Saturday, April 24, 2021

प्रताप कॉलेज द्वारा अंतराष्ट्रीय वैबिनार आयोजित

Saturday: 24th April, 2021 At 1:54 PM 

'पैडागोजिकल टैक्नोलॉजीस इन टीचिंग' रहा मुख्य विषय 

लुधियाना: 24 अप्रैल, 2021: (कार्तिका सिंह //पंजाब स्क्रीन) ::

डॉ मनप्रीत कौर 
प्रताप कालेज आफ एजुकेशन, लुधियाना तथा कज़ान फैडरल यूनिवर्सिटी(K.F.U),रशिया के इंस्टीट्यूट आफ फिलालोजी एंड इंटरकल्चरल कम्युनिकेशन के संयुक्त तत्वावधान में ,"अन्तर्राष्ट्रीय वैबीनार"आयोजित किया गया।इन दोनों संस्थाओं के मध्य मजबूत सांझ विकसित करने के लिए किए गये इस अंतरराष्ट्रीय वैबीनार का मुख्य विषय,' पैडागोजिकल टैक्नोलॉजीस इन टीचिंग एक्टीविटीज 'था।इस वैबीनार मे इंडिया, स्पेन, रशिया, इटली, सउदी अरब और पुर्तगाल से    60 से अधिक शिक्षकों व शोधार्थियों ने भाग लिया।

 प्रताप कालेज आफ ऐजुकेशन के डायरेक्टर डा.बलवंत सिंह के स्वागती सम्बोधन से वैबीनार की शुरुआत हुई।उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में टैक्नोलॉजी  का प्रयोग शिक्षण संस्थानों के लिए अनिवार्य है परन्तु इसमें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।प्रोफेसर रेडिफ आर.जमालेतदिनोव, डायरेक्टर, इंस्टीट्यूट ऑफ फिलालोजी एंड इंटरकल्चरल कम्युनिकेशन, के.एफ.यू.,रशिया ने भी नये तकनीकी माध्यमों द्वारा शिक्षण करवाने संम्बन्धित जानकारी सांझा की।  

सर्वप्रथम लारा सारा अगरती,(एसोसिएट प्रोफेसर, यूनिवर्सिटी ऑफ बरगिमो, इटली) ने 'ट्रेनिंग आफ टीचर्स इन टैक्नोलॉजी ऐस नेवर एंडिंग स्टोरी' विषय पर विचार व्यक्त किए।उन्होंने कहा कि आनलाइन टीचिंग में अध्यापक को खुद सक्रिय भूमिका निभाते हुए शिक्षण करवाना चाहिए।आनलाइन उपलब्ध टूल्स  के लगातार प्रयोग से विद्यार्थियों में बढ़ रहे तनाव को दूर किया जाना अति आवश्यक है।एक शिक्षक की इस तनाव को दूर करने में विद्यार्थियों की मदद करना अति महत्वपूर्ण भूमिका है।इसके लिए अध्यापक को भी सक्रिय रहते हुए नये माध्यम सीखने की आवश्यकता है।    


 भारत से डा.मनप्रीत कौर (प्रिंसिपल, प्रताप कालेज आफ ऐजुकेशन)ने "ट्रेडिशन्स एंड इनोवेशन इन यूजिंग पैडागोजिकल टैक्नोलॉजिस इन इंडियन ऐजुकेशन" विषय संम्बन्धित प्रभावशाली वक्तव्य दिया।.उनके अनुसार भारतीय पारम्परिक शिक्षा प्रणाली के ढंग आज भी शिक्षण संस्थानों में अपनाने चाहिए।उन्होंने समृद्ध भारतीय शैक्षणिक व्यवस्था का वर्णन तक्षशिला, नालंदा आदि अति प्राचीन यूनिवर्सिटियों का हवाला देकर किया।उन्होंने कहा कि भले ही कोरोना काल में टैक्नोलॉजी का प्रयोग शिक्षण के लिए किया जा रहा है, परन्तु व्यक्तिगत तौर पर वह पारम्परिक शिक्षा व्यवस्था के हक में है।उन्होंने आशा प्रकट करते हुए कहा कि शीघ्र ही परिस्थितियों के सामान्य हो जाने पर छात्रों के विद्यालयों में आना शुरू होने पर वास्तविक क्लास रूम शिक्षण व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाया जा सकेगा।उनके अनुसार भारत जैसे विकासशील देश में लगभग आधी आबादी के पास नये टैक्नोलॉजी आधारित मोबाइल फोन या लैपटॉप आदि उपकरण उपलब्ध नहीं है, अतः उन्हें शिक्षित करना असंभव है।इसके अलावा नेटवर्क की समस्या के कारण भी शिक्षण सही तरीके से नहीं करवाया जा सकता।इसलिए कक्षाओं में अध्यापकों व विद्यार्थियों की उपस्थिति से ही सभी को सही तरीके से ज्ञान प्रदान किया जा सकता है।

 उन्होंने कहा कि असल में नवाचार से अभिप्राय नये-नये टूल विकसित करना नहीं होता, अपितु टूल चाहे नया हो या पुराना, उसे कुछ नया सीखने के लिए प्रयोग किया जाना ही नवाचार कहलाता है।उन्होंने सांइस आफ लर्निंग संम्बंधित कुछ टूल्स की जानकारी सांझा की। तदुपरान्त चिली देश की एबेल सी.ने तथा कज़ान फैडरल यूनिवर्सिटी की एलिना डी. ने अपने विचार पेश किए। सउदी अरब की ज़जान यूनिवर्सिटी से एसोसिएट प्रोफेसर मुनाज़ाह शेख तथा पुर्तगाल से पोलिटैक्निक आफ पोर्टो के प्रोफेसर मैनूल कार्लोस एफ. नेअपने अपने देशों में अपनाई जा रही टीचिंग एक्टीविटीज की जानकारी सांझा की।

  भारत से प्रताप कालेज आफ ