की ही एक छात्रा जैस्मीन खुराना ने। वह ब्लॉगर भी है और शायरा भी। उनका भी सम्मान हुआ तो उनका भी गला भर आया। जैस्मीन खुराना ने कालेज से जुडी बहुत सी यादें ताज़ा की। वह यादें जो आज भी प्रासंगिक हैं। समय गुज़रने के साथ उनकी अहमियत कम नहीं हुई। जैस्मीन का आना वास्तव में ब्लॉग वर्ल्ड  भी ख़ास रहा खासकर मेरे लिए क्यूंकि मैं भी ब्लॉग लिखती हूँ। 
जीसीजी की ही एक और पुरानी छात्रा का ज़िक्र बहुत ही आवश्यक है। डा. सुपिंदरजीत कौर आजकल पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ के लॉ विभाग में प्रोफेसर हैं। इसी तरह सुश्री नाज़ीना बाली आजकल इश्मीत अकैडमी में डीन हैं।  इन दोनों छात्राओं ने अपनी सुरीली आवाज़ से एक बार तो समय बाँध दिया। सारा माहौल संगीतमय हो गया। कालेज की अन्य छात्राओं  ने भी बहुत सी रंगरंग आइटमें प्रस्तुत कीं। 
          इसी यादगारी अवसर पर सुश्री मंजीत सोढिया भी मौजूद थीं, डा. महिंद्र कौर ग्रेवाल भी,  डा. रमेश इंद्र बल भी, सरदार जसवंत सिंह भी, डा. सरबजोत कौर भी, सुश्री शरणजीत कौर भी, मिस खुशपाल कौर भी, मिस बलबीर बजाज भी, डा. पूजा जेतली भी, डा. किरणदीप कौर भी, सुश्री सुखविंदर कौर भी, सुश्री स्वर्ण ग्रेवाल भी, प्रोफेसर किशन सिंह भी, प्रोफेसर कुलवंत सिंह भी, सरदार मेजर सिंह सोही भी, प्रोफेसर ए सी जनेजा भी, सुश्री रश्मि ग्रोवर भी और कई अन्य शख्सियतें भी। कालेज के स्टाफ ने इन सभी को सुस्वागतम कहा। कार्यक्रम के अंत में पुरानी छात्राओं के संगठन की सचिव शरणजीत कौर परमार ने मेहमानों का आभार व्यक्त किया। कुल मिलाकर यह एक यादगारी प्रोग्राम रहा। 
     
  

Thursday, February 20, 2020

ECTOPIA-2020 की शुरुआत हुई रंगारंग प्रस्तुतियों के साथ

DMCH के सचिव प्रेम कुमार गुप्ता ने किया एक प्रभावशाली उद्घाटन
लुधियाना: 20 फरवरी 2020: (कार्तिका सिंह//एजुकेशन स्क्रीन)::
लुधियाना का दयानंद मेडिकल कॉलेज और अस्पताल एक ऐसा संस्थान है जो मेडिकल शिक्षा को एक ऐसे अंदाज़ में प्रस्तुत करता है कि चिक्तिसा विज्ञान को बिल्कुल भी न समझ पाने  गैर छात्र भी इसका आनंद उठा सकते हैं। आज का आयोजन भी कुछ ऐसा ही रहा। 
तीन दिवसीय सांस्कृतिक उत्सव "CT ECTOPIA 2020"  शुभारम्भ की रस्म आज DMCH मैनेजिंग सोसाइटी के सचिव जनाब प्रेम कुमार गुप्ता ने एक प्रभावशाली उद्घाटन समारोह के साथ अदा की। इस अवसर पर प्रिंसिपल डा. संदीप पुरी, डीन एकेडमिक्स डा. राजू सिंह छीना, मेडिकल सुप्रिडेंट भी उपस्थित थे। इनके इलावा डा. अश्वनी चौधरी और अन्य संकाय सदस्य भी मौजूद रहे। 
सचिव श्री प्रेम कुमार गुप्ता ने अपने संदेश में कहा कि DMCH में अध्ययनरत मेडिकल छात्रों के समग्र विकास के लिए इस प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रमों और अतिरिक्त गतिविधियों के आयोजन में DMCH की मैनेजिंग सोसाइटी हमेशा सहयोग करती रही है।
प्रिंसिपल डा. संदीप पुरी (जो DMCH कल्चरल कमेटी के चेयरपर्सन भी हैं) ने कहा कि 'ECTOPIA' त्यौहार व्यक्तिगत रूप से उनके दिल के बहुत करीब है और हर गुजरते साल के साथ, यह एक नए रूप में और अलग-अलग थीम पर, अधिक रोमांचक और रोमांचकारी के साथ प्रस्तुत किया जाता है। और इसका प्रदर्शन हमेशां ही यादगारी रहता है। 
DMCH कल्चरल कमेटी के सचिव डा. दिनेश जैन और D MCH कल्चरल कमेटी के संयोजक डा. नवजोत बाजवा ने सभी प्रतिभागियों और दर्शकों को पूरे उत्साह और उमंग के साथ इस तीन दिवसीय भव्य उत्सव का आनंद लेने के लिए हार्दिक बधाई दी। तीन दिनों तक चलने वाले इस आयोजन में वर्ष 2015 से 2019 तक के पांच अलग-अलग एमबीबीएस बैच भाग लेंगे। "OP ECTOPIA 2020" का विषय इस वर्ष हकुआ माता’ है जिसका अर्थ है “कोई चिंता नहीं” या “कोई समस्या नहीं” और तीन त्योहारों का शुभंकर टिमोन और पुंबा ’भी जारी किया गया था। 
ईसीटीओपीआईए के पहले दिन सुबह आयोजित होने वाले कार्यक्रमों में शामिल हैं-
टर्न कोट एक्सटम्पोर-जिसमें बहस करने की एक शैली शामिल है जिसमें किसी व्यक्ति को किसी विशेष विषय पर बोलने या किसी विशेष विषय के खिलाफ बोलने के लिए एक निश्चित समय दिया जाता है।
इसी तरह डांस ऑफ-जिसमें स्टूडेंट्स हिट बॉलीवुड और पंजाबी गाने नंबरों पर थ्रिलिंग डांस परफॉर्मेंस करते हैं।
Ad Fads/स्टैंड अप कॉमेडी की एक विशेष किस्म है। इस सेगमेंट में, किसी विशेष एमबीबीएस बैच के प्रतिभागियों को किसी भी उत्पाद पर एक विज्ञापन की अवधारणा के लिए एक निश्चित समय दिया जाता है और इसे प्रफुल्लित करने वाले तरीके से दर्शकों के सामने प्रस्तुत किया जाता है।
इसी अंदाज़ में ट्रेजर हंट-एक ऐसा खेल है जिसमें खिलाड़ियों को एक छिपे हुए पुरस्कार को जीतने के लिए निर्देशित करने के लिए सुरागों की एक श्रृंखला दी जाती है। 
आज निम्नलिखित प्रतियोगिताओं के परिणाम कुछ इस तरह रहे:
टर्नकोट एक्स्टम्पोर- प्रथम सोनम (बैच 2016), द्वितीय सौम्या (बैच 2018) और तृतीय आलमनूर (बैच 2018)
Ad Fads- पहला एमबीबीएस बैच 2018, दूसरा एमबीबीएस बैच 2016 और तीसरा एमबीबीएस बैच 2016
डांस ऑफ- पहली हिमांशी (बैच 2018), दूसरी तनीषा (बैच 2018) और तीसरी नुहार (बैच 2015) और मनप्रीत (बैच 2017)

Wednesday, February 19, 2020

गुरु गोलवलकर के जन्मोत्सव पर BVM स्कूल में विशेष आयोजन

Wednesday: 19th February 2020 at 3:36 PM
राष्ट्र ऋषि के रूप में याद किया गुरु गोलवलकर को 
लुधियाना: 19 फरवरी 2020: (एजुकेशन स्क्रीन ब्यूरो):: 
हिन्दू राष्ट्रवाद के सबसे बड़े झंडाबरदारों में से एक रहे है माधव राव सदाशिव गोलवलकर जिन्हें संघ के कार्यकर्ता गुरु गोलवलकर के नाम से जानते थे। विवादों और कठिनाईओं के बावजूद गुरु गोलवलकर ने न तो अपने विचार बदले न ही रास्ते। संघ पर प्रतिबंध का समय भी आया और उनकी गरिफ्तारी भी हुई लेकिन वह हमेशां अविचलित रहे।  संघ के कार्यकर्ताओं में शायद ही कोई ऐसा हो जिसके घर में गुरु गोलवलकर की तस्वीर न हो और उनके प्रति मन में आस्था न हो। उन्हें याद करते हुए भारतीय विद्या मंदिर अर्थात बीवीएम स्कूल ऊधम सिंह नगर ब्रांच ने बहुत ही श्रद्धा से मनाया। उनकी तस्वीर, दिव्यता का असंदेश देते भजन गायन और आस्था से भरे अंदाज़ में स्मृतियों की चर्चा बहुत ही  बना रही थी। आजकल के कारोबारी और स्वार्थभरे युग में ऐसे आयोजन बहुत कम ही देखने को मिलते हैं। 
भारतीय विद्या मंदिर ऊधम सिंह नगर में माधव राव सदाशिव गोलवलकर के जन्मोत्सव पर अर्पित किए गए श्रद्धा सुमन सदाशिव गोलवलकर के जन्मोत्सव पर बीवीएम स्कूल  में हुआ विशेष आयोजन एक ऐसा ही आयोजन था जो बहुत ही  यादगारी रहा। 
देश को नई दिशा दिखाने वाले राष्ट्र ऋषि एवं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के द्वितीय संचालक परम पूजनीय श्री माधव राव सदाशिव गोलवलकर जी की जयंती पर आज भारतीय विद्या मंदिर ऊधम सिंह नगर में विशेष प्रातः कालीन सभा का आयोजन किया गया। प्रधानाचार्या ने उप प्रधानाचार्या तथा विद्यार्थियों सहित उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किए।विद्यालय की अध्यापिका सीमा गुप्ता ने गुरु जी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताया कि उन्होंने निष्काम भाव से लोगों की सेवा करते हुए समाज के हित में आगे बढ़कर कुप्रथाओं का विरोध किया। वे यह मानते थे कि यदि मानव के हृदय में परहित का भाव आ जाए तो घृणा का भाव स्वतः ही लुप्त हो जाएगा। छठी से आठवीं कक्षा के छात्रों के शब्द गायन  'गुरु माधव जी को शत शत नमन' ने सब को भावविभोर कर दिया। छात्रों को गुरु जी द्वारा दर्शाए गए आदर्श मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करने हेतु  पी.पी.टी. दिखाई गई।
गौरतलब है कि गुरु गोलवलकर महाभारत का एक श्लोक सुनाते हुए अक्सर कहा करते थे कि राजनीति वैश्याओं का धर्म है इसलिए संघ के कार्यकर्ता इससे दूर रहें। आज जबकि राजनीति कुछ बन गई है उस समय गुरु गोलवलकर के कहे शब्द अत्यधिक प्रासंगिक बन गए हैं। 

Thursday, February 13, 2020

भ्रष्टाचार उन्मूलन मुद्दे पर आर्य कॉलेज में हुआ अतिरिक्त व्याख्यान

13th February 2020 at 3:22 PM
कुंजीवत भाषण दिया एस.एस.पी., विजीलैंस ब्यूरो गौतम सिंघल ने 
लुधियाना: 13 फरवरी 2020: (एजुकेशन स्क्रीन ब्यूरो)::
आर्य कॉलेज के कामर्स एवं बिजनैंस मैनेजमेंट की ओर से पंजाब सतर्कता जागरूकता (विजीलैंस ब्यूरो) ब्यूरो के सहयोग से एक अतिरिक्त व्याख्यान का आयोजन किया गया। जिसमें विषय रहा-‘भ्रष्टाचार उन्मूलन के लिए मिलकर करें कार्य’ । इस विषय पर बोलने के लिए श्री गौतम सिंघल, एस.एस.पी., विजीलैंस ब्यूरो, इकोनॉमिक, ओफैंसिस विंग, पंजाब कुंजीवत भाषण के लिए पहुंचे। आर्य कॉलेज की प्रिंसीपल डॉ. सविता उप्पल कार्यक्रम के अध्यक्षा के रूप में रही। डॉ.उप्पल ने वक्ता श्री गौतम सिंघल का स्वागत करने के बाद कहा कि भ्रष्टाचार हमारे लोकतांत्रिक देश के उज्जवल नाम पर एक धब्बा है और भारत की आर्थिकता में उत्पादकता को हानि पहुंचा रहा है।  आज के इस आयोजन में  भ्रष्टाचार से सबंधित संवेदनशील मुद्दों पर चर्चा हुई। 
अपने सम्भाषण में श्री गौतम सिंघल ने कहा है कि भ्रष्टाचर मिटाने के लिए पूरे देश को भ्रष्टाचार का विरोध करने के लिए एकजुट और दृढ़ प्रतिज्ञ होना चाहिए। भ्रष्टाचार के उन्मूलन के लिए नागरिकों को अपने कर्तव्यों और भ्रष्टाचार विरोधी कानूनों के प्रति जागरूक होना होगा। इस अवसर पर उन्होंने ने छात्रों और प्राध्यापकों के प्रश्नों का उत्तर भी दिया।
कार्यक्रम के अन्त में कामर्स एवं बिजनैंस मैनेजमेंट विभागाध्यक्षा प्रो.शैलजा आनंद ने वक्ता, अतिथियों और अन्य मौजूद विद्यार्थियों का धन्यवाद किया। प्रिंसीपल डॉ.सविता उप्पल नें विभाग के विद्यार्थियों को जागरूक करने और भ्रष्टाचार के विरोध में प्रेरित करने के लिए किए कार्यक्रम की सराहना दी।

Wednesday, February 12, 2020

कालेजों के प्राचार्यों की विशेष बैठक 13-14 फरवरी को पंचकूला में

हरियाणा के गवर्नमैंट व गवर्नमैंट एडिड कालेजों के प्राचार्यों से होगी चर्चा 
चंडीगढ़: 12 फरवरी 2020: (हरियाणा स्क्रीन ब्यूरो)::
हरियाणा के गवर्नमैंट व गवर्नमैंट एडिड कालेजों के प्राचार्यों की क्रमश: 13 व 14 फरवरी, 2020 को पंचकूला में बैठक होगी जिसकी अध्यक्षता उच्चतर शिक्षा विभाग के महानिदेशक श्री अजीत बालाजी जोशी करेंगे। इस बैठक में कई अहम मुद्दों पर विशेष चर्चा होगी। 
विभाग के एक प्रवक्ता ने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि उच्चतर शिक्षा विभाग के महानिदेशक श्री अजीत बालाजी जोशी कल 13 फरवरी को राज्य के गवर्नमैंट कालेजों के प्राचार्यों की बैठक की अध्यक्षता करेंगे। यह बैठक पंचकूला स्थित रैड बिशप पर्यटन केंद्र में होगी। बैठक में गवर्नमैंट कालेजों में आगामी शैक्षणिक सत्र से नए विषय या कोर्स शुरू करने, सीटें कम या ज्यादा करने की जरूरत बारे संबंधित प्राचार्यों से चर्चा होगी तथा उनसे सुझाव लिए जाएंगे। वर्कलोड के अनुसार नई फैकल्टी लगाने या सरप्लस की जानकारी भी ली जाएगी। नए शैक्षणिक सत्र में ऑनलाइन एडमिशन को और अधिक सिस्टेमैटिक करने व स्टूडैंट-फ्रैंडली बनाने के लिए भी सुझाव सांझा किए जाएंगे।
उन्होंने बताया कि बैठक में आने वाले प्राचार्यों से उनके कालेज में वर्तमान डिजीटल इन्फ्रास्ट्रक्चर तथा डिमांड लाने के भी निर्देश दिए गए हैं। इसके अलावा नैक व एन.आई.आर.एफ से एक्रिडेशन लेने के लिए कालेज ने क्या तैयारियां की हैं, इसकी विस्तृत रिपोर्ट ली जाएगी।
प्रवक्ता ने आगे बताया कि अगले दिन 14 फरवरी 2020 को उच्चतर शिक्षा विभाग के महानिदेशक श्री अजीत बालाजी जोशी गवर्नमैंट एडिड कालेजों के प्राचार्यों की बैठक की भी अध्यक्षता करेंगे। उन्होंने बताया कि गवर्नमैंट एडिड कालेजों में कार्यरत टीचिंग व नॉन-टीचिंग स्टॉफ की एम.आई.एस पोर्टल पर जानकारी अपडेट करने, बायोमिट्रिक अटेंडेंस लगाने के अलावा अधिकतर उक्त मुद्दों पर प्राचार्यों से चर्चा की जाएगी तथा शिक्षा में गुणवत्ता बढ़ाने के निर्देश दिए जाएंगे।
बैठक की अध्यक्षता करेंगे उच्चतर शिक्षा विभाग के महानिदेशक श्री अजीत बालाजी जोशी

