Saturday, February 16, 2013
Thursday, February 14, 2013
गुलाम नबी आजाद थे इस समारोह के मुख्य अतिथि
14-फरवरी-2013 18:20 IST
राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य और न्यूरो विज्ञान संस्थान बेंगलुरू का 17वां दीक्षांत समारोह
पहल से सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए मदद मिली
राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य और न्यूरो विज्ञान संस्थान का 17 वां दीक्षांत समारोह आज बेंगलुरू में हुआ। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री श्री गुलाम नबी आजाद इस समारोह के मुख्य अतिथि थे।
श्री आजाद ने दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य और न्यूरो विज्ञान संस्थान, सम विश्वविद्यालय, को संसद के अधिनियम के तहत राष्ट्रीय महत्व के संस्थान के रूप में स्थापित किया गया है। 14 फरवरी, 1974 को अस्तित्व में आने के बाद निमहान्स भारत में मानसिक स्वास्थ्य और न्यूरो विज्ञान में अग्रणी भूमिका निभा रहा है। निमहान्स ने पिछले वर्षों में अनेक पहल की हैं जिनका स्वास्थ्य सेवाओं पर बहुत अच्छा प्रभाव पड़ा।
उन्होंने कहा कि शुरूआती दौर में ही मधुमेह, उच्च रक्तचाप और कैंसर का पता लगाने के लिए बड़े पैमाने पर जांच और मंत्रालय द्वारा मां और नवजात शिशु के लिए की गई पहल से सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए मदद मिली है। भारत अब बीमारियों के फैलने और महामारियों से निपटने के लिए बेहतर स्थिति में है। चिकित्सा शिक्षा में विभिन्न स्तरों मानव संसाधनों की वृद्धि के लिए सुधारों की श्रृंखला शुरू की गई है। एमबीबीएस सीटों की संख्या 33,567 से बढ़कर 45,629 हो गई है। पीजी सीटों की संख्या 13,838 से बढ़कर 22,850 हो गर्इ है। छह नए एम्स सहित 72 नए मेडिकल कालेजो की स्थापना की गई है जिससे इनकी संख्या 290 से 362 हो गई है। नए एम्स के मेडिकल कॉलजों में सितंबर 2012 में 50-50 छात्रों ने प्रवेश लिया है। भारत सरकार ने प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना के तहत 19 राज्य सरकारों के मेडिकल कालेजों को उन्नयन के लिए ले लिया है। इससे बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं लोगों को मिलेंगी।
श्री आजाद ने कहा कि 6 फरवरी, 2013 को बच्चों के स्वास्थ्य की जांच के लिए महाराष्ट्र के ठाणे जिले में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम शुरू किया गया है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा गई 2011 को गठित मानसिक स्वास्थ्य समूह ने देश के लिए मानसिक स्वास्थ्य नीति तैयार करने की दिशा में काफी प्रगति की है। राष्ट्रीय और क्षेत्रीय स्तर पर सलाह मशविरे के बाद इसे संसद में पेश करने के लिए तैयार किया जा रहा है। (PIB)
***
वि.कासोटिया/राजेंद्र/पवन-584
राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य और न्यूरो विज्ञान संस्थान बेंगलुरू का 17वां दीक्षांत समारोह
पहल से सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए मदद मिली
राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य और न्यूरो विज्ञान संस्थान का 17 वां दीक्षांत समारोह आज बेंगलुरू में हुआ। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री श्री गुलाम नबी आजाद इस समारोह के मुख्य अतिथि थे।
