Wednesday, August 20, 2025

KCW में सफलता से हुई अग्नि सुरक्षा कार्यशाला

From T R R on 20th Aug 2025 at 4:58 PM Regarding Workshop on Fire Safety

केपी फायर सेफ्टी सॉल्यूशंस के सहयोग से हुआ सारा आयोजन 


लुधियाना: 20 अगस्त 2025: (मीडिया लिंक रविंदर//एजुकेशन स्क्रीन डेस्क)::

खालसा महिला महाविद्यालय, सिविल लाइंस, लुधियाना के रसायन विज्ञान विभाग ने केपी फायर सेफ्टी सॉल्यूशंस के सहयोग से एक व्यावहारिक अग्नि सुरक्षा कार्यशाला का आयोजन किया। यह आयोजन पूरी तरह से सफल रहा और इसने बच्चों को आग जैसी आपात घटनाओं का सामना करने की दक्षता दी। 

अचानक आग जैसी मुसीबतों से निपटने के मामलों में सक्षम बन जाने के बाद एक नया आत्मविश्वास भी आ जाता है। इस कार्यशाला का उद्देश्य प्रयोगशालाओं में आग के खतरों के बारे में जागरूकता पैदा करना और छात्रों को अग्निशामक यंत्रों के सुरक्षित संचालन और अन्य निवारक उपायों के बारे में व्यावहारिक ज्ञान प्रदान करना था। 

इस सत्र का संचालन श्री पंकज मैनी ने किया, जिन्होंने विभिन्न प्रकार के अग्निशामक यंत्रों का प्रदर्शन किया और विभिन्न अग्नि स्थितियों में उनके उचित उपयोग के बारे में बताया। कार्यशाला में छात्रों और संकाय सदस्यों ने सक्रिय रूप से भाग लिया और सीखा कि आग की आपात स्थिति में तुरंत और प्रभावी ढंग से कैसे प्रतिक्रिया दी जाए।

Monday, August 11, 2025

तन्वी ने योग क्षमता से किया सब को मंत्र मुग्ध, जीता स्वर्ण पदक

Received on 10th August 2025 at 17:49 Regarding Yoga Expert Girl Student

ये बच्ची दो साल की थी तब से अपने दादू के साथ योग आसन करती है


पंचकूला: 10 अगस्त 2025: (कार्तिका कल्याणी सिंह//एजुकेशन स्क्रीन डेस्क)::

घर परिवार के संस्कार अच्छे हों तो बच्चे न सिर्फ अपना बल्कि अपने परिवार और देश का नाम भी रौशन करते हैं। ऐसी ही एक बालिका है तन्वी। तन्वी को बालयकाल से ही सात्विक जीवन और राष्ट्रभक्ति की प्रेरणा मिली। बालयकाल से लेकर अब तक वह ीनशीन संस्कारों को याद रखे हुए है। जानीमानी लेखिका कृष्णा गोयल की पोती जीवन और शिक्षा के हर क्षेत्र में आगे है। 

यह तस्वीर आजकल की ही है। तन्वी, कक्षा नौवीं, भवन विद्यालय सेक्टर 15, पंचकूला की छात्रा है। उसने पंचकूला डिस्ट्रिक्ट स्पोर्ट्स चैंपियनशिप कंपटीशन में अपनी योग क्षमता से सभी को मंत्र मुग्ध कर के हैरान कर दिया। उसने अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करते हुए ही डिस्ट्रिक्ट लेवल पर स्वर्ण पदक जीता। ये बच्ची दो साल की थी तब से  अपने दादू के साथ योग आसन करती है।

इस तरह इस बच्ची से हम सभी को प्रेरणा लेनी होगी को बालयकाल की शिक्षा ही नींव के पत्थर का काम करती है। केवल विद्यालय ही नहीं घर परिवार भी इस दिशा में बहुत अभूपूर्व काम करता है। 

Friday, June 6, 2025

PEC और पॉवरग्रिड में MoU पर हस्ताक्षर

From PEC on Friday 6th June 2025 at 7:07 PM Regarding MoU between PEC and PowerGrid

  PEC में उत्कृष्टता केंद्र के लिए पावरग्रिड ने दी17 करोड़ की स्वीकृति 


चंडीगढ़
: 06 जून 2025: (मीडिया लिंक रविंद्र//एजुकेशन स्क्रीन डेस्क)::  

