Friday, April 5, 2024

देश भगत विश्वविद्यालय में लुधियाना के प्रिंसिपलों का सम्मान

Friday: 5th April 2024 at 5:09 PM

जी-20 स्कूल कनेक्ट लीडरशिप सम्मेलन का हुआ यादगारी आयोजन 


लुधियाना
: 5 अप्रैल 2024: (शीबा सिंह//एजुकेशन स्क्रीन डेस्क)::

देश भगत विश्वविद्यालय ने आज लुधियाना में जी-20 स्कूल कनेक्ट लीडरशिप सम्मेलन पुरस्कार का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में डीबीयू द्वारा लुधियाना के प्रिंसिपलों को उनकी उल्लेखनीय उपलब्धि के लिए स्मृति चिह्न और प्रमाणपत्र देकर सम्मानित किया गया।

जी-20 कार्यक्रम में सभी प्रिंसिपलों ने पैनल चर्चा की। पैनल चर्चा में विभिन्न महत्वपूर्ण विषयों नई शिक्षा नीति को समझना, शिक्षा क्षेत्र में आगामी प्रौद्योगिकी का रुख, कक्षाओं में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस को सम्मिलित करना, छात्र कल्याण को प्राथमिकता देना, सक्रिय और प्रयोगात्मक शिक्षा विधियों को प्रोत्साहित करना, उद्यमिता शिक्षा को प्रोत्साहित करना, शिक्षा में वैश्विक चुनौतियों का सामना करते हुए रचनात्मकता और कौशल को बढ़ाने के साथ ही स्वास्थ्य और खेल शिक्षा को प्रोत्साहित करना रहा।

इससे पहले यहां आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में डीबीयू के उपाध्यक्ष डा. हर्ष सदावर्ती ऑनलाइन और फैक्लटी आफ सोशल साइंसेज एंड लंग्वेजेज के डायरेक्टर डा. दविंदर शर्मा पत्रकारों से रुबरु हुए। डा. हर्ष सदावर्ती ने प्रधानमंत्री मोदी द्वारा लागू की गई नई शिक्षा नीति के बारे में विस्तार से जानकारी दी। स्कूलों में टेक्नोलॉजी की भूमिका अहम है। अब विद्यार्थी लर्निंग के नए कंसेप्ट पर काम काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि डीबीयू स्टूडेंट्स की प्लेसमेंट के लिए प्रतिबद्ध है, इसके मद्देनजर जॉब फेयर लगाए जाते हैं, जिसमें देश के नामचीन ब्रांड शिरकत करते हैं। विद्यार्थियों के पढ़ाई के प्रति जुनून को देखते हुए पेरेंट्स भी सीरियस हो गए हैं, इससे इनके बाहर जाने के रुझान में कमी आएगी। डीबीयू में पैन इंडिया दस हजार विद्यार्थी शिक्षा ले रहे हैं, इसमें 25 देशों से करीब 700 विद्यार्थी हैं। शक्ति स्कॉलरशिप, जरूरतमंद, सिंगल गर्ल चाइल्ड जैसी कई तरह की स्कॉलरशिप यूनिवर्सिटी दे रही हैं, इनमें 200 से अधिक कोर्स कराए जा रहे हैं। डा. सदावर्ती ने आगे बताया कि डीबीयू अपने विद्यार्थियों को अपस्केल कर रही है। हम स्टूडेंट्स को नौकरी की चाह रखने वाला नहीं बल्कि जॉब प्रोवाइडर बनाना चाहते हैं।

जी20 स्कूल कनेक्ट लीडरशिप सम्मेलन में नेतृत्व, शिक्षा में नवाचार और सामुदायिक जुड़ाव से संबंधित शख्सियतों को पुरस्कृत किया गया। 

इनमें प्रिंसिपल डॉ. भरत दुआ, डॉ. वंदना शाही, ठाकुर आनंद सिंह, रमेश सिंह, अमरजीत कुमार, करुण कुमार जैन, किरणजीत कौर, कमलवीर कौर, कीर्ति शर्मा, हरमीत कौर वड़ैच, डॉ. मोनिका मल्होत्रा, डॉ. नीतू शर्मा, पूनम शर्मा, अर्चना श्रीवास्तव, पूनम मल्होत्रा, रमन ओबेरॉय, डॉ. नवनीत कौर, पंकज कौशल, डॉ. संजीव चंदेल, डॉ. मनीषा गंगवार, नीरू कौड़ा, सिमर गिल, गुरमंत कौर गिल और बंदना सेठी जैसी विशिष्ट शख्सियतों को उनके असाधारण योगदान के लिए सम्मानित किया गया।  

Monday, February 26, 2024

ग्रुप कैप्टन अमर जीत सिंह ग्रेवाल का निधन-SCD में शोक लहर

सोमवार 26 फरवरी 2024 को शाम 07:17 बजे

उन्होंने पहली बार ‘द स्टेट्समैन’ के साथ फ्रीलांस काम किया 


लुधियाना
: 25 फरवरी 2024: (ब्रज भूषण गोयल//एजुकेशन स्क्रीन डेस्क)::

एससीडी सरकारी कालेज लुधियाना के पूर्व छात्र संघ (एलुमनाई) ने समूह कप्तान अमर जीत सिंह ग्रेवाल के निधन की शोक व्यक्त की है, जिनका संक्षिप्त बीमारी के बाद 23 फरवरी 2024 को निधन हो गया. विलेज किला रायपुर में जन्मे उन्होंने 1951 में कॉलेज में अंग्रेजी में अपनी पोस्ट ग्रेजुएशन की और पत्रकारिता में एक कोर्स के बाद, उन्होंने पहली बार ‘ द स्टेट्समैन ’ के साथ फ्रीलांस के तौर पर काम किया। इस तरह वह सक्रिय पत्रकारिता के साथ भी जुड़े रहे। 

