Monday, October 6, 2014

मनुवादियों की मेरिट का इतिहास


October 1 at 8:24pm · 
आरक्षण के इतिहास की हकीकत 
आरक्षण को मेरिट के नाम पर चुनौती देने वाले ज़रा शिक्षा के इतिहास को पलट कर देख लें, पता चलेगा की भारत में उन्ही केलिए “थर्ड डिविज़न ” की शुरआत करनी पड़ी थी। श्री चन्द्रभान प्रसाद जी ने अपनी पुस्तक ‘ मेरिट, मंडल और आरक्षण’ में लिखते हैं की जब सन 1854 ब्रिटिश शासन ने भारत में मोर्डेन एडुकेशन की शुरआत की, तो फर्स्टऔर सेकेंड दो डिविज़न होती थी। न्यूनतम अंक 40% होते थे।  
जब 1857 में मद्रास में पहला डिग्री कालेज खुला तो उसमें पढ़ने के लिए पर्याप्त स्टूडेंट ही नहीं मिल रहे थे। जब कि पढाने के लिए ब्रिटेन से प्रोफेसर बुला लिए गये थे तब मद्रास के ब्राह्मणों ने ब्रिटश सरकार से गुहार लगाईं की इंटरमीडिएट पास करने के लिए “थर्ड डिविज़न ” शुरू कर दी जाए और पासिंग मार्क्स घटा कर 33% कर दिए जाएँ. ब्राह्मणों की बातमान ली गई और तब से ये सिस्टम चला आ रहा है। आरक्षण के विरुद्ध मेरिट के नाम पर बवाल मचाने वाले ब्राह्मणों के मेरिट का 75 साल पूर्व यह हॉल था। इसके उलट दलितों ने कभी ना तो फोर्थ डिविज़न जोड़ने की मांग की और ना ही पासिंग मार्क्स घटा कर33 से 27 प्रतिशत करने की अर्ज़ी दी।"
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