पावर ग्रिड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (पॉवरग्रिड) ने 06 जून, 2025 को पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज (डीम्ड टू बी यूनिवर्सिटी), चंडीगढ़ के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। यह समझौता पॉवरग्रिड के कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (सीएसआर) पहल के तहत पेक में "पॉवरग्रिड सेंटर ऑफ एक्सीलेंस" की स्थापना के लिए हुआ। 

यह अवसर बेहद गरिमामयी था, जिसमें पॉवरग्रिड की ओर से श्री तरुण बजाज, कार्यकारी निदेशक (उत्तरी क्षेत्र-II) और पेक की ओर से प्रो. राजेश कुमार भाटिया, निदेशक ने समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। इस दौरान चंडीगढ़ प्रशासन के मुख्य सचिव श्री राजीव वर्मा (आईएएस), पॉवरग्रिड के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर श्री आर. के. त्यागी, शिक्षा सचिव सुश्री प्रेरणा पुरी (आईएएस), और अन्य गणमान्य अतिथि भी मौजूद थे। इस अवसर पर पॉवरग्रिड के वरिष्ठ अधिकारी श्री विक्रम सिंह भल (कार्यकारी निदेशक - कोऑर्डिनेटर सीएमजी), श्री जसबीर सिंह (कार्यकारी निदेशक - सीएसआर), श्री रुबिंदरजीत सिंह बरार (निदेशक, तकनीकी शिक्षा, चंडीगढ़ प्रशासन), साथ ही पेक के डीन, विभागाध्यक्ष, वरिष्ठ फैकल्टी और तकनीकी शिक्षा विभाग के अधिकारी उपस्थित थे।

PEC इंजीनियरिंग जैसे तेजी से विकसित होते क्षेत्रों में प्रैक्टिकल ट्रेनिंग प्राप्त कर सकें। एक जिम्मेदार कॉर्पोरेट नागरिक के रूप में पॉवरग्रिड ने इस पहल को सहर्ष स्वीकार किया और “पॉवरग्रिड सेंटर ऑफ एक्सीलेंस” की स्थापना में सहायता देने के लिए आगे आया।

इस पर बताई गई लागत वाली रकम 17 करोड़ 19 लाख 26 हजार रुपये (₹17,19,26,000/-) है जो की एक नया इतिहास रचेगी। इस लागत से स्थापित होने वाला यह केंद्र छात्रों के लिए सीखने के नए द्वार खोलेगा। इससे रिसर्च स्कॉलर्स और फैकल्टी को पावर और एनर्जी सेक्टर में अनुसंधान को और मजबूत करने में मदद मिलेगी। यह सुविधा विशेष रूप से पेक के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम को और अधिक व्यावहारिक व औद्योगिक प्रासंगिकता देने के लिए तैयार की गई है। इसमें न्यूमेरिकल रिले, फेज़र मेजरमेंट यूनिट्स (पीएमयू), इन्वर्टर, साइबर सुरक्षा, ई-मोबिलिटी, कंट्रोलर लैब जैसे प्रमुख क्षेत्रों में अत्याधुनिक प्रयोगशालाओं की स्थापना की जाएगी, जो रियल-टाइम सिमुलेशन के माध्यम से प्रशिक्षण व प्रदर्शन में मदद करेंगी।

इस अवसर पर PEC के निदेशक ने पॉवरग्रिड का आभार व्यक्त किया और कहा कि यह सीएसआर पहल छात्रों और शोधकर्ताओं को अत्यंत लाभान्वित करेगी।

मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित POWERGRID के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक (CMD) श्री आर. के. त्यागी ने अपने पुराने दिनों को याद करते हुए PEC के प्रति अपने भावनात्मक जुड़ाव को साझा किया। उन्होंने 'वन ग्रिड, वन नेशन, वन फ्रिक्वेंसी' की अवधारणा पर ज़ोर दिया — देश के एक छोर से दूसरे छोर तक सभी ग्रिड्स का समन्वय के साथ संचालन। उन्होंने कहा, "CSR के तहत यह सेंटर ऑफ एक्सीलेंस हमारी ओर से एक छोटा-सा योगदान है।"

इसी अवसर पर मुख्य अतिथियों में शामिल विशेष शख्सियत राजीव वर्मा (IAS), मुख्य सचिव, चंडीगढ़ ने POWERGRID और PEC के इस प्रयास की सराहना की, जो लोगों को सशक्त बनाकर पूरे क्षेत्र को रूपांतरित करने की दिशा में एक ठोस कदम है। उन्होंने कहा कि यह उत्कृष्टता केंद्र उन्नत अनुसंधान और नवाचार का एक प्रकाशस्तंभ बनेगा। यह केंद्र स्नातक (UG), स्नातकोत्तर (PG) और शोधार्थियों (PhD) को अत्याधुनिक सुविधाएं प्रदान करेगा। यह पावर और ऊर्जा क्षेत्रों को 'विकसित भारत', 'ऊर्जा सुरक्षा' और 'शून्य उत्सर्जन राष्ट्र' की दिशा में गति देगा।

पावर ग्रिड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (पॉवरग्रिड), विद्युत मंत्रालय के अंतर्गत एक महारत्न सार्वजनिक उपक्रम है, जिसका उत्तरी क्षेत्र-II का मुख्यालय जम्मू में स्थित है। पॉवरग्रिड, अंतर-राज्यीय विद्युत ट्रांसमिशन में संलग्न है और इसके पास 1,80,239 सर्किट किलोमीटर की ट्रांसमिशन लाइन, 283 सबस्टेशन और 5,64,961 MVA से अधिक की ट्रांसफॉर्मेशन क्षमता है। अत्याधुनिक तकनीक और डिजिटल समाधानों के उपयोग से पॉवरग्रिड ने >99% ट्रांसमिशन सिस्टम उपलब्धता बनाए रखी है, जो कि एक उत्कृष्ट प्रदर्शन का परिचायक है।

उत्तरी क्षेत्र-II में पॉवरग्रिड की ट्रांसमिशन प्रणाली पंजाब, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा के कुछ हिस्सों, और केंद्र शासित प्रदेशों चंडीगढ़, लद्दाख, एवं जम्मू-कश्मीर में फैली हुई है। इस नई परियोजना से विकास की रफ्तार और तेज़ होगी। 

Wednesday, May 7, 2025

वेद प्रचार मंडल द्वारा BCM आर्य में भाषण प्रतियोगिता

From BCM Arya School Lalton on Wednesday 7th May 2025 at 11:40 AM

प्रतियोगिता में कक्षा 4 से 11 तक के लगभग 50 विद्यार्थियों ने भाग लिया


लुधियाना: 7 मई 2025: (कार्तिका कल्याणी सिंह//मीडिया लिंक//एजुकेशन स्क्रीन डेस्क)::

वेद प्रचार मंडल, लुधियाना ने बीसीएम आर्य स्कूल, गांव ललतों में अंग्रेजी, पंजाबी और हिंदी में वैदिक भाषण प्रतियोगिता आयोजित की। इस प्रतियोगिता में कक्षा 4 से 11 तक के लगभग 50 विद्यार्थियों ने भाग लिया। प्रतियोगिता में अंग्रेजी, पंजाबी और हिंदी में विचारोत्तेजक विषयों पर भाषण दिए गए, जैसे कि परमात्मा का सच्चा नाम - ॐ, मानवता के सच्चे मार्गदर्शक-वेद, जीवन में यम और नियम का महत्व और सामाजिक जागृति के प्रणेता-महर्षि दयानंद सरस्वती।  

मुख्य अतिथि वेद प्रचार मंडल पंजाब के संस्थापक श्री रोशन लाल आर्य थे। श्री रोशन लाल ने बताया कि आर्य समाज एक ऐसा संगठन है जो वेदों के शाश्वत मूल्यों और ज्ञान को जन-जन तक पहुँचाने के कार्य के लिए समर्पित है। प्रथम स्थान कक्षा-सातवीं की रहमत कौर ने प्राप्त किया, दूसरा स्थान कक्षा-सातवीं के अंश ने प्राप्त किया तथा तीसरा स्थान कक्षा-छठी के कृषिव ने प्राप्त किया।

प्रधानाचार्या श्रीमती कृतिका सेठ ने सभी पुरस्कार विजेताओं को बधाई दी और उनके प्रयासों की सराहना की।