श्री आजाद ने दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य और न्यूरो विज्ञान संस्थान, सम विश्वविद्यालय, को संसद के अधिनियम के तहत राष्ट्रीय महत्व के संस्थान के रूप में स्थापित किया गया है। 14 फरवरी, 1974 को अस्तित्व में आने के बाद निमहान्स भारत में मानसिक स्वास्थ्य और न्यूरो विज्ञान में अग्रणी भूमिका निभा रहा है। निमहान्स ने पिछले वर्षों में अनेक पहल की हैं जिनका स्वास्थ्य सेवाओं पर बहुत अच्छा प्रभाव पड़ा।
उन्होंने कहा कि शुरूआती दौर में ही मधुमेह, उच्च रक्तचाप और कैंसर का पता लगाने के लिए बड़े पैमाने पर जांच और मंत्रालय द्वारा मां और नवजात शिशु के लिए की गई पहल से सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए मदद मिली है। भारत अब बीमारियों के फैलने और महामारियों से निपटने के लिए बेहतर स्थिति में है। चिकित्सा शिक्षा में विभिन्न स्तरों मानव संसाधनों की वृद्धि के लिए सुधारों की श्रृंखला शुरू की गई है। एमबीबीएस सीटों की संख्या 33,567 से बढ़कर 45,629 हो गई है। पीजी सीटों की संख्या 13,838 से बढ़कर 22,850 हो गर्इ है। छह नए एम्स सहित 72 नए मेडिकल कालेजो की स्थापना की गई है जिससे इनकी संख्या 290 से 362 हो गई है। नए एम्स के मेडिकल कॉलजों में सितंबर 2012 में 50-50 छात्रों ने प्रवेश लिया है। भारत सरकार ने प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना के तहत 19 राज्य सरकारों के मेडिकल कालेजों को उन्नयन के लिए ले लिया है। इससे बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं लोगों को मिलेंगी।
श्री आजाद ने कहा कि 6 फरवरी, 2013 को बच्चों के स्वास्थ्य की जांच के लिए महाराष्ट्र के ठाणे जिले में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम शुरू किया गया है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा गई 2011 को गठित मानसिक स्वास्थ्य समूह ने देश के लिए मानसिक स्वास्थ्य नीति तैयार करने की दिशा में काफी प्रगति की है। राष्ट्रीय और क्षेत्रीय स्तर पर सलाह मशविरे के बाद इसे संसद में पेश करने के लिए तैयार किया जा रहा है। (PIB)
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वि.कासोटिया/राजेंद्र/पवन-584
Monday, February 11, 2013
जवाहर नवोदय विद्यालय चयन परीक्षा
11-फरवरी-2013 13:19 IST
कक्षा 6 में दाख़िले के लिए में 16 लाख छात्रों ने भाग लिया
कक्षा 6 में दाख़िले के लिए जवाहर नवोदय विद्यालय चयन परीक्षा 10 फरवरी, 2013 को आयोजित की गई। नवोदय विद्यालय समिति ने राज्य सरकारों और जिला प्रशासन के साथ मिलकर इस परीक्षा को ठीक और शांतिपूर्ण तरीके से आयोजित करने के लिए सभी आवश्यक प्रबंध किये थे। विभिन्न जवाहर नवोदय विद्यालय में कक्षा 6 में दाख़िले के लिए आवेदन करने वाले सभी छात्रों को प्रवेश पत्र जारी किये गए थे तथा कार्यक्रम के अनुसार उन्हें संबंधित परीक्षा केन्द्रों पर परीक्षा में शामिल होने के लिए कहा गया था। पूरे देश में बनाए गए 4000 परीक्षा केन्द्रों में लगभग 16 लाख छात्रों ने इस परीक्षा में भाग लिया। (PIB)***