कॉलेज के प्रिंसिपल मंजीत सिंह संधू के एक पुराने छात्र ने उनके देहांत की सूचना देते हुए कहा, “ग्रुप कैप्टन ग्रेवाल को 1953 में भारतीय वायु सेना में नियुक्त किया गया था जहां उन्होंने 1979 तक देश की जोशो खरोश के साथ सेवा की थी। 

कॉलेज का यह शानदार पूर्व छात्र 1960 में माउंट एवरेस्ट पर भारत के पहले अभियान का हिस्सा भी था और वर्ष 1973-1977 तक पर्वतारोहण संस्थान दार्जिलिंग के प्रिंसिपल के पद तक बढ़ गया था. वह पर्वतारोहण, उत्तारकाशी के प्रधान नेहरू संस्थान भी बने. सेवानिवृत्ति के बाद वह 1979 से 1991 तक प्रिंसिपल पीपीएस नभा थे और 1988 से 1991 तक दशमेश अकादमी, श्री आनंदपुर साहिब के अतिरिक्त प्रभार में रहे. उनके शौक में फोटोग्राफी, ट्रेकिंग, पत्रकारिता और शूटिंग शामिल थे. वह रॉयल जियोग्राफिकल सोसाइटी, लंदन के फेलो और अल्पाइन क्लब, लंदन ” के सदस्य थे। 

श्री संधू ने उन क्षणों को याद किया जब वह दशमेश अकादमी में उनसे मिले और उनकी मृत्यु को एक युग का अंत कहा. एस. किला रायपुर के जियान सिंह सरपंच भी एक पुराने छात्र थे, जो उनकी मृत्यु के शोक में शामिल हुए और कहा कि ग्रेवाल ने उनकी उपलब्धियों पर गर्व किया.    

श्री ग्रेवाल के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए, पूर्व छात्र संघ के समन्वयक, ऑर्ग सचिव-समन्वयक, ब्रज भूषण गोयल ने कहा कि उनके कॉलेज ने छात्रों की एक मजबूत सरणी तैयार की है, जो उत्कृष्ट प्रशासनिक और सेना के पदों पर बने रहे और देश में व्यवसायों में भी सफल रहे। विश्व स्तर पर भी. कॉलेज को पूर्व छात्र डेटाबेस को मजबूत करने की आवश्यकता है ताकि नई पीढ़ियों को कॉलेज की समृद्ध विरासत का पता चले। 

उनकी जीवन यात्रा और इस कालेज के साथ संबंधों का विवरण देते हुए श्री गोयल ने बताया कि मैंने पंजाब सरकार से 6500 की ताकत के इस कॉलेज के संकाय बुनियादी ढांचे को और अधिक गंभीरता से मजबूत करने का अनुरोध किया, जो इस तरह के शानदार दिमाग देने का वादा करता है, बशर्ते कि यह अपनी तत्काल जरूरतों के अनुसार ईमानदारी से समर्थित हो. Gp Cap.AJS Grewal जैसे पूर्व छात्रों का जीवन और समय हमेशा पोस्टरिटी को प्रेरित करेगा। 

इस मौके पर श्री ग्रेवाल के बेटे के एस ग्रेवाल ने कहा कि उनके पिता हमेशा लुधियाना में अपने अल्मा मेटर से मिलने के लिए तड़पते रहते थे। उनका इस कालेज और पूर्व छात्रों के साथ बेहद लगाव रहा। 

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Sunday, February 11, 2024

PEC के 1988 बैच ने PEC को दान दिए 2 ई-वाहन

Saturday10th February 2024 at 9:08 PM

दोनों ई-वाहनों की चाबियाँ सौंपी गई माननीय निदेशक, प्रोफेसर (डॉ.) बलदेव सेतिया को 


चंडीगढ़: 10 फरवरी 2024: (शीबा सिंह//एजुकेशन स्क्रीन डेस्क)::

जब शिक्षा दीक्षा पूर्ण हो जाती है तब उस शिक्षा से मिला फायदा ज़िंदगी को कामयाबी दिलाता है। उस कामयाबी से दौलत भी मिलती है और शोहरत भी। उस दौलत में से बहुत से लोग दसवंद अर्थात दशम हिस्सा निकाल कर धर्म स्थलों के लिए दान स्वरूप निकालते हैं। इसी भावना से बहुत से छात्र भी अपने उन शिक्षा संस्थानों के लिए दान देते हैं जहाँ से उन्हें ज़िंदगी जीने के लिए आवश्यक ज्ञान मिलता है। PEC अर्थात पंजाब इंजिनयरिंग कालेज के छात्रों ने भी अपने इस पावन पवित्र शिक्षा के मंदिर के लिए दान निकाला जिसकी चर्चा भी काफी हुई। लोगों ने इसकी प्रशंसा भी की। 

पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज (मानित विश्वविद्यालय), चंडीगढ़ के 1988 बैच ने आज 10 फरवरी, 2024 को PEC के माननीय निदेशक प्रो. (डॉ.) बलदेव सेतिया जी के साथ डॉ. सुशांत समीर (बैच 88'), चेयरमैन एस्टेट और डॉ. राजेश कांडा (बैच 91'), एलुमनाई एंड कॉर्पोरेट रिलेशन्स प्रमुख की उपस्थिति में संस्थान को 2 ई-वाहन (1 ई-स्कूटर और 1 ई-कार्ट) दान किए।