BCM ARYA SCHOOL,
Singla-Enclave, Lalton-Dolon Khurd,
Ludhiana

Friday, November 8, 2024

परंपरा, नवाचार और एकता का जश्न:

 Friday 8th November 2024 at 9:52 PM  Communication, Information & Media Cell (CIM) Clubs

  पेककफेस्ट 2024 की हर्षोल्लास के साथ हुई भव्य शुरुआत 


चंडीगढ़
: 08 नवंबर 2024: (मीडिया लिंक//एजुकेशन स्क्रीन डेस्क)::
पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज (डीम्ड टू बी यूनिवर्सिटी), चंडीगढ़ का परिसर आज पेकफेस्ट 2024, वार्षिक टेक्नो-कल्चरल फेस्टिवल के उद्घाटन के साथ जीवंत हो उठा। इस वर्ष का थीम “रेटरोग्रेड रिबेलियन” है, जो परंपरा और आधुनिकता के अनोखे संगम का प्रतीक है। छात्रों, संकाय सदस्यों, पूर्व छात्रों और गणमान्य अतिथियों के जोश और उत्साह ने इस आयोजन को पेक की समृद्ध विरासत और जीवंत समुदाय के जश्न का यादगार अवसर बना दिया।

उद्घाटन समारोह का शुभारम्भ दोपहर 12:00 बजे सभी गणमान्य जनों के गर्मजोशी से स्वागत के साथ हुआ। इस कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन से हुई, जो आशा और सांस्कृतिक एवं तकनीकी अन्वेषण की यात्रा की शुरुआत का प्रतीक था।

अपने उद्घाटन भाषण में, प्रो. डी.आर. प्रजापति, डीन ऑफ स्टूडेंट अफेयर्स (डीएसए), ने सभी को खुले दिल से आमंत्रित किया और पेकफेस्ट को एक ऐसा मंच बताया जहाँ रचनात्मकता, नवाचार और सौहार्द को प्रोत्साहित किया जाता है।

इसके बाद, दर्शकों को पेकफेस्ट की एक परिचयात्मक वीडियो दिखाई गई। इसके पश्चात, पेक के निदेशक प्रो. राजेश कुमार भाटिया ने प्रेरणादायक शब्दों में सभी का स्वागत किया। उन्होंने आई आर एस के डिप्टी कमिश्नर ऑफ इनकम टैक्स श्री अनिरुद्ध और एयर कमोडोर राजीव श्रीवास्तव का स्वागत करते हुए उनके इस अवसर पर आने के लिए आभार प्रकट किया। प्रो. भाटिया ने पेक की उल्लेखनीय विरासत, इसके आगामी 104वें स्थापना दिवस के बारे में चर्चा की और पेकफेस्ट को नवाचार एवं सांस्कृतिक समारोह की भावना का प्रतीक बताया। उन्होंने आयोजन को भव्य बनाने में जुटे सभी आयोजकों, प्रायोजकों और डीएसए की मेहनत की सराहना की।

इसके पश्चात, पेक  की गौरवशाली विरासत पर एक डॉक्यूमेंट्री प्रस्तुत की गई, जिसने इंजीनियरिंग शिक्षा के भविष्य को संवारने में PEC के योगदान और उपलब्धियों को प्रदर्शित किया।

एयर कमोडोर राजीव श्रीवास्तव ने भी सभा को संबोधित किया और पेक की नेतृत्व और उत्कृष्टता को बढ़ावा देने के प्रति दीर्घकालिक प्रतिबद्धता के प्रति अपनी सराहना व्यक्त की। इसके बाद श्री अनिरुद्ध ने छात्रों को पेक में बिताए अपने समय को संजोने और यहां मिलने वाले अवसरों का भरपूर लाभ उठाने के लिए प्रेरित किया।

समारोह का समापन एक रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम के साथ हुआ, जिसमें पेक के छात्रों ने परंपरागत और आधुनिक प्रस्तुतियों का शानदार प्रदर्शन किया, जो इस वर्ष के "रेटरोग्रेड रिबेलियन" थीम के अनुरूप था।

पेकफेस्ट 2024 आगामी तीन दिनों में रोमांचक गतिविधियों का वायदा करता है, जिसमें विभिन्न तकनीकी और सांस्कृतिक इवेंट्स शामिल हैं। मुख्य आकर्षणों में डिफेंस एक्सपो शामिल है, जहाँ नवीनतम सैन्य तकनीक का प्रदर्शन होगा और छात्रों तथा आगंतुकों को एक अद्वितीय सीखने का अवसर मिलेगा।