मीणा/इन्द्रपाल/शौकत-518
कक्षा 6 में दाख़िले के लिए में 16 लाख छात्रों ने भाग लिया
कक्षा 6 में दाख़िले के लिए जवाहर नवोदय विद्यालय चयन परीक्षा 10 फरवरी, 2013 को आयोजित की गई। नवोदय विद्यालय समिति ने राज्य सरकारों और जिला प्रशासन के साथ मिलकर इस परीक्षा को ठीक और शांतिपूर्ण तरीके से आयोजित करने के लिए सभी आवश्यक प्रबंध किये थे। विभिन्न जवाहर नवोदय विद्यालय में कक्षा 6 में दाख़िले के लिए आवेदन करने वाले सभी छात्रों को प्रवेश पत्र जारी किये गए थे तथा कार्यक्रम के अनुसार उन्हें संबंधित परीक्षा केन्द्रों पर परीक्षा में शामिल होने के लिए कहा गया था। पूरे देश में बनाए गए 4000 परीक्षा केन्द्रों में लगभग 16 लाख छात्रों ने इस परीक्षा में भाग लिया। (PIB)***
मीणा/इन्द्रपाल/शौकत-518
Wednesday, February 6, 2013
केंद्रीय विद्यालय संगठन:स्वर्ण जयंती समारोह का शुभारंभ
06-फरवरी-2013 16:36 IST
प्रधानमन्त्री डा मनमोहन सिंह ने किया उद्धघाटन सत्र को सम्बोधित
केंद्रीय विद्यालय संगठन का स्वर्ण जयंती समारोह प्रधानमंत्री का अभिभाषण
डा. मनमोहन सिंह ने केंद्रीय विद्यालय संगठन के स्वर्ण जयंती समारोह के उद्घाटन सत्र में भाग लेने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए संगठन के शिक्षकों और छात्रों को शुभकामनाएं और बधाई दीं।
केंद्रीय विद्यालय संगठन की 1963 में अपनी स्थापना के समय 20 रेजीमेंटल विद्यालयों के साथ व्याख्यात इस समय यह देश भर में फैले लगभग 1100 केंद्रीय विद्यालयों का प्रशासन संभालता है। यह लगभग 11 लाख बच्चों को शिक्षा प्रदान करता है और इसके शिक्षकों सहित 46,000 से अधिक कर्मचारी हैं। यह संगठन केंद्र सरकार के स्थानांतरणीय केंद्रीय कर्मचारियों के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के अपने दायित्व को विशिष्टता से साथ निभा रहा है। 50 वर्ष की इसकी यात्रा वास्तव में अत्याधिक सफल रही है। मैं उन सभी को बधाई देता हूं जिन्होंने केंद्रीय विद्यालय संगठन को राष्ट्र निर्माण की प्रक्रियाओं में इतना अधिक योगदान करने में सक्षम बनाया है।
केंद्रीय विद्यालय संगठन में जुड़े सभी लोगों के यह बहुत ही प्रसन्नता की बात है कि देश के विभिन्न भागों में अतिरिक्त केंद्रीय विद्यालयों को खोलने की जोरदार मांग है और मौजूदा विद्यालयों में दाखिला की प्रक्रिया में भी अत्यधिक प्रतिस्पर्धा है। यह केंद्रीय विद्यालय संगठन द्वारा स्थापित शिक्षा के उच्च मानक का भी संकेत है। मैं समझता हूं कि केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड द्वारा ली जाने वाली परीक्षाओं में केंद्रीय विद्यालयों के छात्रों ने लगातार बहुत बेहतर प्रदर्शन किया है। यही नहीं, इन विद्यालयों ने अपने छात्रों की पढ़ाई के अलावा अन्य गतिविधियों में भाग लेने पर जोर देकर उनके व्यक्तित्व विकास की आवश्यकता के प्रति की सजगता दिखाई है।
मुझे इस बात की खास खुशी है कि केंद्रीय विद्यालयों में छात्राओं का अनुपात 43 प्रतिशत है और संगठन के शिक्षकों में महिलाओं का बहुमत है।
