Wednesday, December 19, 2012

आरक्षण पर राजनीति//राजीव गुप्ता


इन्हे बस अपने–अपने वोट बैंक की चिंता
Tue, Dec 18, 2012 at 9:03 AM
                      यह तस्वीर समय लाईव से साभार 
राज्यसभा द्वारा सोमवार को भारी बहुमत से 117वाँ संविधान विधयेक के पास होते ही पदोन्नति मे आरक्षण विधेयक के पास होने का रास्ता अब साफ हो गया है. अब यह विधेयक लोकसभा मे पेश किया जायेगा. हलांकि इस विषय के चलते भयंकर सर्दी के बीच इन दिनो राजनैतिक गलियारो का तपमान उबल रहा था. परंतु इस विधेयक के चलते यह भी साफ हो गया कि गठबन्धन की इस राजनीति मे कमजोर केन्द्र पर क्षेत्रिय राजनैतिक दल हावी है. अभी एफडीआई का मामला शांत भी नही हुआ था कि अनुसूचित जाति एव जनजाति के लिये पदोन्नति मे आरक्षण के विषय ने जोर पकड लिया. एफडीआई को लागू करवाने मे सपा और बसपा जैसे दोनो दल सरकार के पक्ष मे खडे होकर बहुत ही अहम भूमिका निभायी थी, परंतु अब यही दोनो दल एक-दूसरे के विरोध मे खडे हो गये है. इन दोनो क्षेत्रीय दलो के ऐसे कृत्यो से यह एक सोचनीय विषय बन गया है कि इनके लिये देश का विकास अब कोई महत्वपूर्ण विषय नही है इन्हे बस अपने – अपने वोट बैंक की चिंता है कि कैसे यह सरकार से दलाली करने की स्थिति मे रहे जिससे उन्हे तत्कालीन सरकार से अनवरत लाभ मिलता रहे.
लेखक राजीव गुप्ता 
2014 मे आम चुनाव को ध्यान मे रखकर सभी दलो के मध्य वोटरो को लेकर खींचतान शुरू हो गयी है. उत्तर प्रदेश के इन दोनो क्षेत्रीय दलो के पास अपना – अपना एक तय वोट बैंक है. एक तरफ बसपा सुप्रीमो मायावती ने राज्यसभा अध्यक्ष हामिद अंसारी पर अपना विरोध प्रकट करते हुए यूपीए सरकार से अनुसूचित जाति एव जनजाति के लिये आरक्षण पर पांचवी बार संविधान संशोधन हेतु विधेयक लाने हेतु सफल दबाव बनाते हुए एफडीआई मुद्दे से हुई अपने दल की धूमिल छवि को सुधारते हुए अपने दलित वोट बैंक को सुदृढीकरण करने का दाँव चला तो दूसरी तरफ सपा ने उसका जोरदार तरीके से विरोध जता करते हुए कांग्रेस और भाजपा के अगडो-पिछडो के वोट बैंक मे सेन्ध लगाने का प्रयास कर रही है.इस विधेयक के विरोध मे उत्तर प्रदेश के लगभग 18 लाख कर्मचारी हडताल पर चले गये तो समर्थन वाले कर्मचारियो ने अपनी – अपनी कार्यावधि बढाकर और अधिक कार्य करने का निश्चय किया. भाजपा के इस संविधान संशोधन के समर्थन की घोषणा करने के साथ ही उत्तर प्रदेश स्थित उसके मुख्यालय पर भी प्रदर्शन होने लगे. सपा सुप्रीमो ने यह कहकर 18 लाख कर्मचारियो की हडताल को सपा-सरकार ने खत्म कराने से मना कर दिया कि यह आग उत्तर प्रदेश से बाहर जायेगी और अब देश के करोडो लोग हडताल करेंगे. दरअसल मुलायम की नजर अब एफडीआई मुद्दे से हुई अपने दल की धूमिल छवि को सुधारते हुए अपने को राष्ट्रीय नेता की छवि बनाने की है क्योंकि वो ऐसे ही किसी मुद्दे की तलाश मे है जिससे उन्हे 2014 के आम चुनाव के बाद किसी तीसरे मोर्चे की अगुआई करने का मौका मिले और वे अधिक से अधिक सीटो पर जीत हासिल कर प्रधानमंत्री बनने का दावा ठोंक सके.

मुलायम को अब पता चल चुका है कि दलित वोट बैंक की नौका पर सवार होकर प्रधानमंत्री के पद की उम्मीदवारी नही ठोंकी जा सकती अत: अब उन्होने अपनी वोट बैंक की रणनीति के अंकगणित मे एक कदम आगे बढते हुए अपने “माई” (मुसलमान-यादव) के साथ-साथ अपने साथ अगडॉ-पिछडो को भी साथ लाने की कोशिशे तेज कर दी है. उनकी सरकार द्वारा नाम बदलने के साथ-साथ कांशीराम जयंती और अम्बेडकर निर्वाण दिवस की छुट्टी निरस्त कर दी जिससे दलित-गैर दलित की खाई को और बढा दिया जा सके परिणामत: वो अपना सियासी लाभ ले सकने मे सफल हो जाये. दरअसल यह वैसे ही है जैसे कि चुनाव के समय बिहार मे नीतिश कुमार ने दलित और महादलित के बीच एक भेद खडा किया था ठीक उसी प्रकार मुलायम भी अब समाज मे दलित-गैर दलित के विभाजन खडा कर अपना राजनैतिक अंकगणित ठीक करना चाहते है.

