Friday, November 8, 2024

परंपरा, नवाचार और एकता का जश्न:

 Friday 8th November 2024 at 9:52 PM  Communication, Information & Media Cell (CIM) Clubs

  पेककफेस्ट 2024 की हर्षोल्लास के साथ हुई भव्य शुरुआत 


चंडीगढ़
: 08 नवंबर 2024: (मीडिया लिंक//एजुकेशन स्क्रीन डेस्क)::
पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज (डीम्ड टू बी यूनिवर्सिटी), चंडीगढ़ का परिसर आज पेकफेस्ट 2024, वार्षिक टेक्नो-कल्चरल फेस्टिवल के उद्घाटन के साथ जीवंत हो उठा। इस वर्ष का थीम “रेटरोग्रेड रिबेलियन” है, जो परंपरा और आधुनिकता के अनोखे संगम का प्रतीक है। छात्रों, संकाय सदस्यों, पूर्व छात्रों और गणमान्य अतिथियों के जोश और उत्साह ने इस आयोजन को पेक की समृद्ध विरासत और जीवंत समुदाय के जश्न का यादगार अवसर बना दिया।

उद्घाटन समारोह का शुभारम्भ दोपहर 12:00 बजे सभी गणमान्य जनों के गर्मजोशी से स्वागत के साथ हुआ। इस कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन से हुई, जो आशा और सांस्कृतिक एवं तकनीकी अन्वेषण की यात्रा की शुरुआत का प्रतीक था।

अपने उद्घाटन भाषण में, प्रो. डी.आर. प्रजापति, डीन ऑफ स्टूडेंट अफेयर्स (डीएसए), ने सभी को खुले दिल से आमंत्रित किया और पेकफेस्ट को एक ऐसा मंच बताया जहाँ रचनात्मकता, नवाचार और सौहार्द को प्रोत्साहित किया जाता है।

इसके बाद, दर्शकों को पेकफेस्ट की एक परिचयात्मक वीडियो दिखाई गई। इसके पश्चात, पेक के निदेशक प्रो. राजेश कुमार भाटिया ने प्रेरणादायक शब्दों में सभी का स्वागत किया। उन्होंने आई आर एस के डिप्टी कमिश्नर ऑफ इनकम टैक्स श्री अनिरुद्ध और एयर कमोडोर राजीव श्रीवास्तव का स्वागत करते हुए उनके इस अवसर पर आने के लिए आभार प्रकट किया। प्रो. भाटिया ने पेक की उल्लेखनीय विरासत, इसके आगामी 104वें स्थापना दिवस के बारे में चर्चा की और पेकफेस्ट को नवाचार एवं सांस्कृतिक समारोह की भावना का प्रतीक बताया। उन्होंने आयोजन को भव्य बनाने में जुटे सभी आयोजकों, प्रायोजकों और डीएसए की मेहनत की सराहना की।

इसके पश्चात, पेक  की गौरवशाली विरासत पर एक डॉक्यूमेंट्री प्रस्तुत की गई, जिसने इंजीनियरिंग शिक्षा के भविष्य को संवारने में PEC के योगदान और उपलब्धियों को प्रदर्शित किया।

एयर कमोडोर राजीव श्रीवास्तव ने भी सभा को संबोधित किया और पेक की नेतृत्व और उत्कृष्टता को बढ़ावा देने के प्रति दीर्घकालिक प्रतिबद्धता के प्रति अपनी सराहना व्यक्त की। इसके बाद श्री अनिरुद्ध ने छात्रों को पेक में बिताए अपने समय को संजोने और यहां मिलने वाले अवसरों का भरपूर लाभ उठाने के लिए प्रेरित किया।

समारोह का समापन एक रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम के साथ हुआ, जिसमें पेक के छात्रों ने परंपरागत और आधुनिक प्रस्तुतियों का शानदार प्रदर्शन किया, जो इस वर्ष के "रेटरोग्रेड रिबेलियन" थीम के अनुरूप था।

पेकफेस्ट 2024 आगामी तीन दिनों में रोमांचक गतिविधियों का वायदा करता है, जिसमें विभिन्न तकनीकी और सांस्कृतिक इवेंट्स शामिल हैं। मुख्य आकर्षणों में डिफेंस एक्सपो शामिल है, जहाँ नवीनतम सैन्य तकनीक का प्रदर्शन होगा और छात्रों तथा आगंतुकों को एक अद्वितीय सीखने का अवसर मिलेगा।

जैसे-जैसे पेकफेस्ट 2024 आगे बढ़ेगा, यह सभी को पेक की समृद्ध विरासत का जश्न मनाने के लिए आमंत्रित करता है और एक नवाचार व समावेशी भविष्य की ओर देखता है।

Saturday, October 19, 2024

दृढ़ता, कड़ी मेहनत और जुनून ही सफलता की कुंजी हैं

Saturday 19th October 2024 at 6:16 PM By Email Hardeep Kaur Mohali Doaba School

*दोआबा बिजनेस स्कूल द्वारा विशेष सेमिनार का आयोजन 

*सेमिनार में डॉ. शिव कुमार गौतम ने भी बताए सफलता के गुर


मोहाली: 19 अक्टूबर 2024: (हरदीप कौर//एजुकेशन स्क्रीन डेस्क)::

उद्यमिता और मानसिक स्वास्थ्य दोनों ही आपस में पूरी तरह से संबंधित हैं। इनमें से एक में न भी कुछ गड़बड़ी आ जाए तो मामला बिगड़ने लगता है। ज़िंदगी  दोनों की भी पूरी ज़रूरत रहती है। इससे सबंधित एक विशेष सेमिनार में इन सभी बारीकियों की भी ख़ास चर्चा रही। 

शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभा रहे दोआबा बिजनेस स्कूल ने छात्रों को एक सफल उद्यमी बनाने के उद्देश्य से 'उद्यमिता और मानसिक स्वास्थ्य' विषय पर एक सेमिनार का आयोजन किया। इस बीच, दोआबा बिजनेस स्कूल के पैरामेडिकल विभाग के प्रमुख रोजी गुल ने कार्यक्रम की मेज़बानी की। कार्यक्रम में विषय विशेषज्ञ डॉ. शिव कुमार गौतम ने अपने प्रेरक उद्बोधन से विद्यार्थियों को प्रेरित किया। इस अवसर पर छात्रों को संबोधित करते हुए डॉ. शिव कुमार गौतम ने कहा कि सफलता का कोई शॉर्ट कट नहीं होता। सफलता दृढ़ता, कड़ी मेहनत और जुनून से ही मिलती है। उन्होंने कहा कि जीवन के किसी भी क्षेत्र में सफलता के लिए ये तीनों शर्तें अनिवार्य हैं।

दोआबा बिजनेस स्कूल के विद्यार्थियों को सफल उद्यमी बनाने के लिए आयोजित इस कार्यक्रम के दौरान ग्रुप के मैनेजिंग वाइस चेयरमैन एस एस संघा ने वक्ताओं को सम्मान चिन्ह देकर सम्मानित किया। इस मौके पर अन्य लोगों के अलावा डायरेक्टर प्लेसमेंट डॉ. हरप्रीत रॉय, दोआबा कॉलेज ऑफ फार्मेसी के प्रिंसिपल डॉ. प्रीत महिंदर सिंह, दोआबा कॉलेज ऑफ एजुकेशन के प्रिंसिपल डॉ. सुखजिंदर सिंह और डीन स्टूडेंट वेलफेयर मैडम मनिंदर पाल कौर मौजूद थे।  

कार्यक्रम के अंत में दोआबा बिजनेस स्कूल की प्रिंसिपल डॉ. मीनू जेटली ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया और छात्रों को हर चुनौती का सामना करने के लिए प्रोत्साहित किया। कार्यक्रम के दौरान विद्यार्थियों ने उपस्थित वक्ताओं के समक्ष कई प्रश्न भी रखे जिनका वक्ताओं ने बहुत ही सरल एवं स्पष्ट शब्दों में उत्तर देकर विद्यार्थियों को संतुष्ट किया। छात्रों को सफल उद्यमी बनाने के लिए समूह द्वारा आयोजित यह कार्यक्रम यादगार बन गया।

इस सफल आयोजन को देखते हुए लगता है कि ऐसे कुछ और आयोजन भी पंजाब के विभिन्नक्षेत्रों में बहुत आवश्यक हैं क्यूंकि पूर्ण सफलता सभी बारीकियों को हर छात्र तक पहुँचाना बहुत ज़रूरी है। 