केंद्रीय विद्यालयों की एक बड़ी संख्या इस समय रक्षा और अर्ध-सैनिक संस्थानों के परिसरों में स्थित है। इससे रक्षा और अर्ध-सैनिक बलों के कर्मचारियों, जिनकी जोखिम भरी ड्यूटियां उन्हें अपने परिवारों के साथ अक्सर कम समय बिकाने का मौका देती हैं, केन्द्रीय विद्यालय बच्चों की शैक्षिक आवश्यकताओं को पूरा करने में सहायता प्राप्त करते है।
हमारी सरकार ने सदा इस बात को स्वीकारा है कि भारत एक आधुनिक, प्रगतिशील और समृद्ध देश के रूप में तभी उभर सकता है जब गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक हमारे नागरिकों की आसान पहुंच होगी। हम जानते हैं कि हमारा देश एक युवा देश है और एक शिक्षित एवं कुशल कार्यबल के होने पर ही हम जनांकिक लाभांश प्राप्त कर सकते हैं जो हमारी अर्थव्यवस्था को विस्तार करने और अधिक उत्पादक बनने में सहायक होगी।
हमारी सरकार के 2004 में सत्ता में आने के समय से ही हमने शिक्षा पर विशेष जोर दिया है। हमने शिक्षा के क्षेत्र में असाधारण स्तर पर निवेश बढ़ाया है। हमने शिक्षा के प्रति पहुंच का तेजी से विस्तार किया है। हमने शिक्षण की गुणवत्ता को सुधारने के लिए भी काम किया है ताकि शिक्षा के बेहतर परिणाम प्राप्त किये जा सके। हमने यह सुनिश्चित करने का भी प्रयास किया है कि हमारे समाज के कमजोर वर्गों और देश के कम विकसित क्षेत्रों के छात्रों को भी शिक्षा संबंधी पर्याप्त अवसर प्राप्त हों।
आज हमारे देश में प्राथमिक शिक्षा की पहुंच लगभग सार्वभौमिक है। शिक्षा का अधिकार अधिनियम सुनिश्चित करता है कि हमारे देश के प्रत्येक बच्चे को प्राथमिक शिक्षा के 8 वर्ष का अधिकार प्राप्त हो। मध्याह्न भोजन की योजना, जो हर रोज 11 करोड़ बच्चों को स्कूलों में गर्म भोजन उपलब्ध कराती है, ने बच्चों के स्कूलों में बने रहने में उल्लेखनीय सहायता की है। लेकिन शिक्षकों और शिक्षण का मानक उचित स्तर का नहीं है जिसके कारण परिणाम हमारी अपेक्षा से बहुत नीचे है। स्कूलों में प्राथमिक स्तर के बाद बच्चों का बीच में पढ़ाई छोड़ जाने वालों की संख्या अधिक बनी हुई है। निष्पक्षता से संबंधी कुछ बड़ी समस्याएं भी हल करना अभी शेष है।
12वीं पंचवर्षीय योजना में इन चुनौतियों का समाधान करने में केन्द्रीय विद्यालय अन्य स्कूलों के लिए मानक और बेंचमार्क तय करने में बड़े पैमाने पर सहायक हो सकते हैं। यह केन्द्रीय विद्यालों के लिए 12वीं योजना में निर्धारित लक्ष्यों में से एक है। उन्हें अपने पड़ोस के विद्यालयों के साथ सर्वोत्तम युक्तियों को बांटने में रोल-मॉडल के रूप में कार्य करना चाहिए। प्रधानमंत्री ने केन्द्रीय विद्यालय संगठन से आग्रह किया कि वह इन अपेक्षाओं को कारगर रूप में पूरा करने के उपायों का पता लगाए।
मुझे इस बात की प्रसन्नता है कि केन्द्रीय विद्यालय संगठन ने हमारे आसपास तेजी से बदलती हुई यर्थात स्थिति के साथ गति बनाये रखने के लिए कई नये कदम उठाये हैं इन में शिक्षा प्रदान करने, शिक्षकों और छात्रों के लिए विदेशों के साथ आदान-प्रदान कार्यक्रम चलाने और विदेशी भाषाओं के शिक्षण में सूचना प्रौद्योगिकी का प्रयोग शामिल हैं। यह सभी सराहनीय कदम हैं जिनसे केन्द्रीय विद्यालयों को अपना स्तर सुधारने में सहायता मिलेगी। लेकिन केन्द्रीय विद्यालय संगठन द्वारा श्रेष्ठता प्राप्त करने में अभी बहुत कुछ करने की आवश्यकता है। मैं आशा करता हूं कि केन्द्रीय विद्यालय संगठन, खासकर आधुनिक तकनीकों और प्रौद्योगिकी के प्रयोग में आवश्यकता अनुसार परिवर्तन करेगा।