जैसे-जैसे पेकफेस्ट 2024 आगे बढ़ेगा, यह सभी को पेक की समृद्ध विरासत का जश्न मनाने के लिए आमंत्रित करता है और एक नवाचार व समावेशी भविष्य की ओर देखता है।

Saturday, October 19, 2024

दृढ़ता, कड़ी मेहनत और जुनून ही सफलता की कुंजी हैं

Saturday 19th October 2024 at 6:16 PM By Email Hardeep Kaur Mohali Doaba School

*दोआबा बिजनेस स्कूल द्वारा विशेष सेमिनार का आयोजन 

*सेमिनार में डॉ. शिव कुमार गौतम ने भी बताए सफलता के गुर


मोहाली: 19 अक्टूबर 2024: (हरदीप कौर//एजुकेशन स्क्रीन डेस्क)::

उद्यमिता और मानसिक स्वास्थ्य दोनों ही आपस में पूरी तरह से संबंधित हैं। इनमें से एक में न भी कुछ गड़बड़ी आ जाए तो मामला बिगड़ने लगता है। ज़िंदगी  दोनों की भी पूरी ज़रूरत रहती है। इससे सबंधित एक विशेष सेमिनार में इन सभी बारीकियों की भी ख़ास चर्चा रही। 

शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभा रहे दोआबा बिजनेस स्कूल ने छात्रों को एक सफल उद्यमी बनाने के उद्देश्य से 'उद्यमिता और मानसिक स्वास्थ्य' विषय पर एक सेमिनार का आयोजन किया। इस बीच, दोआबा बिजनेस स्कूल के पैरामेडिकल विभाग के प्रमुख रोजी गुल ने कार्यक्रम की मेज़बानी की। कार्यक्रम में विषय विशेषज्ञ डॉ. शिव कुमार गौतम ने अपने प्रेरक उद्बोधन से विद्यार्थियों को प्रेरित किया। इस अवसर पर छात्रों को संबोधित करते हुए डॉ. शिव कुमार गौतम ने कहा कि सफलता का कोई शॉर्ट कट नहीं होता। सफलता दृढ़ता, कड़ी मेहनत और जुनून से ही मिलती है। उन्होंने कहा कि जीवन के किसी भी क्षेत्र में सफलता के लिए ये तीनों शर्तें अनिवार्य हैं।

दोआबा बिजनेस स्कूल के विद्यार्थियों को सफल उद्यमी बनाने के लिए आयोजित इस कार्यक्रम के दौरान ग्रुप के मैनेजिंग वाइस चेयरमैन एस एस संघा ने वक्ताओं को सम्मान चिन्ह देकर सम्मानित किया। इस मौके पर अन्य लोगों के अलावा डायरेक्टर प्लेसमेंट डॉ. हरप्रीत रॉय, दोआबा कॉलेज ऑफ फार्मेसी के प्रिंसिपल डॉ. प्रीत महिंदर सिंह, दोआबा कॉलेज ऑफ एजुकेशन के प्रिंसिपल डॉ. सुखजिंदर सिंह और डीन स्टूडेंट वेलफेयर मैडम मनिंदर पाल कौर मौजूद थे।  

कार्यक्रम के अंत में दोआबा बिजनेस स्कूल की प्रिंसिपल डॉ. मीनू जेटली ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया और छात्रों को हर चुनौती का सामना करने के लिए प्रोत्साहित किया। कार्यक्रम के दौरान विद्यार्थियों ने उपस्थित वक्ताओं के समक्ष कई प्रश्न भी रखे जिनका वक्ताओं ने बहुत ही सरल एवं स्पष्ट शब्दों में उत्तर देकर विद्यार्थियों को संतुष्ट किया। छात्रों को सफल उद्यमी बनाने के लिए समूह द्वारा आयोजित यह कार्यक्रम यादगार बन गया।

इस सफल आयोजन को देखते हुए लगता है कि ऐसे कुछ और आयोजन भी पंजाब के विभिन्नक्षेत्रों में बहुत आवश्यक हैं क्यूंकि पूर्ण सफलता सभी बारीकियों को हर छात्र तक पहुँचाना बहुत ज़रूरी है। 

