Tuesday, September 2, 2014

उपराष्ट्रपति श्री हामिद अंसारी ने की 89वें आधार पाठ्यक्रम की शुरूआत

02-सितम्बर-2014 17:53 IST
शुरूआत मसूरी में लाल बहादुर शास्त्री भारतीय प्रशासनिक अकादमी में   
उपराष्‍ट्रपति श्री मोहम्‍मद हामिद अंसारी को 02 सितंबर, 2014 को उत्‍तराखंड के मसूरी स्थित लालबहादुर शास्‍त्री नेशनल एकेडमी ऑफ एडमिनिस्‍ट्रेशन के 89वें फाउंडेशन कोर्स के मौके पर स्‍मृति चिन्‍ह भेंट किया गया। (फोटो आईडी:56309, पसूका-हिंदी इकाई)
The Vice President, Shri Mohd. Hamid Ansari being presented a memento at the 89th Foundation Course at the Lal Bahadur Shastri National Academy of Administration, in Mussoori, Uttarakhand on September 02, 2014. The Governor of Uttarakhand, Dr. Aziz Qureshi is also seen.
उपराष्ट्रपति श्री हामिद अंसारी ने आज मसूरी में लाल बहादुर शास्त्री भारतीय प्रशासनिक अकादमी के 89वे आधार पाठ्यक्रम की शुरूआत की । इस अवसर पर उन्होंने जून 1961 के उस पहले दिन को याद किया जब वो पहली बार उत्सुकता, उम्मीद और नए विचारों के साथ यहां आए थे। उन्होंनें अकादमी में बिताए समय के साथ साथ अपने उन साथियों को भी याद किया जो अब उनके साथ नहीं हैं। सिविल सेवा में करियर शुरू कर रहे युवाओं से मिलकर उपराष्ट्रपति खासे उत्साहित थे। उन्होंने कहा "वो बदलाव के इस रोमांचक दौर में ये कर रहे हैं, जब दुनिया बदल रही है, भारत बदल रहा है और काम और चुनौतियां भी बदल रही हैं। उनके पास भविष्य को आकार देने का मौका है।"
उपराष्‍ट्रपति श्री मोहम्‍मद हामिद अंसारी 02 सितंबर, 2014 को उत्‍तराखंड के मसूरी स्थित लालबहादुर शास्‍त्री नेशनल एकेडमी ऑफ एडमिनिस्‍ट्रेशन के 89वें फाउंडेशन कोर्स के मौके पर उद्घाटन भाषण देते हुए। (पसूका-हिंदी इकाई)
The Vice President, Shri Mohd. Hamid Ansari delivering inaugural address at the 89th Foundation Course at the Lal Bahadur Shastri National Academy of Administration, in Mussoori, Uttarakhand on September 02, 2014.
उन्होंने पाठ्यक्रम में शामिल होने जा रहे प्रशिक्षुओं का उत्साहवर्धन किया। उपराष्ट्रपति ने कहा "आपका सफर अभी शुरू ही हुआ है और एक लंबा सफर तय करना है। केवल निष्पक्ष सेवा के प्रति आपकी कड़ी मेहनत, ईमानदारी और उत्कृष्टता की अंतहीन तलाश से ही आपको कामयाबी हासिल हो सकती है।"
उपराष्ट्रपति ने राष्ट्र निर्माण सामाजिक बदलाव में भागीदर बनने के लिए सिविल सेवा को सबसे बेहतर करियर विकल्प बताया। उन्होंने प्रशिक्षुओं को उनके अधिकारों के साथ-साथ उनकी जिम्मेदारियों का भी अहसास कराया ।
उन्होंने सरकार को जनहित का प्रबंधक बताते हुए कहा कि यह जनता की जरूरतों को ध्यान में रखकर अपनी प्रथमिकताओं का निर्धारण करती है और उनके आधार पर अपनी नीतियां और योजनाएं बनाती है, जिससे कि लोगों के जीवन स्तर में लगातार सुधार होता रहे। सरकार और सिविल सेवा प्रथमिक्ताओं और कार्यक्रमों को लोगों की जरूरतों और अपेक्षाओं के अनुरूप बदलाव करती है। उन्होंने सिविल सेवा को लोगों को सार्वजनिक वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति का प्रधान वाहक करार दिया ।
उन्होंने कहा कि "जनसेवकों से ये उम्मीद की जाती है कि वो निर्वाचित सरकार के निर्देशों का निष्ठापूर्वक पालन करें। साथ ही, उन्हें ये भी सुनिश्चित करना होता है कि राजनीतिक कार्यप्रणाली से हमारे लोकतंत्र के मूल कानून का उल्लंघन नहीं हो।"