Monday, February 10, 2020

लुप्त हो रहे थिएटर को बचाने आगे आया KCW

खालसा कालेज फॉर विमैन ने कराया थिएटर वर्कशाप का आयोजन 
लुधियाना:10 फरवरी 2020: (कार्तिका सिंह//एजुकेशन स्क्रीन)::
चंडीगढ़, मोगा, मुल्लांपुर, मानसा, कपूरथला और अमृतसर जैसे कुछ क्षेत्र ही बाकी बचे हैं जहाँ थिएटर अभी ज़िंदा है वरना पंजाब में थिएटर अब लुप्त हो चुका है। लुधियाना के पंजाबी भवन में भी जनमेजा सिंह जोहल, सपनदीप कौर, त्रिलोचन सिंह, सिकंदर, बलविंदर  कालिया और उन्हीं के कुछ साथी लोग अभी भी सक्रिय हैं जो अपने अपने बलबूते पर अपनी अपनी नाटक मंडलियों को इस महगाई के बावजूद किसी न किसी तरह चलाए चले जा रहे हैं।  प्रदीप शर्मा इप्टा और कई अन्य कलाकार भी थिएटर में किस्मत आज़माने के प्रयासों को छोड़ कर अब लघु फिल्मों में अभिनय की तरफ आकर्षित हो रहे हैं। पंजाब और लुधियाना के क्षमतावान अमीर लोगों ने कभी उनकी मूलभूत ज़रूरतों की तरफ बनता ध्यान नहीं दिया। दाल रोटी की ज़रूरत और कला से लगाव के दरम्यान अब पिस रहा है कलाकार और धीरे धीरे दम तोड़ रहा है थिएटर। अब गुरुशरण भा जी अर्थात मन्ना सिंह के वक़्त का ज़माना लौटता नज़र नहीं आता। ऐसे मायूसी भरे हालात में थिएटर वर्कशाप का आयोजन शायद सोचना भी अटपटा लगता हो लेकिन लुधियाना के सिविल लाईन्ज़ में क्षेत्र स्थित खालसा कालेज फॉर विमैन (KCW) ने एक बार फिर हिम्मत दिखाई है। आंधियों में चिराग जगाने जैसी हिम्मत है यह। स्टेज के कारवां को बचाने का प्रयास है यह। समाज के लिए एक उदाहरण भी है यह आयोजन। 
खालसा कालेज में इस बार शनिवार 8 फरवरी 2020 को नाटक और रंगमंच पर एक वर्कशाप का आयोजन किया गया जिसका विषय था "नाटक और  रंगमंच-साहित्यिक, समाजिक और सांस्कृतिक भूमिका।" इस वर्कशाप में मुख्य मेहमान थे जानेमाने अदाकार और निर्देशक डा. मोहम्मद रफी। दम तोड़ते थिएटर के समय ऐसी वर्कशाप का आयोजन और उसमें डा. मोहम्मद रफ़ी का आना ताज़ी हवा के झौंके से कम नहीं था।  ऐसे आयोजनों से ही बच सकेगा थिएटर। 
डा. मोहम्मद रफी जब छात्राओं और स्टाफ के रूबरू हुए थे वे पल बहुत ही भावुक थे। इस मौके पर ज़्यादातर वही लोग मौजूद रहे जी थिएटर के साथ भावुक तौर पर जुड़े हुए हैं। वही लोग जिनको अभी भी लगता है कि नाटकों के ज़रिये भी समाजिक बदलाव सम्भव है। एक नई चेतना विकसित की जा सकती है। यहां वही लोग थे जिनके दिल-ो-दिमाग में सफदर हाशमी की याद अभी बाकी है। वही सफदर हाशमी जिसको कला और मानवता के दुश्मनों ने एक सियासी नेता की अगुवाई में पहली जनवरी 1989 को  बुरी तरह पीटा इतना पीटा की वह बुरी तरह घायल हो कर अधमरा गया। हमला उस समय हुआ जब वह अपनी समर्पित टीम के साथ समाजिक बदलाव का संदेश देते हुए "हल्ला बोल" नाटक का मंचन कर रहा था। सियासी गुंडों ने उन्हीं पर हल्ला बोल दिया। उसने खुद आगे बढ़ कर लाठियों  और  साथियों को बचाने के लिए भगाने में मदद दी। बुरी तरह घायल हुए सफ़दर हाशमी ने हमले के एक दिन बाद 2 जनवरी 1989 को राम मनोहर लोहिया अस्पताल में दम तोड़ दिया। स्टेज के उस शहीद को नमन करने की याद अब बहुत  है। वह एक योद्धा था जिसे याद रखना हम सभी के लिए आवश्यक भी है। 