इस बैच में 62 स्नातक शामिल हैं, जो कि 1988 में संस्थान से उत्तीर्ण हुए थे। अपनी मातृ संस्था के प्रति हार्दिक कृतज्ञता और पुरानी यादों का आदान-प्रदान करने के लिए, उन्होंने प्यार का यह छोटा सा तोहफ़ा आज भेंट किया। 

उन्होंने कहा, कि यह पूर्व छात्रों और अल्मा मेटर के बीच संबंधों को सहज और मजबूत करेगा। एक अन्य बैच साथी ने कहा, कि उन्होंने 5000/- रुपये प्रति व्यक्ति, का योगदान देने का फैसला किया, ताकि इस कंट्रीब्यूशन को और अधिक समावेशी बना सकें और अपनेपन की भावना को पोषित कर सकें।

निदेशक, प्रोफेसर (डॉ.) बलदेव सेतिया जी ने 1988 के सभी बैचमेट्स के प्रति अपना आभार व्यक्त किया। उन्होंने संस्थान का अभिन्न अंग रहते हुए संस्थान के लिए उनकी समर्पित सेवाओं के लिए विशेष रूप से डॉ. सुशांत समीर को धन्यवाद दिया। उन्होंने उन्हें 'मैन फ्राइडे' भी कहा। उन्होंने नकद के बजाय वस्तु के रूप में कुछ प्रदान करने की पूर्व छात्रों की इस गहरी सोच की सराहना भी की।

तत्पश्चात, दोनों ई-वाहनों की चाबियाँ माननीय निदेशक, प्रोफेसर (डॉ.) बलदेव सेतिया जी के साथ डॉ. सुशांत समीर और डॉ. राजेश कांडा को सौंपी गईं।

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Wednesday, January 31, 2024

PEC में एक और विशेष ज्ञान सेशन का आयोजन

Wednesday  31st January 2024 at 3:26 PM 

डॉ. साकेत चट्टोपाध्यायने बताए "ट्रांसलेशनल रिसर्च एंड एंटरप्रेन्योरशिप" पर विशेष गुर 


चंडीगढ़: 30 जनवरी 2024:(शीबा सिंह//एजुकेशन स्क्रीन)::

पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज (मानित विश्वविद्यालय), चंडीगढ़ के इलेक्ट्रॉनिक्स और संचार इंजीनियरिंग विभाग ने आज 31 जनवरी, 2024 को फाउंडेशन फॉर इनोवेशन एंड टेक्नोलॉजी स्थानांतरण, आईआईटी दिल्ली के बिजनेस डेवलपमेंट के वरिष्ठ प्रबंधक डॉ. साकेत चट्टोपाध्याय द्वारा "ट्रांसलेशनल रिसर्च एंड एंटरप्रेन्योरशिप" पर एक ज्ञान सत्र का आयोजन किया। डॉ. साकेत चट्टोपाध्याय के पास एक उद्यमी और प्रेरक वक्ता के रूप में 15 वर्षों का अनुभव है।

सत्र के दौरान, डॉ. साकेत चट्टोपाध्याय ने महत्वपूर्ण चुनौतियों का समाधान करते हुए नवीन विचारों के विकास को बढ़ावा देने और फार्मा, चिकित्सा उपकरणों, स्वास्थ्य देखभाल, निदान, औद्योगिक बायोटेक, कृषि और पर्यावरण जैसे क्षेत्रों को प्रभावित करने वाली प्रौद्योगिकियों को विकसित करने के लिए नवप्रवर्तकों को प्रेरित करने पर ध्यान केंद्रित किया। सत्र का फोकस बीआईआरएसी के बायोटेक्नोलॉजी इग्निशन ग्रांट (बीआईजी) पर था, जो छात्रों, शिक्षकों, स्टार्टअप और उद्यमियों को व्यावसायीकरण क्षमता के साथ अपने इनोवेटिव विचारों पर काम करने के लिए 50 लाख रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान करता है।

प्रश्नोत्तरी और उपस्थित सदस्यों के साथ बातचीत के साथ सत्र आगे बढ़ा। इस विशेष सत्र में संकाय सदस्यों, अनुसंधान विद्वानों, इनक्यूबेटेड स्टार्टअप और PEC के छात्रों ने भाग लिया।

Monday, December 18, 2023

PEC में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेनल शुरू

18th December 2023 at 5:26 PM   

AI को लेकर विश्व विख्यात वक्ताओं ने शुरू की गंभीर चर्चा 

 *प्रो. (डॉ.) बृज भूषण गुप्ता, एशिया यूनिवर्सिटी, ताइवान से पहुंचे 

*डॉ. प्रियंका चौरसिया, अल्स्टर यूनिवर्सिटी, यूके ने महिला पक्ष को भी सामने रखा 

चंडीगढ़: 18 दिसंबर 2023: (के के सिंह//एजुकेशन स्क्रीन):: 

पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज, (डीम्ड यूनिवर्सिटी), चंडीगढ़ के कंप्यूटर साइंस और इंजीनियरिंग विभाग द्वारा आज आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, कंप्यूटिंग टेक्नोलॉजीज, इंटरनेट ऑफ थिंग्स और डेटा एनालिटिक्स (एआईसीटीए-2023) पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारंभ किया गया। इस उद्घाटन समारोह में  मुख्य अतिथि के तौर पर प्रोफेसर (डॉ.) एस.के. सिंह, आईआईटी-बीएचयू; प्रो. (डॉ.) बृज भूषण गुप्ता, एशिया यूनिवर्सिटी, ताइवान; डॉ. प्रियंका चौरसिया, अल्स्टर यूनिवर्सिटी, यूके, उपस्थित थे। PEC के निदेशक, प्रो. (डॉ.) बलदेव सेतिया जी के साथ इस सम्मलेन के आयोजन अध्यक्ष डॉ. पूनम सैनी और आयोजन सचिव डॉ. मनीष कुमार ने अपनी शुभ उपस्थिति से इस अवसर की शोभा बढ़ाई। यह त्रिदिवसीय सम्मेलन इंटरनेशनल सेंटर फॉर एआई एंड साइबर सिक्योरिटी रिसर्च एंड इनोवेशन, एशिया यूनिवर्सिटी, ताइवान के साथ तकनीकी सह-प्रायोजन में आयोजित किया गया है।

इस आयोजन के अध्यक्ष और एसोसिएट प्रोफेसर, डॉ. पूनम सैनी ने कहा कि भारत और अंतरराष्ट्रीय स्तर के विद्वानों द्वारा सम्मेलन मंच पर प्रस्तुत किए गए 290 पत्रों में से 65 समीक्षकों द्वारा गुणवत्ता जांच में उत्तीर्ण हुए हैं और स्प्रिंगर द्वारा अपने  प्रतिष्ठित "लेक्चर नोट्स इन नेटवर्क्स एंड सिस्टम्स (एलएनएनएस)" श्रृंखला में प्रकाशन के लिए स्वीकार किए गए हैं। उन्होंने एआईसीटीए-2023 (AICTA - 2023) को सार्थक बनाने के लिए सम्मेलन के सभी प्रतिनिधियों और वक्ताओं को धन्यवाद दिया।

आयोजन के सचिव डॉ. मनीष कुमार ने सम्मेलन के बारे में दर्शकों को जानकारी दी। उन्होंने कहा, कि यह सम्मेलन शिक्षा और उद्योग को एक साथ लाने का एक प्रचार-प्रसार मंच है। आज पहले दिन डॉ. प्रियंका चौरसिया, अल्स्टर यूनिवर्सिटी, यूके की अध्यक्षता में  '' वीमेन इन कंप्यूटिंग '' थीम पर केंद्रित एक प्री-वर्कशॉप भी करवाई जा रही है। इसके बाद अगले दो दिन, डेटा साइंस, आईओटी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर तीन ट्रैकों में पेपर प्रस्तुतियों के माध्यम से नए विचारों को साझा करने पर बढ़ावा देने का प्रयास किया जाएगा।

इसके साथ ही, डॉ. त्रिलोक चंद, एचओडी, सीएसई; ने कहा कि AICTA-2023 आयोजित करने पर वह ख़ुद को सम्मानित महसूस कर रहे हैं। उन्होंने इस सम्मेलन को एक बौद्धिक प्रेरक अनुभव बनाने और PEC के भविष्य के विकास में योगदान देने के लिए आयोजन टीम, प्रतिनिधियों, मुख्य वक्ताओं और विशेष रूप से निदेशक प्रोफेसर बलदेव सेतिया को तहेदिल से धन्यवाद दिया।

मुख्य अतिथि प्रोफेसर एस.के. सिंह ने आम जनता के दैनिक जीवन में आईओटी, डेटा विश्लेषण और एआई के उपयोग का निरीक्षण करने के लिए कुछ उदाहरण भी साझा किए। उन्होंने ये भी कहा, कि स्मार्ट उपकरणों को संभालने के लिए आपको स्मार्ट और बौद्धिक तौर पर समृद्ध भी होना होगा। इन उपकरणों को अपने ऊपर हावी न होने दें। अंत में, उन्होंने आयोजक टीम को तीन दिवसीय  एआईसीटीए-2023  बनाने के लिए शुभकामनाएं भी दीं।

पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज के निदेशक प्रोफेसर बलदेव सेतिया ने संस्थान के कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग विभाग को बधाई दी और उल्लेख किया कि यह विभाग हमेशा सर्वश्रेष्ठ इंजीनियरिंग उम्मीदवारों को आकर्षित करता है और तकनीकी परिवर्तनों को बढ़ावा देने और अपनाने में हमेशा अग्रणी रहा है। उन्होंने ये भी कहा कि, 'यह सम्मेलन इस विभाग के लिए एक बड़ी कामयाबी है। उन्होंने PEC के गौरवशाली इतिहास के बारे में भी जानकारी दी। उन्होंने कहा, कि हम पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में विकसित भारत @2047 के राष्ट्रीय एजेंडे के साथ काम कर रहे हैं। अंत में, उन्होंने कहा, कि यह सम्मेलन इस देश और पूरी दुनिया में उपजे मुद्दों से निपटने में मदद करेगा।

एशिया यूनिवर्सिटी, ताइवान से प्रोफेसर (डॉ.) ब्रिज बी गुप्ता इस सम्मेलन में तकनीकी सह-प्रायोजक भी हैं। वह ताइवान में एआई और साइबर सुरक्षा केंद्र के निदेशक हैं। आज, उन्होंने ये एलान किया, कि ताइवान में एआई और साइबर सुरक्षा केंद् PEC के सहयोग से छात्रों की इंटर्नशिप, संकाय विनिमय कार्यक्रम में सहायता करेंगे और अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों में कार्यशालाएं भी आयोजित करेंगे।