अंत में मैं केन्द्रीय विद्यालय संगठन परिवार के उज्जवल भविष्य की कामना करता हूं। मुझे विश्वास है कि आप अपने विशिष्ट रिकार्ड को इस स्वर्ण जंयती समारोह के माध्यम से और बेहतर बनाने पर विचार करेंगे। (PIB)***
वि.कासोटिया/क्वात्रा/अर्जुन/मीना–455
प्रधानमन्त्री डा मनमोहन सिंह ने किया उद्धघाटन सत्र को सम्बोधित
केंद्रीय विद्यालय संगठन का स्वर्ण जयंती समारोह प्रधानमंत्री का अभिभाषण
डा. मनमोहन सिंह ने केंद्रीय विद्यालय संगठन के स्वर्ण जयंती समारोह के उद्घाटन सत्र में भाग लेने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए संगठन के शिक्षकों और छात्रों को शुभकामनाएं और बधाई दीं।
केंद्रीय विद्यालय संगठन की 1963 में अपनी स्थापना के समय 20 रेजीमेंटल विद्यालयों के साथ व्याख्यात इस समय यह देश भर में फैले लगभग 1100 केंद्रीय विद्यालयों का प्रशासन संभालता है। यह लगभग 11 लाख बच्चों को शिक्षा प्रदान करता है और इसके शिक्षकों सहित 46,000 से अधिक कर्मचारी हैं। यह संगठन केंद्र सरकार के स्थानांतरणीय केंद्रीय कर्मचारियों के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के अपने दायित्व को विशिष्टता से साथ निभा रहा है। 50 वर्ष की इसकी यात्रा वास्तव में अत्याधिक सफल रही है। मैं उन सभी को बधाई देता हूं जिन्होंने केंद्रीय विद्यालय संगठन को राष्ट्र निर्माण की प्रक्रियाओं में इतना अधिक योगदान करने में सक्षम बनाया है।
केंद्रीय विद्यालय संगठन में जुड़े सभी लोगों के यह बहुत ही प्रसन्नता की बात है कि देश के विभिन्न भागों में अतिरिक्त केंद्रीय विद्यालयों को खोलने की जोरदार मांग है और मौजूदा विद्यालयों में दाखिला की प्रक्रिया में भी अत्यधिक प्रतिस्पर्धा है। यह केंद्रीय विद्यालय संगठन द्वारा स्थापित शिक्षा के उच्च मानक का भी संकेत है। मैं समझता हूं कि केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड द्वारा ली जाने वाली परीक्षाओं में केंद्रीय विद्यालयों के छात्रों ने लगातार बहुत बेहतर प्रदर्शन किया है। यही नहीं, इन विद्यालयों ने अपने छात्रों की पढ़ाई के अलावा अन्य गतिविधियों में भाग लेने पर जोर देकर उनके व्यक्तित्व विकास की आवश्यकता के प्रति की सजगता दिखाई है।
मुझे इस बात की खास खुशी है कि केंद्रीय विद्यालयों में छात्राओं का अनुपात 43 प्रतिशत है और संगठन के शिक्षकों में महिलाओं का बहुमत है।
केंद्रीय विद्यालयों की एक बड़ी संख्या इस समय रक्षा और अर्ध-सैनिक संस्थानों के परिसरों में स्थित है। इससे रक्षा और अर्ध-सैनिक बलों के कर्मचारियों, जिनकी जोखिम भरी ड्यूटियां उन्हें अपने परिवारों के साथ अक्सर कम समय बिकाने का मौका देती हैं, केन्द्रीय विद्यालय बच्चों की शैक्षिक आवश्यकताओं को पूरा करने में सहायता प्राप्त करते है।
हमारी सरकार ने सदा इस बात को स्वीकारा है कि भारत एक आधुनिक, प्रगतिशील और समृद्ध देश के रूप में तभी उभर सकता है जब गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक हमारे नागरिकों की आसान पहुंच होगी। हम जानते हैं कि हमारा देश एक युवा देश है और एक शिक्षित एवं कुशल कार्यबल के होने पर ही हम जनांकिक लाभांश प्राप्त कर सकते हैं जो हमारी अर्थव्यवस्था को विस्तार करने और अधिक उत्पादक बनने में सहायक होगी।