सफदर हाश्मी साहिब के जाने के बाद हालात तेज़ी से बदले। पूंजीवाद की हवाएं आंधी बन कर चलीं। आतंकवाद ने भी ज़ोर पकड़ा। अपने ज़माने का प्रसिद्ध संगठन इंडियन पीपल्ज़ थिएटर एसोसिएशन जिसे आम तौर पर "इप्टा" के नाम से जाना जाता है वह भी बेहद कमज़ोर पड़ गया और सफदर हाशमी के समय में स्थापित हुआ "जन नाट्य मंच" भी। फाशीवाद और आतंकवाद के साथ सांस्कृतिक मोर्चे पर टक्कर लेते गुरुशरण भा जी उर्फ़ भाई मन्ना सिंह भी उम्र के साथ चल बसे। फिर कैफ़ी आज़मी, शौकत आज़मी, शबाना आज़मी, जांनिसार अख्तर, जावेद अख्तर और साहिर लुधियानवी सरीखे प्रगतिशील कलमकारों और कलाकारों का रंगमंच काफिला बिखरता ही चला गया। 
इसी बीच तकनीकी विकास ने बेहद्द कमाल दिखाए लेकिन रंगमंच को इसका ज़्यादा फायदा नसीब न हुआ क्यूंकि समर्पित लोग एक एक करके उठते चले गए। जो बाकी बचे उनको बेरोज़गारी और गरीबी ने खा लिया। समाज ने रंगमंच के अंत का तमाशा अपनी आँखों से देखा और अब भी लगातार देख रहा है।  बहुत कम लोग बचे हैं जो अभी भी रंगमंच को एक आंदोलन की तरह चला रहे हैं। खालसा कालेज फॉर विमैन में आयोजित वर्कशाप वास्तव में उसी आंदोलन को मज़बूत करने का काम करेगी। इस वर्कशाप का आयोजन उन सभी के लिए खुशखबरी की तरह ही है। 
इस वर्कशाप में डा. मोहम्मद रफ़ी ने छात्राओं को नाटकों के साथ साथ अभिनय की बारीकियां भी समझाई। यहाँ गौरतलब है कि  नाटकों की दुनिया फिल्मों से अंतर सबंधित लगने के बावजूद बहुत से मामलों में काफी अलग भी है। यहाँ रीटेक का मौका नहीं मिलता। यहां भी मेकअप  होती है लेकिन फ़िल्मी जादू जैसा काम यहाँ नहीं चलता। ऐसा सम्भव भी नहीं। फिल्मों और नाटकों में यही अंतर नाटक को अधिक जीवंत भी बनाता है। यहाँ अभिनय की कुशलता अधिक ज़िम्मेदारी से निभानी पड़ती है। 
 डा. मोहम्मद रफ़ी ने सिर्फ कहा नहीं बल्कि अपनी टीम के साथ खुद भी अभिनय करके दिखाया। उनके साथ आये उनके सहयोगी आनंद अनु और पुष्पिंदर सिंह ने इस प्रेक्टिकल मंचन शिक्षा के दौरान पूरी तरह सक्रिय हो कर अभिनय की इस साधना को सबके सामने दिखाया। इस अवसर पर गुरु नानक नैशनल कालेज दोराहा से नाटकों की दुनिया के जानेमाने हस्ताक्षर डा. सोमपाल हीरा भी आये हुए थे जो विशेष अतिथि के तौर पर सुशोभित रहे। उन्होंने भी अपने अनुभवों को बहुत ही यादगारी अंदाज़ में बताया।  जी एच जी  खालसा कालेज सुधार के एजुकेशन विभाग की प्रमुख प्रोफेसर कंवलजीत कौर, लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी जालंधर से डा. सोना भी खास मेहमानों में थे। पंजाबी युनिवर्सिटी पटियाला के हरजिंदर सिंह भी विशेष तौर पर इस वर्कशाप में पहुंचे। उन्होंने युवक मेलों में रंगमंच की भूमिका पर विशेष तौर पर विस्तार से बताया। 
वर्कशाप के अंत में खालसा कालेज फॉर विमैन के पंजाबी विभाग की प्रमुख डा. परमजीत कौर पासी ने सभी मेहमानों का आभार व्यक्त किया। उन्होंने बताया कि इससे पहले 25 जनवरी 2020 को भी इसी तरह नाटक और रंगमंच पर वर्कशाप का आयोजन कराया गया था। भविष्य में भी ऐसे आयोजन होते रहेंगे। 
कालेज की प्रिंसिपल डा. मुक्ति गिल ने कालेज  विभाग  प्रयास की बहुत ही मधुर शब्दों में प्रशंसा की।   व्यक्त की इस तरह के  युवा वर्ग  आकर्षित और नाटकों की दुनिया हमारे लिए स्वस्थ समाज का निर्माण करने में सहायक होगी। उन्होंने भी आश्वासन दिया कि हम भविष्य में भी ऐसे आयोजन करवाते रहेंगे। 
उम्मीद है इस कि इस वर्कशाप का आयोजन थिएटर की आंदोलन को एक नई ऊर्जा और नया जीवन देगा। शायद शिक्षा संस्थानों में ऐसे आयोजनों का प्रचलन तेज़ भी हो सके। --कार्तिका सिंह