कांग्रेस ने भी राज्यसभा मे यह विधेयक लाकर अपना राजनैतिक हित तो साधने के कोई कसर नही छोडा क्योंकि उसे पता है कि इस विधेयक के माध्यम से वह उत्तर प्रदेश मे मायावती के दलित वोट बैंक मे सेन्ध लगाने के साथ-साथ पूरे देश के दलित वर्गो को रिझाने मे वह कामयाब हो जायेंगी और उसे उनका वोट मिल सकता है. वही देश के सवर्ण-वर्ग को यह भी दिखाना चाहती है कि वह ऐसा कदम मायावती के दबाव मे आकर उठा रही है, साथ ही एफडीआई के मुद्दे पर बसपा से प्राप्त समर्थन की कीमत चुका कर वह बसपा का मुहँ भी बन्द करना चाहती है. भाजपा के लिये थोडी असमंजस की स्थिति जरूर है परंतु वह भी सावधानी बरतते हुए इस विधेयक मे संशोधन लाकर एक मध्य-मार्ग के विकल्प से अपना वोट बैंक मजबूत करने की कोशिश मे है. दरअसल सपा-बसपा के बीच की इस लडाई की मुख्य वजह यह है कि जहाँ एक तरफ मायावती अपने को दलितो का मसीहा मानती है दूसरी तरफ मुलायम अपने को पिछ्डो का हितैषी मानते है. मायवती के इस कदम से मुख्य धारा मे शामिल होने का कुछ लोगो को जरूर लाभ मिलेगा परंतु उनके इस कदम से कई गुना लोगो के आगे बढने का अवसर कम होगा जिससे समाजिक समरसता तार-तार होने की पूरी संभावना है परिणामत: समाज मे पारस्परिक विद्वेष की भावना ही बढेगी.

समाज के जातिगत विभेद को खत्म करने के लिये ही अंबेडकर साहब ने संविधान मे जातिगत आरक्षण की व्यवस्था की थी परंतु कालांतर मे उनकी जातिगत आरक्षण की यह व्यवस्था राजनीति की भेंट चढ गयी. 1990 मे मंडल कमीशन की रिपोर्ट लागू करने के निर्णय ने राजनैतिक दलो के राजनैतिक मार्ग को और प्रशस्त किया परिणामत: समूचा उत्तर प्रदेश इन्ही जातीय चुनावी समीकरणो के बीच फंसकर विकास के मार्ग से विमुख हो गया. इन समाजिक - विभेदी नेताओ को अब ध्यान रखना चाहिये कि जातिगत आरक्षण को लेकर आने वाले कुछ दिनो आरक्षण का आधार बदलने की मांग उठने वाली है और जिसका समर्थन देश का हर नागरिक करेगा, क्योंकि जनता अब जातिगत आरक्षण-व्यवस्था से त्रस्त हो चुकी है और वह आर्थिक रूप से कमजोर समाज के व्यक्ति को आरक्षण देने की बात की ही वकालत करेगी.

बहरहाल आरक्षण की इस राजनीति की बिसात पर ऊँट किस करवट बैठेगा यह तो समय के गर्भ में है, परंतु अब समय आ गया है कि आरक्षण के नाम पर ये राजनैतिक दल अपनी–अपनी राजनैतिक रोटियां सेकना बंद करे और समाज - उत्थान को ध्यान में रखकर फैसले करे ताकि समाज के किसी भी वर्ग को ये ना लगे कि उनसे उन हक छीना गया है और किसी को ये भी ना लगे कि आजादी के इतने वर्ष बाद भी उन्हें मुख्य धारा में जगह नहीं मिली है. तब वास्तव में आरक्षण का लाभ सही व्यक्ति को मिल पायेगा और जिस उद्देश्य को ध्यान मे रखकर संविधान में आरक्षण की व्यवस्था की गयी थी वह सार्थक हो पायेगा.      राजीव गुप्ता(9811558925)

आरक्षण पर राजनीति//राजीव गुप्ता

Saturday, December 15, 2012

आदर्श स्‍कूलों की स्‍थापना

नवम्‍बर 2008 में प्रति प्रखंड एक स्‍कूल की दर से देशभर में 6000 आदर्श स्‍कूलों की स्‍थापना के लिए केन्‍द्र प्रायोजित योजना की शुरूआत हुई थी। इसके तहत शैक्षिक रूप से पिछड़े प्रखंडों में राज्‍य/केन्‍्द्र शासित प्रदेश सरकारों के जरिए 3500 स्‍कूलों की स्‍थापना की जानी है और बाकी 2500 स्‍कूलों की स्‍थापना सरकारी-निजी भागीदारी प्रणाली के तहत की जानी है। 