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Sunday, December 17, 2023

PEC में त्रिदिवसीय AICTA कांफ्रेंस 18 से 20 दिसंबर 2023

17th December 2023 at 12:05 PM

आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस से बदलती दुनिया और नई चुनौतियां भी 


चंडीगढ़
: 17 दिसंबर, 2023: (के के सिंह//एजुकेशन स्क्रीन डेस्क)::

कोई ज़माना था जब दिमाग तेज़ करने के लिए ड्राई फ्रूट्स और टॉनिक खाए जाते थे। धीरे धीरे दिमाग और बुद्धिमता इतने तेज़ हुए कि दुनिया दंग रह गई। फिर कम्प्यूटर बनें और रोबॉट्स भी बने। अब इसी बौद्धिक क्षमता ने कृत्रिम बुद्धिमता भी बना दी है। आने वाले निकट भविष्य में इंसानी क्षमता और कृत्रिम बुद्धिमता का आपसी संबंध कैसा रहने वाला है इसे ले कर बहुत कुछ कहा सुना भी जा रहा है। इस कृत्रिम बौद्धिक शक्ति से ईमेल से लेकर कविता, कहानी और रिपोर्ट तक बहुत कुछ लिखा जा रहा है। 

कुछ बरस पहले लिखीं  छपी और पढ़ी गई कहानियां और नावल अब सच हो कर सामने आने लगे हैं। शायद अब इस कृत्रिम बुद्धिमता को आने वाले लम्बे समय तक संभाल कर भी रखा जा सके। ऐसे बहुत से सवाल अगर आपके मन भी हैं तो आपको इस कृत्रिम बुद्धि को और नज़दीक हो कर देखना चाहिए। ऐसा मौका प्रदान कर रहा है पंजाब इंजीनियर कालेज चंडीगढ़। 

पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज, चंडीगढ़ के कंप्यूटर साइंस और इंजीनियरिंग विभाग, द्वारा 18, 19 और 20 दिसंबर, 2023 को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, कंप्यूटिंग टेक्नोलॉजीज, इंटरनेट ऑफ थिंग्स और डेटा एनालिटिक्स (AICTA) नामित एक बहुप्रतीक्षित अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन होने जा रहा है। यह सम्मेलन इंटरनेशनल सेंटर फॉर एआई एंड साइबर सिक्योरिटी रिसर्च एंड इनोवेशन, एशिया यूनिवर्सिटी, ताइवान के साथ तकनीकी सह-प्रायोजन में आयोजित किया जा रहा है।

इस कांफ्रेंस व् सम्मेलन के आयोजन के अध्यक्ष और एसोसिएट प्रोफेसर, डॉ. पूनम सैनी जी ने कहा, कि एआईसीटीए 2023 का उद्देश्य कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग के विभिन्न डोमेन जैसे आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, डीप लर्निंग, क्लाउड कंप्यूटिंग, नेटवर्किंग और डेटा एनालिटिक्स के रीसेंट रुझानों (ट्रेंड्स) और नवीन दृष्टिकोणों पर विचार-विमर्श के लिए एक प्रेरक मंच प्रदान करना है। यह सम्मेलन ज्ञान और वैज्ञानिक अनुसंधान कार्यों को साझा करने और प्रसारित करने, सामने आने वाली व्यावहारिक चुनौतियों और अपनाए गए समाधानों पर चर्चा को बढ़ावा देने के लिए विविध शिक्षाविदों, वैज्ञानिकों और छात्रों को एक साथ लाने का प्रयास करना ही इस उद्देश्य है।

इस आयोजन के सचिव डॉ. मनीष कुमार ने कहा कि पहले दिन प्री-वर्कशॉप थीम ''वीमेन इन कंप्यूटिंग'' पर केंद्रित है, जिसका उद्देश्य महिला शोधकर्ताओं को  अपने लेख प्रस्तुत करने के लिए एक सामूहिक मंच प्रदान करना है, यह सेशन अल्स्टर यूनिवर्सिटी, यूके से आई डॉ. प्रियंका चौरसिया की अध्यक्षता में आयोजित एक विशेष सत्र में किया जायेगा। अगले दो दिन डेटा साइंस, आईओटी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस नामक तीन समानांतर ट्रैकों में पेपर प्रस्तुतियों के माध्यम से नवीन विचारों को साझा करने को बढ़ावा देने का प्रयास किया जाएगा। 

इसके साथ ही पूरे सम्मलेन के कीनोट स्पीकर्स  तौर पर आईआईटी-बीएचयू से प्रोफेसर एस.के. सिंह; एशिया यूनिवर्सिटी, ताइवान से प्रोफेसर बृज बी. गुप्ता; IEEE, USA के प्रेजिडेंट थॉमस कफ़लिन; सिटी यूनिवर्सिटी, होन्ग कोंग से प्रोफेसर किम-फुंग त्सांग; सालेर्नो विश्वविद्यालय, इटली से प्रोफेसर फ़्रेंसेस्को पामिएरी और मैक्वेरी विश्वविद्यालय, ऑस्ट्रेलिया से प्रोफेसर माइकल शेंग इस कांफ्रेंस का हिस्सा बनेंगें। इसके साथ ही, गूगल और एयरबस के विशेषज्ञ, वर्तमान टेक्नोलॉजीज और इंडस्ट्री के रुझानों से प्रतिभागियों को रु-ब-रु करवायेंगें।  