Thursday, October 3, 2024

मराठी, पाली, प्राकृत, असमिया और बंगाली के लिए खास खबर

संस्‍कृति मंत्रालय//Azadi ka Amrit Aahotsavg20-India-2023//प्रविष्टि तिथि: 03 OCT 2024 8:31PM by PIB Delhi

मंत्रिमंडल ने इन सभी को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने को स्वीकृति दी

नई दिल्ली: 03 अक्टूबर 2024:(PIB Delhi//एजुकेशन स्क्रीन डेस्क)::

संकेतक तस्वीर 

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मराठी, पाली, प्राकृत, असमिया और बंगाली भाषाओं को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिए जाने को स्वीकृति दे दी है। शास्त्रीय भाषाएं भारत की गहन और प्राचीन सांस्कृतिक विरासत की संरक्षक के रूप में काम करती हैं, जो प्रत्येक समुदाय की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक उपलब्धियों का सार प्रस्तुत करती हैं।

बिंदुवार विवरण एवं पृष्ठभूमि:

भारत सरकार ने 12 अक्टूबर 2004 को “शास्त्रीय भाषाओं” के रूप में भाषाओं की एक नई श्रेणी बनाने का निर्णय लियाथा, जिसमें तमिल को शास्त्रीय भाषा घोषित किया गया और शास्त्रीय भाषा की स्थिति के लिए निम्नलिखित मानदंड निर्धारित किए गए:

क. इसके आरंभिक ग्रंथों/एक हजार वर्षों से अधिक के दर्ज इतिहास की उच्च पुरातनता।

ख. प्राचीन साहित्य/ग्रंथों का एक संग्रह, जिसे बोलने वालों की पीढ़ी द्वारा एक मूल्यवान विरासत माना जाता है।

ग. साहित्यिक परंपरा मौलिक होनी चाहिए और किसी अन्य भाषण समुदाय से उधार नहीं ली गई होनी चाहिए।

शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने के उद्देश्य से प्रस्तावित भाषाओं का परीक्षण करने के लिए नवंबर 2004 में साहित्य अकादमी के तहत संस्कृति मंत्रालय द्वारा एक भाषा विशेषज्ञ समिति (एलईसी) का गठन किया गया था।

नवंबर 2005 में मानदंडों को संशोधित किया गया और संस्कृत को शास्त्रीय भाषा घोषित किया गया:

I. इसके प्रारंभिक ग्रंथों/अभिलेखित इतिहास की 1500-2000 वर्षों की अवधि में उच्च पुरातनता।

II. प्राचीन साहित्य/ग्रंथों का एक संग्रह, जिसे बोलने वालों की पीढ़ियों द्वारा एक मूल्यवान विरासत माना जाता है।

III. साहित्यिक परंपरा मौलिक होनी चाहिए और किसी अन्य भाषण समुदाय से उधार नहीं ली गई होनी चाहिए।

IV. शास्त्रीय भाषा और साहित्य आधुनिक दौर से अलग होने के कारण, शास्त्रीय भाषा और उसके बाद के रूपों या उसकी शाखाओं के बीच एक विसंगति भी हो सकती है।

 भारत सरकार ने अब तक निम्नलिखित भाषाओं को शास्त्रीय भाषाओं का दर्जा प्रदान किया है:

भाषा

अधिसूचना की तारीख

 

तमिल

12/10/2004

संस्कृत

25/11/2005

तेलुगु

31/10/2008

कन्नड़

31/10/2008

मलयालम

08/08/2013

उड़िया

01/03/2014

 2013 में महाराष्ट्र सरकार की ओर से मंत्रालय को एक प्रस्ताव प्राप्त हुआ था जिसमें मराठी को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने का अनुरोध किया गया था, जिसे एलईसी को भेज दिया गया था। एलईसी ने शास्त्रीय भाषा के लिए मराठी की सिफारिश की थी। मराठी भाषा को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने के लिए 2017 में मंत्रिमंडल के लिए मसौदा नोट पर अंतर-मंत्रालयी परामर्श के दौरान, गृह मंत्रालय ने मानदंडों को संशोधित करने और इसे सख्त बनाने की सलाह दी। पीएमओ ने अपनी टिप्पणी में कहा कि मंत्रालय यह पता लगाने के लिए इस बात पर विचार कर सकता है कि कितनी अन्य भाषाएं पात्र होने की संभावना है।