योजना के तहत केंद्र सरकार को 24 राज्‍यों/केंद्रशासित प्रदेशों की ओर से 30.11.2012 तक 2973 प्रखंडों में आदर्श स्‍कूल खोलने के प्रस्ताव प्राप्‍त हुए। इनमें से 22 राज्‍यों के 2266 प्रखंडों में स्‍कूल खोले जाने को मंजूरी दे दी गई है। 21 राज्‍यों में 1880 आदर्श स्‍कूलों की स्‍थापना के लिए 2110.10 करोड़ रूपये मंजूर किए गए हैं। 8 राज्‍यो में ऐसे 473 आदर्श स्‍कूल शुरू कर दिए गए हैं। आदर्श स्‍कूल योजना को सरकारी निजी भागीदारी के तहत पूरा करने की प्रकिया भी शुरू हो गई है और इसके लिए निजी भागीदारों के चुनाव के लिए अहर्ता आग्रह के तहत प्रस्‍ताव आए हैं। 
यह जानकारी आज राज्‍यसभा में मानव संसाधन विकास राज्‍यमंत्री डॉ. शशि थरूर ने दी। (PIB) 14-दिसंबर-2012 19:04 IST
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विजयलक्ष्मी/अनिल/निर्मल—6129

मुस्‍लिम बहुल क्षेत्रों में कस्‍तूरबा गांधी बालिका विद्यालय

71 मुस्‍लिम बहुल जिलों में 544 केजीबीवी मंजूर किये गये
मानव संसाधन विकास राज्‍य मंत्री, डॉ शशि थरूर ने आज राज्‍य सभा में यह सूचित किया कि कस्‍तूरबा गांधी बालिका विद्यालय (केजीबीवी) योजना 2004 से प्रचलन में है। केजीबीवी रिहायसी स्‍कूल की पात्रता के लिए 2001 की जनगणना के अनुसार राष्‍ट्रीय औसत से नीचे रही ग्रामीण महिला साक्षरता से संबद्ध जिलों में पहचान किये गये शैक्षिक रूप से पिछडे़ ब्‍लॉक (ईबीबी) पात्र हैं बशर्ते कि‍ उन शैक्षि‍क रूप से पिछडे ब्‍लॉकों में सामाजिक न्‍याय और अधिकारिता मंत्रालय या जनजातीय कार्य मंत्रालय की किसी अन्‍य योजना के तहत लड़कियों के लिए उच्‍च प्राथमिक स्‍तर पर रिहायसी स्‍कूल न हो। 

30.09.2012 की स्थिति के अनुसार 71 मुस्‍लिम बहुल जिलों में 544 केजीबीवी मंजूर किये गये हैं। (PIB)
 14-दिसंबर-2012 19:51 IST


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वि.कासोटिया/यादराम/रामकिशन-6133