हमारी सरकार के 2004 में सत्ता में आने के समय से ही हमने शिक्षा पर विशेष जोर दिया है। हमने शिक्षा के क्षेत्र में असाधारण स्तर पर निवेश बढ़ाया है। हमने शिक्षा के प्रति पहुंच का तेजी से विस्तार किया है। हमने शिक्षण की गुणवत्ता को सुधारने के लिए भी काम किया है ताकि शिक्षा के बेहतर परिणाम प्राप्त किये जा सके। हमने यह सुनिश्चित करने का भी प्रयास किया है कि हमारे समाज के कमजोर वर्गों और देश के कम विकसित क्षेत्रों के छात्रों को भी शिक्षा संबंधी पर्याप्त अवसर प्राप्त हों।
आज हमारे देश में प्राथमिक शिक्षा की पहुंच लगभग सार्वभौमिक है। शिक्षा का अधिकार अधिनियम सुनिश्चित करता है कि हमारे देश के प्रत्येक बच्चे को प्राथमिक शिक्षा के 8 वर्ष का अधिकार प्राप्त हो। मध्याह्न भोजन की योजना, जो हर रोज 11 करोड़ बच्चों को स्कूलों में गर्म भोजन उपलब्ध कराती है, ने बच्चों के स्कूलों में बने रहने में उल्लेखनीय सहायता की है। लेकिन शिक्षकों और शिक्षण का मानक उचित स्तर का नहीं है जिसके कारण परिणाम हमारी अपेक्षा से बहुत नीचे है। स्कूलों में प्राथमिक स्तर के बाद बच्चों का बीच में पढ़ाई छोड़ जाने वालों की संख्या अधिक बनी हुई है। निष्पक्षता से संबंधी कुछ बड़ी समस्याएं भी हल करना अभी शेष है।
12वीं पंचवर्षीय योजना में इन चुनौतियों का समाधान करने में केन्द्रीय विद्यालय अन्य स्कूलों के लिए मानक और बेंचमार्क तय करने में बड़े पैमाने पर सहायक हो सकते हैं। यह केन्द्रीय विद्यालों के लिए 12वीं योजना में निर्धारित लक्ष्यों में से एक है। उन्हें अपने पड़ोस के विद्यालयों के साथ सर्वोत्तम युक्तियों को बांटने में रोल-मॉडल के रूप में कार्य करना चाहिए। प्रधानमंत्री ने केन्द्रीय विद्यालय संगठन से आग्रह किया कि वह इन अपेक्षाओं को कारगर रूप में पूरा करने के उपायों का पता लगाए।
मुझे इस बात की प्रसन्नता है कि केन्द्रीय विद्यालय संगठन ने हमारे आसपास तेजी से बदलती हुई यर्थात स्थिति के साथ गति बनाये रखने के लिए कई नये कदम उठाये हैं इन में शिक्षा प्रदान करने, शिक्षकों और छात्रों के लिए विदेशों के साथ आदान-प्रदान कार्यक्रम चलाने और विदेशी भाषाओं के शिक्षण में सूचना प्रौद्योगिकी का प्रयोग शामिल हैं। यह सभी सराहनीय कदम हैं जिनसे केन्द्रीय विद्यालयों को अपना स्तर सुधारने में सहायता मिलेगी। लेकिन केन्द्रीय विद्यालय संगठन द्वारा श्रेष्ठता प्राप्त करने में अभी बहुत कुछ करने की आवश्यकता है। मैं आशा करता हूं कि केन्द्रीय विद्यालय संगठन, खासकर आधुनिक तकनीकों और प्रौद्योगिकी के प्रयोग में आवश्यकता अनुसार परिवर्तन करेगा।
अंत में मैं केन्द्रीय विद्यालय संगठन परिवार के उज्जवल भविष्य की कामना करता हूं। मुझे विश्वास है कि आप अपने विशिष्ट रिकार्ड को इस स्वर्ण जंयती समारोह के माध्यम से और बेहतर बनाने पर विचार करेंगे। (PIB)***
वि.कासोटिया/क्वात्रा/अर्जुन/मीना–455
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