Thursday, October 3, 2024

मराठी, पाली, प्राकृत, असमिया और बंगाली के लिए खास खबर

संस्‍कृति मंत्रालय//Azadi ka Amrit Aahotsavg20-India-2023//प्रविष्टि तिथि: 03 OCT 2024 8:31PM by PIB Delhi

मंत्रिमंडल ने इन सभी को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने को स्वीकृति दी

नई दिल्ली: 03 अक्टूबर 2024:(PIB Delhi//एजुकेशन स्क्रीन डेस्क)::

संकेतक तस्वीर 

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मराठी, पाली, प्राकृत, असमिया और बंगाली भाषाओं को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिए जाने को स्वीकृति दे दी है। शास्त्रीय भाषाएं भारत की गहन और प्राचीन सांस्कृतिक विरासत की संरक्षक के रूप में काम करती हैं, जो प्रत्येक समुदाय की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक उपलब्धियों का सार प्रस्तुत करती हैं।

बिंदुवार विवरण एवं पृष्ठभूमि:

भारत सरकार ने 12 अक्टूबर 2004 को “शास्त्रीय भाषाओं” के रूप में भाषाओं की एक नई श्रेणी बनाने का निर्णय लियाथा, जिसमें तमिल को शास्त्रीय भाषा घोषित किया गया और शास्त्रीय भाषा की स्थिति के लिए निम्नलिखित मानदंड निर्धारित किए गए:

क. इसके आरंभिक ग्रंथों/एक हजार वर्षों से अधिक के दर्ज इतिहास की उच्च पुरातनता।

ख. प्राचीन साहित्य/ग्रंथों का एक संग्रह, जिसे बोलने वालों की पीढ़ी द्वारा एक मूल्यवान विरासत माना जाता है।

ग. साहित्यिक परंपरा मौलिक होनी चाहिए और किसी अन्य भाषण समुदाय से उधार नहीं ली गई होनी चाहिए।

शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने के उद्देश्य से प्रस्तावित भाषाओं का परीक्षण करने के लिए नवंबर 2004 में साहित्य अकादमी के तहत संस्कृति मंत्रालय द्वारा एक भाषा विशेषज्ञ समिति (एलईसी) का गठन किया गया था।

नवंबर 2005 में मानदंडों को संशोधित किया गया और संस्कृत को शास्त्रीय भाषा घोषित किया गया:

I. इसके प्रारंभिक ग्रंथों/अभिलेखित इतिहास की 1500-2000 वर्षों की अवधि में उच्च पुरातनता।

II. प्राचीन साहित्य/ग्रंथों का एक संग्रह, जिसे बोलने वालों की पीढ़ियों द्वारा एक मूल्यवान विरासत माना जाता है।

III. साहित्यिक परंपरा मौलिक होनी चाहिए और किसी अन्य भाषण समुदाय से उधार नहीं ली गई होनी चाहिए।

IV. शास्त्रीय भाषा और साहित्य आधुनिक दौर से अलग होने के कारण, शास्त्रीय भाषा और उसके बाद के रूपों या उसकी शाखाओं के बीच एक विसंगति भी हो सकती है।

 भारत सरकार ने अब तक निम्नलिखित भाषाओं को शास्त्रीय भाषाओं का दर्जा प्रदान किया है:

भाषा

अधिसूचना की तारीख

 

तमिल

12/10/2004

संस्कृत

25/11/2005

तेलुगु

31/10/2008

कन्नड़

31/10/2008

मलयालम

08/08/2013

उड़िया

01/03/2014

 2013 में महाराष्ट्र सरकार की ओर से मंत्रालय को एक प्रस्ताव प्राप्त हुआ था जिसमें मराठी को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने का अनुरोध किया गया था, जिसे एलईसी को भेज दिया गया था। एलईसी ने शास्त्रीय भाषा के लिए मराठी की सिफारिश की थी। मराठी भाषा को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने के लिए 2017 में मंत्रिमंडल के लिए मसौदा नोट पर अंतर-मंत्रालयी परामर्श के दौरान, गृह मंत्रालय ने मानदंडों को संशोधित करने और इसे सख्त बनाने की सलाह दी। पीएमओ ने अपनी टिप्पणी में कहा कि मंत्रालय यह पता लगाने के लिए इस बात पर विचार कर सकता है कि कितनी अन्य भाषाएं पात्र होने की संभावना है।