Tuesday, December 4, 2012

डाटा सुरक्षा और भारत-यूरोपीय संघ व्यापार वार्ता

           वाणिज्य पर *समीर पुष्प का विशेष लेख 
  कहा जाता है कि डाटा यानि आंकड़े व्यापार के लिए नए कच्चे माल जैसे हैं। यह एक नया ईंधन है, जिससे व्यापार आगे बढ़ता है और इस धरती पर आजीविका चलती है। प्रौद्योगिक उन्नति और वैश्वीकरण ने डाटा एकत्र करने, डाटा तक पहुंच और इसके इस्तेमाल के तरीकों को काफी बदल दिया है। टिम बर्नर्स ली का कहना है-डाटा एक मूल्यवान वस्तु है और प्रणालियों के मुकाबले यह ज्यादा समय तक कायम रहेगी।
जैसा कि हम जानते हैं कि भारत और यूरोपीय संघ के संबंध 1960 के दशक के शुरू में ही प्रारंभ हो गए थे। भारत उन पहले कुछ देशों में शामिल था, जिन्होंने तत्कालीन यूरोपीय आर्थिक समुदाय (ईईसी) के साथ कूटनयिक संबंध स्थापित किए थे। शुरू में ये संबंध व्यापार और आर्थिक मुद्दों से जुड़े हुए थे, लेकिन अब ये तेजी से बढ़कर सभी क्षेत्रों में सहयोग के संबंध बन गए हैं। दोनों पक्ष सामरिक साझेदारी पर सहमत हैं और उन्होंने एक संयुक्त कार्य योजना को स्वीकार किया है। आज यूरोपीय संघ हमारे सबसे बड़े व्यापारिक साझेदारों में से एक है, हमारे लिए प्रौद्योगिकी का एक महत्वपूर्ण स्रोत है और वहां बड़ी संख्या में प्रभावशाली भारतीय प्रवासी रहते हैं। व्यापार और निवेश अभी भी हमारे द्विपक्षीय संबंधों का महत्वपूर्ण पहलू बने हुए हैं, लेकिन इसके साथ ही इन संबंधों में बहुत गुणात्मक परिवर्तन आया है और दोनों पक्ष नई और उभरती चुनौतियों के प्रति एक समान दृष्टिकोण विकसित करने का प्रयास कर रहे हैं।
25 जनवरी, 2012 को यूरोपीय आयोग ने यूरोपीय संघ के 1995 के डाटा सुरक्षा नियमों में व्यापक सुधार का प्रस्ताव किया, ताकि डाटा के मामले में ऑनलाइन गोपनीयता के अधिकारों को मजबूत किया जा सके और यूरोप की डाटा आधारित अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाया जा सके। यूरोपीय संघ के 27 सदस्य देशों ने 1995 के नियमों को अलग-अलग ढंग से लागू किया था, जिससे इनमें अंतर आ गया था। अकेले एक कानून से मौजूद विभिन्नताओं और खर्चीली प्रशासनिक व्यवस्थाओं से बचा जा सकेगा, जिससे एक वर्ष में लगभग 2.3 अरब यूरो के व्यापार के लिए बचतें होंगी। इस कदम से ऑनलाइन सेवाओं में उपभोक्ताओं का विश्वास मजबूत बनाने में मदद मिलेगी, जिससे यूरोप के लिए अति आवश्यक विकास, नौकरियों और नवीकरण की परियोजनाओं को बढ़ावा मिलेगा।
भारत के सामने अपने मानव संसाधनों के लिए विदेशों में और विशेष रूप से यूरो जोन में कार्य के अवसर जुटाने तथा विभिन्न प्रकार के कानूनों से निपटने की समस्याएं आईं। भारत की अर्थव्यवस्था को सेवाओं की अर्थव्यवस्था समझा जाता है। पिछले एक दशक में भारतीय अर्थव्यवस्था में जो उच्च विकास दर प्राप्त की गई है, उसका कारण देश में सेवा क्षेत्र का विकास होना है। भारत के कुल व्यापार में सेवा क्षेत्र का योगदान लगभग 30 प्रतिशत है, निर्यात में लगभग 40 प्रतिशत है और आयात में इसका हिस्सा 25 प्रतिशत है। इसके कारण देश में 50 प्रतिशत से अधिक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश हुआ है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर देखा जाए, तो हाल के वर्षों में भारत ने सेवाओं के निर्यात में सबसे अधिक वृद्धि दर हासिल की। 2000-08 के वर्षों में औसतन वृद्धि दर 27 प्रतिशत रही, जबकि वैश्विक वृद्धि दर 14 प्रतिशत थी।
उपरोक्त मजबूती के कारण विश्व व्यापार संगठन – डब्ल्यूटीओ में और द्विपक्षीय मुक्त व्यापार समझौते में सेवाओं के बारे में हुई वार्ताओं में भारत की स्थिति ‘मांगकर्ता’ जैसी थी। इन वार्ताओं के पीछे उद्देश्य यही था कि हमें अपनी सेवाओं के निर्यात के लिए अधिकतम और प्रभावी बाजारों तक पहुंच हासिल हो सके। अपेक्षतया लाभ की स्थिति में होने के कारण सेवा क्षेत्रों में हमने अपने महत्वपूर्ण अनुरोधों में सीमापार आपूर्ति (मोड-एक) और स्वाभाविक रूप से आवश्यक लोगों को भेजने (मोड-चार) की उपयोगी शर्तों पर जोर दिया। भारत के लिए महत्वपूर्ण दिलचस्पी का एक क्षेत्र यह रहा कि योग्यताओं और लाइसेंस संबंधी आवश्यकताओं तथा प्रक्रियाओँ से संबंधित घरेलू नियमों में नए आयाम तय किए गए, जिनके बिना मोड चार को हासिल करने में भारी रुकावट आती थी।
नवम्बर 2012 में कराधान और कस्टम्स के यूरोपीय आयुक्त श्री अल्गीरदास सेमेता के साथ द्विपक्षीय बातचीत के दौरान केंद्रीय वाणिज्य, उद्योग और कपड़ा मंत्री श्री आनंद शर्मा ने भारत यूरोपीय संघ के बीच महत्वकांक्षी और संतुलित द्विपक्षीय व्यापार और निवेश समझौते को जल्दी संपन्न करने की आवश्यकता पर जोर दिया। श्री शर्मा ने कहा कि समझौते का संतुलित होना आवश्यक है और इसमें भारत की दिलचस्पी वाले क्षेत्रों जैसे, मोड-एक और मोड-चार के माध्यम से सेवाओं की उपलब्धता, कृषि बाजार तक पहुंच और व्यापार में तकनीकी बाधाओं पर नियंत्रण जैसे मुद्दों पर ध्यान दिया जाना चाहिए, ताकि प्रभावशाली बाजारों तक पहुंच के लिए उपलब्ध रियायतों का इस्तेमाल किया जा सके। उन्होंने कहा कि भारत यूरोपीय संघ के बीच द्विपक्षीय व्यापार और निवेश समझौते में समुचित संतुलन के लिए यह महत्वपूर्ण है।
