नारी को हर मामले में विज्ञापन बनाने पर भी हुई चर्चा
लुधियाना: 28 मार्च 2014: (रेकटर कथूरिया//शिक्षा स्क्रीन):
ज़िंदगी में खुशियां भी आती हैं और गम भी। मिलन भी होता है और बिछड़ना भी। कभी अचानक कोई अच्छा मौका मिला जाता है और कभी हाथ में आया अच्छा मौका छूट भी जाता है। इन सब रंगों को मिला कर ही बनती है ज़िंदगी---कभी ख़ुशी कभी गम। ज़िंदगी के इन अलग अलग रंगों का सहजता से सामना करते हुए हर पल संतुलन में बताने के लिए होस्टल की ज़िंदगी कई अनुभव देती है। शिक्षा, अनुशासन, और परिवार से दूर पूरी छूट और अपने कमरों में अपनी खुद की ज़िम्मेदारी। इन सब अनुभवों पर आधारित था मास्टर तारा सिंह मेमोरियल महिला कालेज में हुआ होस्टल नाईट का आयोजन। इसमें नयी मंज़िलों का जोश भी था, अपनी पुराणी सहेलियों से बिछुड़ने का दर्द भी और ज़िंदगी के हर कदम पर आने वाले इम्तिहान की चुनौती को स्वीकार करने की हिम्मत भी। उह एक ऐसा माहौल था जहाँ सभी लड़कियां अपने घरों से दूर यहाँ होस्टल में थीं। इस दूरी के बावजूद इन सभी के चेहरों पर एक ऐसी ख़ुशी जो नसीब वालों को मिलती है। इन लड़कियों को यहाँ सभी अपने जैसे ही मिले। उनके कैरिअर और शिक्षा को पूरे ध्यान से उनके जीवन में उतरने वाली प्रोफेसर्स। कोई मैडम उनकी बड़ी बहन जैसी थी तो कोई मां जैसी।
इस यादगारी संगीतमय शाम में डांस का जोश संगीत का जादू और सुंदरता का जलवा सब कुछ था। एक घंटे का कार्यक्रम दो घंटे से भी अधिक चला पर वक़त का किसी को कुछ पता ही नहीं चला। यादविंदर कौर को इस प्रोग्राम में मिस होस्टलर का खिताब मिला जबकि जसप्रीत कौर फस्ट रनरअप और स्वाति सेकंड रनरअप रहीं।
कालेज में हिंदी की लेक्चरर इंद्रमोहन कौर ने एक सवाल पूछ कर सारे माहौल को ही एक गंभीर दिशा में मोड़ दिया। उन्होंने छात्राओं से पूछा कि क्या हर मामले में नारी को विज्ञापन बना कर दिखाना क्या उचित है? इस सवाल के जवाब में इस सोच और सिलसिले को बुरी तरह से रद किया गया। मैडम इंद्रमोहन कौर ने कार्यक्रम के बाद बताया कि उन्होंने यह सवाल लड़कियों के दिलो-दिमाग में एक चेतना लाने के लिए पूछा तांकि महिला वर्ग के अंदर इस बुराई के खिलाफ एक मनोवैज्ञानिक इनकार पैदा हो सके। इस चेतना के बाद ही नारी ऐसे विज्ञापनों का अंग बनने से ज़ोरदार इनकार कर सकेगी।
प्रिंसिपल मैडम डाकटर चावला ने मुख्य अतिथि का फ़र्ज़ भी निभाया और लड़कियों को जीवन में साकारत्मक सोच बनाने पर ज़ोर दिया क्यूंकि इस सोच के बल पर आगे बढ़ा जा सकता है। कुल मिलाकर यह एक यादगारी आयोजन रहा।
ज़िंदगी में खुशियां भी आती हैं और गम भी। मिलन भी होता है और बिछड़ना भी। कभी अचानक कोई अच्छा मौका मिला जाता है और कभी हाथ में आया अच्छा मौका छूट भी जाता है। इन सब रंगों को मिला कर ही बनती है ज़िंदगी---कभी ख़ुशी कभी गम। ज़िंदगी के इन अलग अलग रंगों का सहजता से सामना करते हुए हर पल संतुलन में बताने के लिए होस्टल की ज़िंदगी कई अनुभव देती है। शिक्षा, अनुशासन, और परिवार से दूर पूरी छूट और अपने कमरों में अपनी खुद की ज़िम्मेदारी। इन सब अनुभवों पर आधारित था मास्टर तारा सिंह मेमोरियल महिला कालेज में हुआ होस्टल नाईट का आयोजन। इसमें नयी मंज़िलों का जोश भी था, अपनी पुराणी सहेलियों से बिछुड़ने का दर्द भी और ज़िंदगी के हर कदम पर आने वाले इम्तिहान की चुनौती को स्वीकार करने की हिम्मत भी। उह एक ऐसा माहौल था जहाँ सभी लड़कियां अपने घरों से दूर यहाँ होस्टल में थीं। इस दूरी के बावजूद इन सभी के चेहरों पर एक ऐसी ख़ुशी जो नसीब वालों को मिलती है। इन लड़कियों को यहाँ सभी अपने जैसे ही मिले। उनके कैरिअर और शिक्षा को पूरे ध्यान से उनके जीवन में उतरने वाली प्रोफेसर्स। कोई मैडम उनकी बड़ी बहन जैसी थी तो कोई मां जैसी।
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