स्टूडेंट कोऑर्डिनेटर के तौर पर सीएसई के अंतिम वर्ष के छात्र, जतिन चुघ और भरत ने बताया कि पूरे भारत और अंतरराष्ट्रीय स्तर के विद्वानों द्वारा सम्मेलन मंच पर प्रस्तुत किए गए 290 पत्रों में से 65 समीक्षकों द्वारा गुणवत्ता जांच में उत्तीर्ण हुए हैं और स्प्रिंगर द्वारा उनकी प्रतिष्ठित "लेक्चर नोट्स इन नेटवर्क्स एंड सिस्टम्स (एलएनएनएस)" श्रृंखला में प्रकाशन के लिए स्वीकार किए गए हैं।

इसी के साथ सीएसई के एचओडी प्रोफेसर त्रिलोक चंद ने विभिन्न इंजीनियरिंग संस्थानों के शोधकर्ताओं के बीच सहयोग बढ़ाने के लिए इस तरह के प्रौद्योगिकी-संचालित कार्यक्रमों की व्यवस्था के महत्व पर प्रकाश भी डाला।

पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज के निदेशक प्रोफेसर बलदेव सेतिया जी ने विभाग को बधाई दी और उल्लेख किया कि संस्थान के कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग ने हमेशा सर्वश्रेष्ठ इंजीनियरिंग उम्मीदवारों को आकर्षित किया है और तकनीकी परिवर्तनों को बढ़ावा देने और अपनाने में अग्रणी रहा है। उन्होंने बताया कि विभाग ने डेटा साइंस और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में दो नए स्नातक कार्यक्रम शुरू किए हैं और दोनों कार्यक्रमों को बहुत अच्छी प्रतिक्रिया मिली है। अंततः उन्होंने कहा कि यह सम्मेलन ज्ञान साझा करने में हमारे संबंधों को मजबूत करने के साथ-साथ संयुक्त अनुसंधान सहयोग में आवश्यक जोर प्रदान करने के लिए एक मंच के रूप में भी काम करेगा।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को लेकर एक यक्ष प्रश्न यह भी कि क्या इस के ज़ोर पकड़ने पर व्यक्ति की वास्तविक बुद्धि की स्वतंत्रता खतरे में तो नहीं जाएगी? जिस दिन यह नियंत्रण से बाहर होती नज़र आई उस दिन के लिए क्या क्या किया जा सकता है?

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Sunday, November 26, 2023

अंगदान अभियान से हो सकती पुनर्जन्म के करिश्मे की शुरुआत

महर्षि दधीचि की क़ुरबानी को आगे बढ़ाया अब पीजीआई ने 


चंडीगढ़
: 26 नवंबर 2023: (कार्तिका कल्याणी सिंह //एजुकेशन स्क्रीन)::

पीजीआई ने हाल ही में एक विशेष आयोजन के ज़रिए कुछ ख़ास मानवीय जिम्मेदारियों की तरफ ध्यान दिलाया है। इस आयोजन को देख सुन कर कुछ चिंताएं भी मन में उठती हैं और कभी कभी आत्मग्लानि सी भी महसूस होती है।  यही भावना खुद पर भी और समाज के एक बहुत बड़े वर्ग तक भी जो इस तरफ से अभी तक उदासीन है। हम मृत्यु के बाद देह को व्यर्थ में नष्ट कर डालते हैं जबकि वह बहुत से जीवन बचाने के काम भी आ सकती है। इसी अभियान की सफलता से एक दिन मानव को मृत्यु पर विजय दिलाने का मिशन भी सफल हो सकता है। अंगदान अब बेहद ज़रूरी हो गया  है और यह सब बेहद  आसान भी है। 

विकास और शिक्षा के नाम पर हम जो भी कहते रहें लेकिन हकीकत यही है कि हम आज भी ज़िंदगी और जीवित लोगों की वह कदर नहीं करते जो की जानी चाहिए। बहुत से लोग सड़क हादसों जा विभिन्न बीमारियों की वजह से अस्पताल पहुंचते हैं। उनके इलाज के लिए बहुत बार बहुत से अंगों की ज़रूरत पड़ती है। देश में इस मकसद के लिए जितनी मांग है उसके हिसाब से केवल दस फीसदी की ही पूर्ति हो पाती है। 

यदि अंगदान की इस दर को बढ़ाया जा सके तो बहुत से लोगों को स्वस्थ जीवन प्रदान करना काफी हद तक सहज हो सकेगा। पीजीआई में हुए एक विशेष आयोजन ने इस तरफ विशेष ध्यान आकर्षित किया है। इसमें इस दिशा में हुए विकास का विस्तृत विवरण भी मिला। इन्हें में से एक है जिसे एनआरपी तकनीक कहा जाता। 

इस तकनीक के अंतर्गत मर चुके अंगों को पुर्नजीवित किया जाता है। यदि यह तकनीक और सफल होती है तो शायद किसी दिन मौत पर भी विजय पाई जा सके। इस तकनीक के चलते खून और ऑक्सीजन देकर मृत अंगों को पुनर्जीवित किया जाता है और फिर उन्हें ज़रूरतमंद मरीज़ों के शरीर में सफलता के साथ प्रत्यारोपित भी किया जा रहा है। इस सफलता की दर यदि बढ़ जाए तो मौत भी विज्ञान के वश में हो जाएगी। उसे बहुत से मामलों में रोका जा सकेगा। बहुत से लोगों का जीवन अनंत तक लम्बा हो सकेगा हालाँकि स्वास्थ्य की समस्याएं और स्वास्थ्य की संभाल फिर भी लगातार धयान का विषय बनी ही रहेगी। 