श्री शर्मा ने इस बात पर जोर दिया कि पहुंच उपलब्ध कराने के लिए मोड-एक में भारत को डाटा सुरक्षा वाला पक्ष घोषित करने की आवश्यकता होगी। यूरोपीय संघ इस बात के मूल्यांकन के लिए अध्ययन कर रहा है कि भारत के कानून यूरोपीय संघ के निर्देश के अनुकूल हैं या नहीं। श्री शर्मा ने कहा कि यह हमारा स्पष्ट मत है हमारे मौजूदा कानून यूरोपीय संघ के मानदंडों को पूरा करते हैं। मैं आग्रह करूंगा कि भारत को डाटा सुरक्षा वाला देश घोषित करने के मुद्दे को जल्दी सुलझा लिया जाए, क्योंकि लगभग सभी बड़ी फार्च्यून-500 कंपनियों ने अपने महत्वपूर्ण डाटा के साथ भारत में विश्वास व्यक्त किया है।
भारत ने हाल में सुधार के कई कदम उठाए हैं। इनमें मल्टी ब्रांड खुदरा व्यापार क्षेत्र को विदेशी निवेशकों के लिए खोलना, सिंगल ब्रांड वाले उत्पादों के खुदरा व्यापार में एफडीआई के लिए शर्तों को लचीला बनाना, ऊर्जा की आदान-प्रदान व्यवस्था में एफडीआई की अनुमति देना, प्रसारण क्षेत्र में एफडीआई की सीमा को बढ़ाना और नागरिक उड्डयन क्षेत्र में विदेशी विमान सेवा कंपनियों के जरिए एफडीआई की अनुमति देना शामिल है। श्री शर्मा ने कहा कि इन उपायों से भारत अवसंरचना से लेकर खाद्य प्रसंस्करण, नवीकरणीय ऊर्जा, स्वच्छ प्रौद्योगिकी, जैव-प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य सेवाएं जैसे क्षेत्रों में निवेश की दृष्टि से एक पंसदीदा देश बन गया है। उन्होंने कहा कि यूरोपीय संघ 20 से अधिक देशों का संघ है और जिन क्षेत्रों में भारत को निवेश की आवश्यकता है, लगभग उन सभी क्षेत्रों में इन देशों की मजबूत स्थिति है। श्री शर्मा ने कहा कि यूरोपीय संघ के कई देश विनिर्माण उद्योगों के लिए आवश्यक हरित और स्वच्छ प्रौद्योगिकी सहित अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी विकास के मामले में विशेष रूप से सक्षम हैं। हालांकि यूरोपीय संघ के साथ तकनीकी सहयोग के लगभग 50 प्रतिशत मामलों में अनुबंध हैं, लेकिन विनिर्माण क्षेत्र की विभिन्न गतिविधियों में प्रौद्योगिकी हस्तांतरण को बढ़ाने की अभी और भी संभावनाएं हैं।
अप्रैल 2000 से जुलाई 2012 के बीच यूरोपीय संघ से भारत में 44.31 अरब अमरीकी डॉलर का सामूहिक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) हुआ, जबकि अप्रैल 2004 से अक्टूबर 2009 के बीच भारत की ओर से यूरोपीय संघ में प्रत्यक्ष निवेश लगभग 20 अरब डॉलर था।
श्री शर्मा ने यूरोपीय संघ के साथ बढ़ते द्विपक्षीय संबंधों पर भी प्रसन्नता व्यक्त की और कहा कि ये संबंध लोकतंत्र, व्यक्तिगत अधिकारों और सतत विकास के प्रति निष्ठा के एक समान मूल्यों पर आधारित हैं। वर्ष 2010 में भारत और यूरोपीय संघ के बीच 83.372 अरब अमरीकी डॉलर का व्यापार हुआ जो 2011 में 110.268 अरब डॉलर का हो गया। जनवरी से सितम्बर 2012 के नौ महीनों में 76.511 अरब अमरीकी डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार हुआ।
फार्मास्युटिकल्स और कृषि रसायनों जैसे क्षेत्रों के आंकड़ों में उत्पाद की सुरक्षा और उसकी प्रभावशीलता काफी महत्वपूर्ण है, इसलिए इन क्षेत्रों से संबंधित आंकड़ों की नियमन स्वीकृति प्राप्त करना और भी बड़ा और अधिक खर्चीला काम है। इसलिए इन क्षेत्रों के आंकड़ों को तैयार करने के लिए प्रोत्साहन देने की आवश्यकता है और यह निवेश को सुरक्षा प्रदान करके दिया जा सकता है। बौद्धिक संपदा अधिकार के व्यापार संबंधी पहलुओं पर समझौते के अनुच्छेद 39.3 में इन क्षेत्रों में इस प्रकार की सुरक्षा की आवश्यकता को बौद्धिक संपदा अधिकार माना गया है। इस अध्याय में बताया गया है कि कैसे कुछ क्षेत्रों ने और विशेष रूप से यूरोपीय समुदाय ने नियमन डाटा सुरक्षा व्यवस्था की आवश्यकता वाले इस समझौते को लागू किया है। यह सुरक्षा, पेटेंट प्रणाली में नहीं है, जो केवल आविष्कार के लिए सुरक्षा प्रदान करती है।
विश्व इस समय आर्थिक संकट से उबरने की ओर अग्रसर है। इस दृष्टि से यह हमारे लिए एक अवसर है कि हम एक महत्वपूर्ण आर्थिक शक्ति के रूप में अपनी क्षमता का निर्माण करें और उसे बढ़ाएं। विश्व के आर्थिक परिदृश्य में हाल के परिवर्तनों से पता चलता है कि विकास का केंद्र अब हमारे समय क्षेत्र में आ गया है। भारत के संसाधनों, इसके आकार और जनसंख्या की विशिष्टता से ऐसी स्थिति बनी है, जिसमें हम सेवा क्षेत्र से अधिक लाभ उठा सकते हैं और निश्चित रूप से इसका संबंध विकास से है। समय तेजी से बदल रहा है और विश्व भारत की ओर देख रहा है कि वह बदलती वैश्विक आर्थिक स्थिति के परिदृश्य में आर्थिक जीवन नौका के रूप में सक्रिय भूमिका अदा करे। कौशलयुक्त मानव संसाधनों का सशक्त आधार और लोगों की भागीदारी से भारत एक ऐसी ऊंची स्थिति में पहुंच सकता है, जिसके लिए वह बहुत लंबे समय से हकदार है।