इस बीच, पाली, प्राकृत, असमिया और बंगाली को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने के लिए बिहार, असम, पश्चिम बंगाल से भी प्रस्ताव प्राप्त हुए।

इस क्रम में, भाषाविज्ञान विशेषज्ञ समिति (साहित्य अकादमी के अधीन) ने 25.07.2024 को एक बैठक में सर्वसम्मति से निम्नलिखित मानदंडों को संशोधित किया। साहित्य अकादमी को एलईसी के लिए नोडल एजेंसी नियुक्त किया गया है।

i. इसकी उच्च पुरातनता 1500-2000 वर्षों की अवधि में आरंभिक ग्रंथ/अभिलेखित इतिहास की है।

ii. प्राचीन साहित्य/ग्रंथों का एक समूह, जिसे बोलने वालों की पीढ़ियों द्वारा विरासत माना जाता है।

iii. ज्ञान से संबंधित ग्रंथ, विशेष रूप से कविता, पुरालेखीय और शिलालेखीय साक्ष्य के अलावा गद्य ग्रंथ।

iv. शास्त्रीय भाषाएं और साहित्य अपने वर्तमान स्वरूप से अलग हो सकते हैं या अपनी शाखाओं के बाद के रूपों से अलग हो सकते हैं।

समिति ने यह भी सिफारिश की कि निम्नलिखित भाषाओं को शास्त्रीय भाषा माने जाने के लिए संशोधित मानदंडों को पूरा करना होगा।

I. मराठी

II. पाली

III. प्राकृत

IV. असमिया

V. बंगाली

 कार्यान्वयन रणनीति और लक्ष्य:

शिक्षा मंत्रालय ने शास्त्रीय भाषाओं को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं। संस्कृत भाषा को बढ़ावा देने के लिए संसद के एक अधिनियम के माध्यम से 2020 में तीन केंद्रीय विश्वविद्यालय स्थापित किए गए। प्राचीन तमिल ग्रंथों के अनुवाद की सुविधा, अनुसंधान को बढ़ावा देने और विश्वविद्यालय के छात्रों और तमिल भाषा के विद्वानों के लिए पाठ्यक्रम प्रदान करने के उद्देश्य से केंद्रीय शास्त्रीय तमिल संस्थान की स्थापना की गई थी। शास्त्रीय भाषाओं के अध्ययन और संरक्षण को और बढ़ाने के लिए, मैसूर में केंद्रीय भारतीय भाषा संस्थान के तत्वावधान में शास्त्रीय कन्नड़, तेलुगु, मलयालम और ओडिया में अध्ययन के लिए उत्कृष्टता केंद्र स्थापित किए गए थे। इन पहलों के अलावा, शास्त्रीय भाषाओं के क्षेत्र में उपलब्धियों को मान्यता देने और प्रोत्साहित करने के लिए कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार शुरू किए गए हैं। शिक्षा मंत्रालय द्वारा शास्त्रीय भाषाओं को दिए जाने वाले लाभों में शास्त्रीय भाषाओं के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार, विश्वविद्यालयों में पीठ और शास्त्रीय भाषाओं के प्रचार के लिए केंद्र शामिल हैं।

रोजगार सृजन सहित प्रमुख प्रभाव:

भाषाओं को शास्त्रीय भाषा के रूप में शामिल करने से खासकर शैक्षणिक और शोध क्षेत्रों में रोजगार के अहम अवसर पैदा होंगे। इसके अतिरिक्त, इन भाषाओं के प्राचीन ग्रंथों के संरक्षण, दस्तावेजीकरण और डिजिटलीकरण से संग्रह, अनुवाद, प्रकाशन और डिजिटल मीडिया में रोजगार पैदा होंगे।

शामिल राज्य/जिले:

इसमें शामिल मुख्य राज्य महाराष्ट्र (मराठी), बिहार, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश (पाली और प्राकृत), पश्चिम बंगाल (बंगाली) और असम (असमिया) हैं। इससे व्यापक सांस्कृतिक और शैक्षणिक प्रभाव का राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रसार होगा।