उपराष्ट्रपति श्री अंसारी ने कहा कि आजादी के बाद के दशकों में जो विकास हुआ उसका लाभ आम लोगों तक समान रुप से नहीं पहुंचा। उन्होंने कहा कि भुखमरी, कुपोषण, गरीबी और बेरोजगारी आज भी हकीकत हैं। उन्होंने इसके लिए स्वास्थ्य, शिक्षा, जल आपूर्ति, स्वच्छता, परिवहन और संचार के साधनों की कमी को जिम्मेदार बताया। उपराष्ट्रपति ने कहा कि लिंगभेद और उससे जुड़ी कुरीतियां आज भी हमारे समाज में प्रचलित हैं।

उन्होंने कहा कि आज भी भारत में गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों की तादाद बहुत ज्यादा है। ऐसा नहीं है कि गरीबी मिटाने के लिए जनसेवकों और सरकारों ने कुछ नहीं किया है। योजनाओं के अपेक्षित परिणाम प्राप्त नहीं होने के लिए उन्होंने भ्रष्टाचार को जिम्मेदार बताया। उन्होंने कहा कि जनता आज प्रभावी, पारदर्शी, ईमानदार और जिम्मेदार प्रशासन के लिए आतुर है।

उन्होंने कहा कि हाल के दिनों में सरकारों और उसके अधिकारियों की आलोचना काफी बढ़ गई है। सार्वजनिक जीवन जीने वालों को इसका सामना ईमानदारी और दृढ़ता के साथ करना चाहिए। उन्होंने कहा कि योजना की कामयाबी इसी में है कि उसे किस तरह से लागू किया जाता है। कार्यक्रम में मौजूद प्रशिक्षुओं को उपराष्ट्रपति ने योजनाओं को बेहतर तरीके से लागू करने के गुर सीखने पर ध्यान देने की नसीहत दी।

उपराष्ट्रपति ने कहा "जनसेवक के रुप में आप महान कार्य को करने के लिए मूलभूत उपकरण हैं।" उपराष्ट्रपति ने प्रशिक्षुओं को किसी एक खास समूह के हितों की पूर्ति का साधन बनने से बचने की सलाह देते हुए कहा कि अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करते हुए कभी किसी दबाव में नहीं आएं।

उपराष्ट्रपति ने गांधीजी की नसीहत को दोहराते हुए कहा कि "अपनी तलाश का सबसे अच्छा तरीका खुद को दूसरों की सेवा में समर्पित करना है।"

उपराष्ट्रपति ने कहा दुनिया में भारत की भूमिका लगातार अहम हो रही है। विश्व स्तर पर हमारा राजनीतिक और आर्थिक प्रभाव बढ़ रहा है। इसके साथ ही हमारे जोखिम और चुनौतियों में भी इजाफा हो रहा है। उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा में बने रहने के लिए अपने ज्ञान और कुशलताओं को लगातार समृद्ध करने की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने प्रशिक्षुओं को नसीहत दी कि वो अपने कामकाज में नई तकनीक के प्रयोग के साथ-साथ आम भारतीयों के हितों के प्रति संवेदनशीलता को भी बरकरार रखें।

इस अवसर पर उत्तराखंड के माननीय राज्यपाल श्री अजीज कुरैशी, माननीय राज्यमंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह, कोर्स कोऑर्डीनेटर श्री सौरभ जैन और 89वें फाउंडेशन कोर्स के प्रशिक्षु अधिकारी उपस्थित थे।


विजयलक्ष्मी कासोटिया/एएम/एनए-3468

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