(पीआईबी फीचर) 03-दिसंबर-2012 15:49 IST

*लेखक स्‍वतंत्र पत्रकार हैं।

नोटः इस लेख में व्‍यक्‍त विचार लेखक के अपने हैं और यह जरूरी नहीं है कि पत्र सूचना कार्यालय उनसे सहमत हो।          

मीणा/राजगोपाल/अर्जुन

Saturday, November 24, 2012

राष्‍ट्रीय मुक्‍त शिक्षा संस्‍थान के 24वें स्‍थापना दिवस

रजत जयंती वर्ष समारोह का  डॉ. एमएम पल्‍लम राजू  द्वारा उद्घाटन
राष्‍ट्रीय मुक्‍त शिक्षा संस्‍थान के 24वें स्‍थापना दिवस और रजत जयंती वर्ष समारोह के उद्घाटन के अवसर पर मानव संसाधन विकास मंत्री डॉ. एम. एम. पल्‍लम राजू ने कहा कि राष्‍ट्रीय मुक्‍त शिक्षा संस्‍थान (एनआईओएस) एक साधारण परियोजना से एक विशाल वटवृक्ष बन गया है, जो विभिन्‍न कारणों से औपचारिक स्‍कूल शिक्षा प्राप्‍त करने में असमर्थ रहे वंचितों की शैक्षिक आवश्‍यकताओं को पूरा करता है। भारत सरकार ने हमेशा ही गुणवत्‍तापूर्ण स्‍कूली शिक्षा उपलब्‍ध कराने के कार्य को महत्‍व दिया है और बच्‍चों के लिए मुफ्त एवं आवश्‍यक शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 का गठन किया है। इसके लिए उनके मंत्रालय ने सर्वशिक्षा अभियान और राष्‍ट्रीय माध्‍यमिक शिक्षा अभियान नामक दो फ्लैग‍शिप कार्यक्रम शुरू कर रखे हैं, जिनका उद्देश्‍य क्रम से प्राथमिक और माध्‍यमिक शिक्षा प्रदान करना है। सरकार शिक्षा के इस अधिनियम को माध्‍यमिक शिक्षा में लागू करने के लिए तैयार है। 

यह अनुमान है कि 14 से 16 वर्ष के आयु समूह के कम से कम 15 प्रतिशत बच्‍चे स्‍कूल स्‍तर पर खुली दूरस्‍थ शिक्षा प्रणाली के माध्‍यम से जुड़ जाएंगे। मुक्‍त शिक्षा प्रणाली वंचित समूह विशेष रूप से अनुसूचित जाति, जनजातियों, अल्‍पसंख्‍यकों, अन्‍य पिछड़े वर्गों और विभिन्‍नता से ग्रस्‍त अशक्‍त बच्‍चों के लिए सर्वशिक्षा उपलब्‍ध कराने के लिए एक पूरक और सहायक औपचारिक प्रणाली है। स्‍कूली शिक्षा की पहुंच का मूल दर्शन है, पहुंच से वंचितों तक इसकी पहुंच बनाना है। (PIb)
 23-नवंबर-2012 20:07 IST
राष्‍ट्रीय मुक्‍त शिक्षा संस्‍थान के 24वें स्‍थापना दिवस
वि.कासोटिया/इंद्रपाल/अजीत/तारा – 5504

Wednesday, November 21, 2012

स्‍वर्गीय श्री रामगोपाल जी माहेश्‍वरी की स्‍मृति में

राष्‍ट्रपति महोदय ने जारी किया  स्‍मारक डाक टिकट 
राष्‍ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी ने स्‍वर्गीय श्री रामगोपाल जी माहेश्‍वरी के जन्‍म शताब्‍दी वर्ष (नवम्‍बर 20, 2011 से नवम्‍बर 20, 2012) आरंभ होने के अवसर पर आज राष्‍ट्रपति भवन में आयोजित एक कार्यक्रम में स्‍मारक डाक टिकट जारी किया। इस अवसर पर अन्‍य गणमान्‍य लोगों के अलावा संचार और प्रौद्योगिकी राज्‍य मंत्री डॉ. श्रीमती कृपारानी किल्‍ली भी उपस्थित थीं। श्री रामगोपाल जी माहेश्‍वरी स्‍वतंत्रता सेनानी और एक प्रतिबद्ध सामाजिक कार्यकर्ता थे तथा उन्‍होंने हिन्‍दी के उत्‍थान के लिए अनथक प्रयास किए। (PIB)                              20-नवंबर-2012 19:27 IST
वि. कासोटिया/अरुण/दयाशंकर-5420