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एमजी/आरपीएम/केसी/एमपी//(रिलीज़ आईडी: 2061731) 

Saturday, September 21, 2024

तंबाकू मुक्त शैक्षणिक संस्थानों के लिए विशेष परामर्श जारी

Posted on: 21st September 2024 at 5:28 PM by PIB Delhi शिक्षा मंत्रालय//azadi ka amrit mahotsavg20-india-2023

जारी किया शिक्षा मंत्रालय और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने

दिशा-निर्देशों और नियमावली के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए राज्यों/केन्‍द्र शासित प्रदेशों को जारी किया

नई दिल्ली: 21 सितंबर 2024: (PIB Delhi//एजुकेशन स्क्रीन डेस्क)::

तस्वीर हैल्थ एंड फैमिली से साभार 

युवाओं में तंबाकू के सेवन को रोकने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, केन्‍द्रीय शिक्षा मंत्रालय और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के सचिवों ने सभी राज्यों और केन्‍द्र शासित प्रदेशों को संयुक्त रूप से एक परामर्श जारी किया है। मुख्य सचिवों को संबोधित इस परामर्श में शिक्षण संस्थानों में सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद कानून (सीओटीपीए), 2003 के प्रावधानों के अनुरूप तंबाकू मुक्त शैक्षणिक संस्थान (टीओएफईआई) नियमावली का सख्ती से क्रियान्वयन का आह्वान किया गया है।

स्कूली शिक्षा विभाग, उच्च शिक्षा विभाग और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के सचिवों द्वारा हस्ताक्षरित यह संयुक्त परामर्श, विशेष रूप से बच्चों और किशोरों पर तम्बाकू सेवन के खतरनाक प्रभावों पर बल देता है। यह वैश्विक युवा तम्बाकू सर्वेक्षण (जीवाईटीएस) 2019 के निष्कर्षों की ओर ध्यान आकर्षित करता है, जिसमें पता चला है कि भारत में 13 से 15 वर्ष की आयु के 8.5 प्रतिशत स्कूली छात्र विभिन्न रूपों में तम्बाकू का सेवन करते हैं। विशेष रूप से चिंता की बात यह है कि भारत में हर दिन 5,500 से अधिक बच्चे तम्बाकू का सेवन शुरू करते हैं। इसके अलावा, आजीवन तम्बाकू का सेवन करने वाले 55 प्रतिशत लोग 20 वर्ष की आयु से पहले ही इस आदत को अपना लेते हैं, जिसके परिणामस्वरूप कई किशोर अन्य नशीले पदार्थों का रूख कर लेते हैं। परामर्श में युवाओं को तम्बाकू की लत के खतरों से बचाने के लिए सभी हितधारकों के सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता पर जोर दिया गया है। इसका लक्ष्य तम्बाकू के उपयोग के हानिकारक प्रभावों के बारे में जागरूकता बढ़ाकर और शैक्षणिक संस्थानों में तम्बाकू नियंत्रण उपायों को बढ़ावा देकर भावी पीढ़ियों की रक्षा करना है।

राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम (एनटीसीपी) के हिस्से के रूप में, भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने नाबालिगों एवं युवाओं को तंबाकू और इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट के उपयोग से बचाने के लिए तंबाकू मुक्त शैक्षणिक संस्थान (टीओएफईआई) दिशानिर्देश जारी किए। इसके अलावा, स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग ने सामाजिक आर्थिक और शैक्षिक विकास सोसायटी (सीड्स) के सहयोग से विश्व तंबाकू निषेध दिवस (डब्ल्यूएनटीडी) पर टीओएफईआई कार्यान्वयन नियमावली तैयार की और उसे लॉन्च किया है। विभाग ने अनुपालन के लिए सभी राज्यों/केन्‍द्र शासित प्रदेशों को 31 मई 2024 को मैनुअल जारी किया।