उल्लेखनीय है कि अंग प्रत्यारोपण के क्षेत्र में लगातार जो नई तकनीक ईजाद हो रही है उसके जो परिणाम सामने आएँगे उनका फायदा बहुत अद्वित्तीय होगा। डाक्टर भगवान का रूप ही नहीं बल्कि सचमुच भगवान बन जाएंगे।  उन तकनीक और तरीकों में से ही  एक है नॉर्मोथर्मिक रीजनल परफ्यूजन यानी एनआरपी तकनीक। इसकी मदद से अब मृत अंगों को ऑक्सीजन और खून की आपूर्ति से पुनर्जीवित कर मरीजों में प्रत्यारोपित किया जा रहा है। 

लेकिन इसकी भी अपनी सीमाएं हैं और वक़्त की  मजबूरियां भी। इस तकनीक के अंतर्गत एक ध्यान  रखनाआवश्यक है कि वक़्त को तेज़ी से संभाला जाए। तय समय पर प्राप्त अंग को निश्चित समय के अंदर अंदर प्रत्यारोपित न करने पर वह बेकार हो जाता है। इस तरह सारी कोशिश भी विफल होने का अंदेशा बना रहता है। अनुमान लगाएं जब महाऋषि दधीचि ने वज्र बनाने के लिए अपनी हड्डियां दान कीं होंगी तो उस समय भी कितनी बातों का ध्यान  रखा गया होगा।  कहानी सुनने में बहुत रुचिकर और सहज लगती है लेकिन वास्तव में कितनी कठिन रही होगी। 

गौरतलब है कि यह चमत्कारी तकनीक अभी चंद देशों में ही उपयोग की जा रही है, जिनमें से अमेरिका एक है। लेकिन जहां भी हो रही है, वहां अंग प्रत्यारोपण की दर तेजी से बढ़ रही है। यह कहना है यूनिवर्सिटी ऑफ राेचेस्टर के किडनी और पैनक्रियाज के सर्जिकल डायरेक्टर डॉ. रणदीप कश्यप का। वह पीजीआई के किडनी और अग्नाशय प्रत्यारोपण पर सेक्टर- 17 स्थित एक होटल में आयोजित स्वर्ण वर्षगांठ शिखर सम्मेलन के दूसरे दिन शनिवार को बतौर वक्ता मौजूद थे। 

डॉ. रणदीप ने बताया कि खराब होने वाले 60 प्रतिशत अंगों को इस तकनीक की मदद से पुनर्जीवित कर उसका प्रत्यारोपण किया जा रहा है। इससे प्रत्यारोपण की दर में भी तेजी से इजाफा हो रहा है। डॉ. रणदीप का कहना है कि समय पर मैचिंग डोनर न मिलने से काफी ज्यादा अंग बेकार हो जाते हैं। ऐसे में इस तकनीक से उन अंगों को मैचिंग डोनर मिलने तक जीवित रखा जा सकता है। इस तकनीक के जरिए मृत अंगों में पुन: ऑक्सीजन और खून की आपूर्ति शुरू की जाती है। इसकी सफलता दर भी 60 से 65 प्रतिशत है। उम्मीद भी की जनि चाहिए और प्रार्थना भी कि इस दर को बढ़ाया जा सके।  

कौन कौन से महत्वपूर्ण अंग किए जा रहे हैं सुरक्षित यह जान लेना भी ज़रूरी है। एनआरपी तकनीक का उपयोग कर के किडनी, लिवर, फेफड़ा, हृदय और पैंक्रियाज जैसे अंगों को बंद होने के बाद दोबारा जीवित किया जा रहा है। 

डॉ. रणदीप ने बताया कि इस तकनीक का प्रयोग कर अमेरिका में सबसे ज्यादा खराब किडनी प्रत्यारोपण हो रही है। सड़क दुर्घटना या ऐसे ही अन्य मामलों में मौत के बाद अंगों में खून और ऑक्सीजन की आपूर्ति घंटों बंद होने से वे शरीर के अंदर ही बेकार हो जाते हैं। उस स्थिति में उन अंगों को बाहर निकालकर एक विशेष मशीन की मदद से तब तक सक्रिय रखा जा सकता है, जब तक जरूरी हो।

आज के युग में करिश्मे दिखाने वाली तकनीक एनआरपी नाज़ा इतिहास रच रही है। मेडिकाल क्षेत्र इस करिश्मे को लेकर बहुत उम्मीदें हैं। इसके चमत्कार की चर्चा बहुत तेज़ी से हो रही है।  नॉर्मोथर्मिक रीजनल परफ्यूजन एक उभरती हुई तकनीक है, जो सर्कुलेटरी डेथ (डीसीडी) के बाद अंगों को जीवित रखने का एक विकल्प बन रहा है। इसे तुरंत एक्शन में ला कर ज़्यादा फायदा हो सकता है। 

उदाहरण के लिए डेड हार्ट के मामले में एनआरपी में खून को आईवीसी से शिरापरक सर्किट से निकाला ऑक्सीजनित किया जाता है और उदर की महाधमनी में वापस कर दिया जाता है। इसके अलावा एक कोडा बैलून कैथेटर (कुक इनकॉर्पोरेटेड, ब्लूमिंगटन, आईएन) को महाधमनी स्थल के माध्यम से डाला जाता है और वक्षीय महाधमनी में फुलाया जाता है। उदर महाधमनी को वक्षीय अंगों और मस्तिष्क में रक्त को जाने से रोकने के लिए डायाफ्राम के ठीक नीचे लगाया जाता है। वक्षीय और मस्तिष्क रक्त के पुर्नचक्रण को रोक दिया जाता है। ऐसी मशीनरी प्रत्यारोपण से पहले अंगों को ऑक्सीजन युक्त और स्वस्थ रखती है।