Thursday, September 27, 2012

दो दिवसीय अखिल भारतीय प्रशिक्षण का आयोजन

प्रशिक्षकों के अखिल भारतीय प्रशिक्षण का 70वां राउंड
सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्‍वयन मंत्रालय के अधीन राष्‍ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (एनएसएसओ) सामाजिक, आर्थिक सर्वेक्षण के लिए एनएसएस के 70वें राउंड हेतु प्रशिक्षकों के दो दिवसीय अखिल भारतीय प्रशिक्षण का आयोजन कर रहा है। एनएसएसओ और राज्‍यों के आर्थिक और सांख्यिकी निदेशालय 1 जनवरी, 2013 से एक वर्ष की अवधि के लिए क्रमश: केंद्र और राज्‍य नमूनों के 70वें राउंड सर्वेक्षण का आयोजन करेंगे। प्रशिक्षण कार्यक्रम का आज भारत के प्रमुख सांख्यिकीविद् प्रो.टीसीए अनंत और सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्‍वयन मंत्रालय के सचिव डॉ. सुदिप्‍तो मुंडल ने उद्घाटन किया। इसके कार्यक्रमों और अनुदेशों को सर्वेक्षण कार्यक्रमों की विस्‍तृत जांच और अन्‍य परिचालन पहलुओं के उद्देश्‍य से तैयार किया गया है। जिन पर सर्वेक्षण के दौरान प्रभावी कार्यान्‍वयन के लिए भागीदारों द्वारा विचार विमर्श किया जाएगा। प्रशिक्षण प्राप्‍त करने वाले प्रशिक्षक 1 जनवरी, 2013 को सर्वेक्षण शुरू होने से पहले ही विभिन्‍न राज्‍यों में आयोजित किये जाने वाले क्षेत्रीय प्रशिक्षण कैम्‍पों में क्षेत्र के कार्यकर्ताओं को इस बारे में प्रशिक्षण देंगे।
सर्वेक्षण के उद्देश्‍य और प्रयोजन इस प्रकार हैं:-

भूमि और पशुधन स्‍वामित्‍व- इस सर्वेक्षण का उद्देश्‍य भूमि क्षेत्र स्‍वामित्‍व और परिचालन क्षेत्र के साथ-साथ पशुधन स्‍वामित्‍व के विभिन्‍न पहलुओं का मूल्‍यांकन करना है। इसके विवरणों में क्षेत्र, स्‍वरूप, भूमि उपयोग प्रणाली, सिंचाई पद्धति और जल निकासी सुविधाएं आदि शामिल हैं।

ऋण और निवेश- इस सर्वेक्षण में घरेलू क्षेत्र में ऋण की मांग और आपूर्ति के दोनों पक्षों के अध्‍ययन का अवसर प्रदान किया गया है। परिसम्‍पतियों, आर्थिक गतिविधियों, ऋण प्रक्रिया के विवरणों और ग्रामीण तथा शहरी क्षेत्रों में ऋणग्रस्‍तता के मामलों के बारे में जानकारी इस सर्वेक्षण में एकत्र की जायेगी। 

कृषि जोत के मूल्‍यांकन की स्थिति- जीवन के अस्तित्‍व के लिए कृषि बहुत महत्‍वपूर्ण है क्‍योंकि भोजन और पोषण सुरक्षा के लिए इसका विकास आवश्‍यक है। देश के किसानों ने राष्‍ट्र को खाद्य और पोषण उपलब्‍ध कराने और लाखों लोगों की जीविका चलाने में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाई है। नियोजित आर्थि‍क विकास के 6 दशकों के दौरान देश खाद्य की कमी और आयात की विभीषिका से मुक्‍त होकर आत्‍मनिर्भर और निर्यात करने योग्‍य बना है। यह सर्वेक्षण किसान समुदाय की स्‍पष्‍ट तस्‍वीर उपलब्‍ध करायेगा। जिसमें सार्वजनिक नीति, विनिवेश, कृषकों की संसाधनों तक पहुंच में तकनीकी परिवर्तन और आय के साथ-साथ कृषि के घरेलू पहलुओं का विश्‍लेषण किये जाने का भी अनुमान है। यह सर्वेक्षण नागालैंड और अंडमान निकोबार द्वीप समूह के कुछ दुर्गम क्षेत्रों को छोड़कर पूरे भारत में किया जायेगा।

केंद्रीय सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्‍वयन मंत्रालय के अंतर्गत एनएसएसओ की स्‍थापना पूरे देश की सामाजिक, आर्थिक, जनसांख्यिकीय, औद्योगिक और कृषि सांख्यिकी से संबंधित विस्‍तृत और सतत जानकारी नमूना सर्वेक्षणों के माध्‍यम से प्राप्‍त करने के लिए 1950 में की गई थी। एनएसएसओ प्रत्‍येक वर्ष विभिन्‍न सामाजिक-आर्थिक विषयों पर एनएसएसओ राउंड के रूप में बड़े पैमाने पर न केवल नमूना सर्वेक्षण आयोजित करता है बल्कि औद्योगिक सांख्यिकी (उद्योगों का वार्षिक सर्वेक्षण), कृषि सांख्यिकी और खुदरा मूल्‍यों के क्षेत्र में भी महत्‍वपूर्ण सर्वेक्षणों का आयोजन करता है। {PIB}
(27-सितम्बर-2012 15:04 IST)