टीओएफईआई नियमावली शैक्षणिक संस्थानों के लिए इन तंबाकू विरोधी उपायों को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए एक महत्वपूर्ण संसाधन के रूप में कार्य करती है। नियमावली में निम्नलिखित उद्देश्यों की रूपरेखा दी गई है:

i. शैक्षिक संस्थानों में छात्रों, शिक्षकों, श्रमिकों एवं अधिकारियों के बीच तंबाकू के उपयोग के हानिकारक प्रभावों और दीर्घकालिक स्वास्थ्य प्रभाव के बारे में अधिक जागरूकता;

ii. तम्बाकू छोड़ने के लिए उपलब्ध विभिन्न तरीकों के बारे में जागरूकता;

iii. शैक्षणिक संस्थानों में स्वस्थ एवं तम्बाकू मुक्त वातावरण तथा सभी शैक्षणिक संस्थान तम्बाकू मुक्त हो जाएं; तथा

iv. तम्बाकू उत्पादों की बिक्री और उपयोग के संबंध में कानूनी प्रावधानों का बेहतर कार्यान्वयन, विशेष रूप से शैक्षणिक संस्थानों, सार्वजनिक स्थानों, वैधानिक चेतावनियों और नाबालिगों से संबंधित प्रावधानों का बेहतर कार्यान्वयन। 

यह परामर्श सभी स्तरों के स्कूलों, उच्च या व्यावसायिक शिक्षा के लिए कॉलेजों और सार्वजनिक एवं निजी दोनों क्षेत्रों के विश्वविद्यालयों सहित शैक्षणिक संस्थानों को छात्रों के स्वास्थ्य और कल्याण की सुरक्षा के लिए एक व्यापक मार्गदर्शिका के रूप में टीओएफईआई नियमावली और दिशा-निर्देशों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करता है।

सहयोगात्मक प्रयासों के माध्यम से, सरकार का लक्ष्य बच्चों में तम्बाकू के उपयोग को कम करना और भावी पीढ़ियों को नशे की लत में पड़ने से रोकना है। शिक्षा मंत्रालय और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय राज्य और जिला स्तर के अधिकारियों के साथ मिलकर काम करेंगे ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इन उपायों को शैक्षणिक संस्थानों में प्रभावी रूप से लागू किया जाए।

टीओएफईआई मैनुअल के कार्यान्वयन नियमावली तक पहुंचने के लिए यूआरएल: https://dsel.education.gov.in/sites/default/files/update/im_tofel.pdf

टीओएफईआई दिशा-निर्देशों को देखने के लिए यूआरएल:

https://ntcp.mohfw.gov.in/assets/document/TEFI-Guidelines.pdf

*****//एमजी/एआर/केपी/एसके//(रिलीज़ आईडी: 2057383) 

Sunday, August 25, 2024

GND: बैचलर ऑफ डिजाइनिग (स्मैस्टर फोर्थ) का रिज़ल्ट

 Saturday 24th August 2024 at 22:17

भाविनी प्रथम स्थान पर, स्वनिका दुसरे पर और श्रुति तीसरे स्थान पर 


जालंधर: 24 अगस्त 2024: (एजुकेशन स्क्रीन डेस्क)::

गुरु नानक यूनिवर्सिटी के बैचलर ऑफ डिजाइनिग (स्मैस्टर फोर्थ) का रिज़ल्ट निकल चुका है। जिसमे हंस राज महाविद्यालय, जालंधर की छात्रा भाविनी ने यूनिवर्सिटी में प्रथम स्थान प्राप्त किया है। बीबीके डीएवी कॉलेज फॉर विमेन, अमृतसर की छात्रा स्वनिका ने दूसरा, श्रुति ने तीसरा स्थान प्राप्त किया है।

भाविनी को बचपन से ही पेंटिंग का शौंक रहा है। उसके द्वारा बनाई पेंटिंग्स लोगों द्वारा खरीदी जाती हैं। कुछ तो खासतौर पर ऑर्डर दे कर पेंटिंग्स बनवाते है। इस तरह वह अपनी मेहनत से ही अपने कॉलेज की फीस निकाल लेती है। भाविनी PhD कर बच्चों को पढ़ाने का काम करने के साथ खुद का डिजाइन का ब्रांड भी बनाना चाहती है।  