किन अंगों को कितने समय के अंदर करना होता है प्रत्यारोपित इसका भी विशेष तौर पर ध्यान रखा जाता है।  हृदय  को  4 से 6 घंटे के अंदर प्रत्यारोपित करना ज़रूरी होता है इसी तरह फेफड़े  को 4 से 6 घंटे के अंदर अंदर  प्रत्यारोपित करना ज़रूरी होता है। किडनी के मामले में यह अवधि कुछ अलग है। किडनी को 48 से 72 घंटे के अंदर अंदर लगा दिया जाना चाहिए। इसी तरह एक अन्य महत्वपूर्ण अंग लिवर को इस मकसद के लिए 12 से 24 घंटे का समय मिलता है। पैंक्रियाज  अर्थात अग्नाशय को 12 से 18 घंटे के अंदर अंदर लगा दिया जाना चाहिए और आंत को 6 से 12 घंटे  लगाना उचित होता है। 

गौरतलब है कि पाचन तंत्र का प्रमुख अंग और छोटी आंत का पहला भाग होता है अग्नाशय यानी पैंक्रियाज। पेट की यह बड़ी ग्रंथि छोटी आंत के ऊपरी हिस्से के बगल में होती है। पैंक्रियाज भोजन पचाने में सहायता करने वाले हार्मोन और एन्जाइम का उत्पादन करता है। यह शरीर की शर्करा की प्रक्रिया को भी नियंत्रित करने में मदद करता है। इसका कैंसर गंभीर समस्याएं खड़ी कर सकता है। इसकी संभाल के ले विशेष सावधान रहना आवश्यजक है खास कर खान पान के मामले में। 

इस दिशा में जो विकास कार्य चल रहे हैं उन्हें देखते हुए अंग दान से जो अंग दान में मिलते हैं उन्हें अंग प्रत्योपन की तकनीक को अब और भी ज़्यादा अच्छी तरह इस्तेमाल किया जा सकेगा। केवल भारत में ही नहीं अमेरिका जैसे विकसित देशों में भी अंग दान का अभियान अभी और तेज़ किया जाए तभी बात बन सकेगी। 

इस संबंध में बात करते हुए विशेषज्ञ बहुत महत्वपूर्ण बातें बताते हैं। उल्लेखनीय है कि जिन दो अंगों की सबसे अधिक आवश्यकता होती है वे हैं गुर्दे और यकृत। संयुक्त राज्य अमेरिका के स्वास्थ्य और मानव सेवा विभाग के अनुसार, राष्ट्रीय प्रत्यारोपण प्रतीक्षा सूची में लगभग 83 प्रतिशत लोग किडनी प्रत्यारोपण की प्रतीक्षा कर रहे हैं और लगभग 12 प्रतिशत लोग यकृत प्रत्यारोपण की प्रतीक्षा कर रहे हैं। जीवित दाता इनमें से किसी भी अंग को दान करने में सक्षम हैं यदि वे प्राप्तकर्ताओं से मेल खाते हों। इस तरह बहुत से लोगों को नया जीवन मिल सकेगा। 

लगभग 2,600 लोग या प्रत्यारोपण सूची के लगभग तीन प्रतिशत लोग हृदय की प्रतीक्षा कर रहे हैं। फेफड़े, अग्न्याशय और आंतों सहित अन्य अंग प्रतीक्षा सूची के बाकी हिस्से बनाते हैं। हालाँकि सभी उम्र के लोग सूची में हैं, लेकिन आंत प्रत्यारोपण की प्रतीक्षा करने वालों में से अधिकांश शिशु और बच्चे हैं।

यदि हम महर्षि दधीचि को सचमुच में श्रद्धासुमन अर्पित करना चाहते हैं तो उनकी उस महान क़ुरबानी को हमेशां याद रखें।    स्मरण रहे कि भारतीय इतिहास’ में कई दानी हुए हैं, किंतु मानव कल्याण के लिए अपनी अस्थियों का दान करने वाले मात्र महर्षि दधीचि ही थे। महर्षि दधीचि ने उनका अहित चाहने वाले इंद्र को ही अपनी अस्थियां दान कर दीं।  वृत्रासुर नामक राक्षस ने देवलोक पर कब्जा कर लिया और इन्द्र सहित सभी देवताओं को देवलोक से बाहर निकाल दिया। महर्षि ने योग विद्या से अपना शरीर त्याग दिया। महर्षि के शरीर की त्वचा, मांस और मज्जा उनके शरीर से अलग हो गए। मानव देह के स्थान पर सिर्फ़ उनकी अस्थियां ही शेष रह गईं। इन्द्र ने उन अस्थियों को श्रद्धापूर्वक नमन किया और उन्हें ले जाकर ‘तेजवान’ नामक व्रज बनाया। आइए अतीत से प्रेरणा लें। महाऋषि दधीचि से प्रेरणा लें। 

क्या हम मृत्यु के बाद भी अपने शरीर और अंगों  करने से हिचकिचाते रहेंगे? उठिए जागिए और इस अभिजन का सक्रिय हिस्सा बनिए