Tuesday, September 25, 2012

शिक्षा स्‍वास्‍थ्‍य का प्रमुख निर्धारक है

स्‍वस्‍थ छात्र शिक्षा को ज्‍यादा ग्रहण कर पाते हैं-गुलाम नबी आजाद
शिक्षा स्‍वास्‍थ्‍य के प्रमुख निर्धारकों में से एक है। यह पर्यावरण, स्‍वास्‍थ्‍य और स्‍वच्‍छता के मुद्दों के बारे में जागरूकता बढ़ाता है और बच्‍चों को भविष्‍य का जिम्‍मेदार नागरिक बनने के लिए उनके हित में कार्य करने के लिए प्रोत्‍साहित करता है। 

स्‍कूल स्‍वास्‍थ्‍य कार्यक्रम पर राष्‍ट्रीय परामर्श को संबोधित करते हुए केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य और परिवार कल्‍याण मंत्रालय श्री गुलाम नबी आजाद ने कहा कि राष्‍ट्रीय ग्रामीण स्‍वाथ्‍य मिशन के अंतर्गत स्‍कूल स्‍वास्‍थ्‍य कार्यक्रम मानव धन के स्‍वास्‍थ्‍य को बढ़ावा देता है और उसकी रक्षा करता है। यह तो सभी जानते हैं कि स्‍वस्‍थ छात्र शिक्षा को ज्‍यादा ग्रहण कर पाते हैं, जो प्राकृतिक तौर पर उनके ज्ञान को प्रभावित करता है। उन्‍होंने कहा कि 15 राज्‍यों ने पहले ही 2012-13 में स्‍कूल स्‍वास्‍थ्‍य कार्यक्रम को लागू करने के लिए समर्पित दलों को काम पर लगा दिया है। शेष राज्‍यों ने वर्तमान सार्वजनिक स्‍वास्‍थ्‍य संरचनाओं के माध्‍यम से इस कार्यक्रम को लागू करने की इच्‍छा जताई है। उन्‍होंने कहा कि एक बार समर्पित दलों के पूर्ण तौर पर सक्रिय हो जाने के बाद वे ‘स्‍कूल स्‍वास्‍थ्‍य कार्यक्रम प्‍लस’ के अंतर्गत आगनबाड़ी केंद्रों के माध्‍यम से प्री-स्‍कूल के बच्‍चों को शामिल करना चाहते हैं। 

श्री आजाद ने कहा कि वर्तमान सहयोग को मजबूत बनाने और भविष्‍य में नए संबंधों की तलाश करने की आवश्‍यकता है। उन्‍होंने कहा कि तरूण स्‍वास्‍थ्‍य कार्यक्रम और इसके विभिन्‍न घटक-स्‍कूल स्‍वास्‍थ्‍य कार्यक्रम, मासिक धर्म स्‍वच्‍छता योजना, साप्‍ताहिक आयरन और फॉलिक एसिड पूरक और एआरएचएस इस दिशा में कार्य कर रहे हैं। श्री आजाद ने कहा कि तरूणों के बेहतर स्‍वास्‍थ्‍य संबंधी व्‍यवहार को बढ़ावा देने के लिए तरूणों के लिए सम्मिलित योजना और स्‍वास्‍थ्‍य और शिक्षा कार्यक्रमों के बीच सक्रिय रणनीतियों का मेल मिलाप मृत्‍यु दर, रूग्‍णता और जनसंख्‍या स्थि‍रता समेत भारत के संपूर्ण स्‍वास्‍थ्‍य परिदृश्‍य में सुधार लाने में प्रमुख निर्धारक होगा। इस कार्यक्रम से लगभग 13 करोड़ तरूणों (स्‍कूल की लड़कियों और लड़कों और स्‍कूल के बाहर की लड़कियों) को फायदा होगा। उन्‍होंने कहा कि इसके बाद मासिक धर्म स्‍वच्‍छता को बढ़ावा देने की योजना को प्राथमिकता दी जाएगी। ग्रामीण क्षेत्रों में दस से 19 वर्ष की आयु की लड़कियों के बीच मासिक धर्म स्‍वच्‍छता में सुधार लाने के लिए सैनिटरी नैपकिनों के प्रयोग को बढ़ावा देने के लिए इस योजना को शुरू किया गया है। श्री आजाद ने कहा कि देश के 20 राज्‍यों में 152 जिलों में इस योजना को प्रयोग आधार पर पहले से ही चलाया जा रहा है। 

राष्‍ट्रीय परामर्श कार्यक्रम को केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री श्री कपिल सिब्‍बल ने भी संबोधित किया।  (PIB) 24-सितम्बर-2012 20:14 IST 

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