इसी के साथ भाविनी हंसते हुए कहती है बचपन में मैं पढ़ाई से दूर भागती थी, क्योंकि पढ़ाई की अहमियत नहीं पता थी। इसलिए कोई पूछता था पढ़ोगी नही तो क्या करोगी ? तब मैं कहती थी मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री बन जाऊंगी। क्योंकि मुझे तब खबरें सुन यह लगता था कि अनपढ़ भी यहां नेता आराम से बन जाता हैं। पर समय के साथ मुझे पढ़ाई की अहमियत पता चलती गई। अब मैं सभी जानने वाले बच्चों को खूब पढ़ने के लिए कहती हूं।

जल्द ही हम आपके सामने लाएंगे भाविनी की इस प्रतिभा के संबंध में एक विस्तृत वीडियो स्टोरी। 

Tuesday, August 13, 2024

कहीं आपको अपनी कंपनी से मिला बारकोड घोटाला तो नहीं?

मंगलवार 13 अगस्त 2024 शाम ​​7:07 बजे

 इस बारे में बता रहे हैं जेमा डे लास हेरास जो FTC के साथ उपभोक्ता शिक्षा विशेषज्ञ हैं 


13 अगस्त, 2024

आपकी यूटिलिटी कंपनी जैसी दिखने वाली कंपनी से एक ज़रूरी कॉल आने पर आप सोच सकते हैं: क्या मैं अपना बिल चुकाना भूल गया हूँ? कॉल करने वाला कहता है कि शटऑफ़ और शुल्क से बचने का एक तरीका है: वे आपको टेक्स्ट या ईमेल के ज़रिए एक बारकोड भेजेंगे ताकि आप Walgreens, CVS या Walmart जैसे स्थानीय रिटेलर पर भुगतान कर सकें। ऐसा न करें। यह सब झूठ है। आश्चर्य है कि कैसे पता करें कि यह कोई असली यूटिलिटी कंपनी नहीं है?

घोटालेबाज अप्रत्याशित रूप से कॉल करते हैं और अत्यावश्यकता का एहसास कराते हैं। लेकिन असली यूटिलिटी कंपनियाँ ऐसा नहीं करती हैं। अगर आप पर पैसे बकाया हैं, तो भी वे आपके साथ भुगतान योजना पर काम करेंगे और आपको तुरंत भुगतान करने के लिए डराने की कोशिश नहीं करेंगे - और वे आपको बारकोड नहीं भेजेंगे और न ही आग्रह करेंगे कि आप इसे भुगतान करने के लिए स्टोर पर ले जाएँ।

यहाँ बताया गया है कि ऐसे कॉल या संदेशों से कैसे निपटें जो आपकी उपयोगिता कंपनी से आते हैं:

स्वयं उपयोगिता कंपनी से संपर्क करें। अगर आपको चिंता है कि आप अपने बिलों का भुगतान करने में पीछे रह गए हैं, तो अपने बिल या उपयोगिता कंपनी की वेबसाइट पर दिए गए नंबर का उपयोग करके कंपनी को कॉल करें -कभी भी वह नंबर न चुनें जो कॉल करने वाले ने आपको दिया है, जो आपको वापस घोटालेबाज के पास ले जाएगा।

जान लें कि केवल घोटालेबाज ही आपसे एक निश्चित तरीके से भुगतान की माँग करते हैं। घोटालेबाज आपसे ऐसे तरीके से भुगतान करने के लिए कहते हैं जिससे आपके लिए अपना पैसा वापस पाना मुश्किल हो जाता है - पैसे भेजना, उपहार कार्ड पर पैसे डालना, भुगतान ऐप का उपयोग करना, स्कैन करने योग्य बारकोड या क्यूआर कोड या क्रिप्टोकरेंसी से भुगतान करना। आपकी उपयोगिता कंपनी आपसे उस तरीके से भुगतान की माँग नहीं करेगी।

अगर आपको संदेह है कि आपने किसी घोटालेबाज को भुगतान किया है, तो तुरंत कार्रवाई करें। जिस कंपनी से आपने पैसे भेजे थे, उससे संपर्क करें और उन्हें बताएँ कि यह धोखाधड़ी थी। भुगतान वापस करने के लिए उनकी मदद मांगें। हो सकता है कि आप अपना कुछ पैसा वापस पा सकें।

यूटिलिटी कंपनी के नकली लोगों की रिपोर्ट अपनी यूटिलिटी कंपनी और FTC को ReportFraud.ftc.gov पर करें।