इस बीच, पाली, प्राकृत, असमिया और बंगाली को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने के लिए बिहार, असम, पश्चिम बंगाल से भी प्रस्ताव प्राप्त हुए।

इस क्रम में, भाषाविज्ञान विशेषज्ञ समिति (साहित्य अकादमी के अधीन) ने 25.07.2024 को एक बैठक में सर्वसम्मति से निम्नलिखित मानदंडों को संशोधित किया। साहित्य अकादमी को एलईसी के लिए नोडल एजेंसी नियुक्त किया गया है।

i. इसकी उच्च पुरातनता 1500-2000 वर्षों की अवधि में आरंभिक ग्रंथ/अभिलेखित इतिहास की है।

ii. प्राचीन साहित्य/ग्रंथों का एक समूह, जिसे बोलने वालों की पीढ़ियों द्वारा विरासत माना जाता है।

iii. ज्ञान से संबंधित ग्रंथ, विशेष रूप से कविता, पुरालेखीय और शिलालेखीय साक्ष्य के अलावा गद्य ग्रंथ।

iv. शास्त्रीय भाषाएं और साहित्य अपने वर्तमान स्वरूप से अलग हो सकते हैं या अपनी शाखाओं के बाद के रूपों से अलग हो सकते हैं।

समिति ने यह भी सिफारिश की कि निम्नलिखित भाषाओं को शास्त्रीय भाषा माने जाने के लिए संशोधित मानदंडों को पूरा करना होगा।

I. मराठी

II. पाली

III. प्राकृत

IV. असमिया

V. बंगाली

 कार्यान्वयन रणनीति और लक्ष्य:

शिक्षा मंत्रालय ने शास्त्रीय भाषाओं को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं। संस्कृत भाषा को बढ़ावा देने के लिए संसद के एक अधिनियम के माध्यम से 2020 में तीन केंद्रीय विश्वविद्यालय स्थापित किए गए। प्राचीन तमिल ग्रंथों के अनुवाद की सुविधा, अनुसंधान को बढ़ावा देने और विश्वविद्यालय के छात्रों और तमिल भाषा के विद्वानों के लिए पाठ्यक्रम प्रदान करने के उद्देश्य से केंद्रीय शास्त्रीय तमिल संस्थान की स्थापना की गई थी। शास्त्रीय भाषाओं के अध्ययन और संरक्षण को और बढ़ाने के लिए, मैसूर में केंद्रीय भारतीय भाषा संस्थान के तत्वावधान में शास्त्रीय कन्नड़, तेलुगु, मलयालम और ओडिया में अध्ययन के लिए उत्कृष्टता केंद्र स्थापित किए गए थे। इन पहलों के अलावा, शास्त्रीय भाषाओं के क्षेत्र में उपलब्धियों को मान्यता देने और प्रोत्साहित करने के लिए कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार शुरू किए गए हैं। शिक्षा मंत्रालय द्वारा शास्त्रीय भाषाओं को दिए जाने वाले लाभों में शास्त्रीय भाषाओं के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार, विश्वविद्यालयों में पीठ और शास्त्रीय भाषाओं के प्रचार के लिए केंद्र शामिल हैं।

रोजगार सृजन सहित प्रमुख प्रभाव:

भाषाओं को शास्त्रीय भाषा के रूप में शामिल करने से खासकर शैक्षणिक और शोध क्षेत्रों में रोजगार के अहम अवसर पैदा होंगे। इसके अतिरिक्त, इन भाषाओं के प्राचीन ग्रंथों के संरक्षण, दस्तावेजीकरण और डिजिटलीकरण से संग्रह, अनुवाद, प्रकाशन और डिजिटल मीडिया में रोजगार पैदा होंगे।

शामिल राज्य/जिले:

इसमें शामिल मुख्य राज्य महाराष्ट्र (मराठी), बिहार, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश (पाली और प्राकृत), पश्चिम बंगाल (बंगाली) और असम (असमिया) हैं। इससे व्यापक सांस्कृतिक और शैक्षणिक प्रभाव का राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रसार होगा।

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एमजी/आरपीएम/केसी/एमपी//(रिलीज़ आईडी: 2061731)