यह पोस्ट मिलिट्री कंज्यूमर यूएसए के सौजन्य से 

Monday, August 12, 2024

जसपाल भट्टी साहिब की यादों को ताज़ा करने की नई पहल

Monday12th August 2024 at 4:30 PM

उनकी प्रतिमा का अनावरण होगा 14 अगस्त, 2024 को

चंडीगढ़: 12 अगस्त, 2024: (के के सिंह//एजुकेशन स्क्रीन डेस्क):: 

जनाब जसपाल भट्टी साहिब का एक युग था। उनके जाने के बाद कभी भी वह दौर लौटकर नहीं आया। उनकी हंसी महज़ लतीफा नहीं होती थी। सिर्फ चुटकला भी नहीं होती थी। वह किसी का मज़ाक उदा कर उसे आहत भी नहीं करते थे लेकिन समाज में घुस आयी बुराइओं को इस अंदाज़ में सामने लाते कि बड़े बड़े स्कैंडलों जैसा घपला हंसी हंसी में बेनकाब होता। उनकी प्रस्तुरी को सुनने यादेखने वाला सिर्फ हंसता ही नहीं बल्कि बहुत गंभीरता से कुछ सोचने को मजबूर हो जाता। बिना कुछ कड़वा बोले या बिना कुछ सख्त शब्द बोले समाज के दुखःद हालात के कारणों पर अपने दर्शकों और श्रोताओं को सोचने के लिए लगा देना यह जसपाल भट्टी साहिब को ही आता था।यह उनकी बहुत बड़ी खूबी थी।

हकीकत पर चिंता नहीं बल्कि एक चिंतन जगाना शायद उनका छिपा हुआ मकसद भी हुआ करता था। हंसी की फुहारों में वह एक चेतना जगा जाते थे। न गम की बात, न ही रोना धोना और न ही किसी दुःख की चर्चा लेकिन समाज को दुःख पहुंचाने वाले कारणों को बहुत ही सलीके से बेनकाब कर जाते थे। उनका ज़ाहि अंदाज़ तब भी अपना रंग दिखता रहा जब वह बहुत पहले एक प्रसिद्ध अंग्रेज़ी अख़बार में कार्टून बनाया करते थे। लोग हर रोज़ उनके कार्टून का सन्देश देखने के लिए अख़बार की इंतज़ार किया करते थे। 

उनकी यादों को ताज़ा करने की पहल की है PEC अर्थात पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज (डीम्ड यूनिवर्सिटी) के प्रबंधन ने।  चंडीगढ़ के पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज ओल्ड स्टूडेंट्स एसोसिएशन (PECOSA) द्वारा एक विशेष समारोह पद्म भूषण से सम्मानित, सम्मानित इंजीनियर, 1978 के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग बैच के पूर्व छात्र, प्रसिद्ध भारतीय टेलीविजन के दिग्गज़ श्री जसपाल भट्टी जी की याद एवं उनके सम्मान में उनकी प्रतिमा का अनावरण 14 अगस्त, 2024 को शाम 4:00 बजे से, PEC ऑडिटोरियम के बाहर किया जा रहा है।

माननीय निदेशक, पीईसी, प्रो. (डॉ.) राजेश कुमार भाटिया इस शुभ समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित होंगे, उनके साथ ही प्रो. (डॉ.) राजेश कांडा (प्रमुख, पूर्व छात्र, कॉर्पोरेट और अंतर्राष्ट्रीय संबंध), इस मौके पर सम्मानित अतिथि के रूप में शामिल होंगे। इस पूरे समारोह का आयोजन इंजीनियर  टीकम चंदर बाली (अध्यक्ष, पेकोसा) और इंजीनियर एच.एस. ओबेरॉय (जनरल सचिव, पेकोसा) द्वारा किया गया है। 

यह शाम पूरी तरह से हमारे सम्मानित पूर्व छात्र व् इंजीनियर जसपाल भट्टी और उनके जीवन को समर्पित होगी। इस बहुप्रतीक्षित कार्यक्रम में उनके मित्र, अन्य पूर्व छात्र, संकाय सदस्य और छात्रों का वर्तमान बैच भी शामिल होगा।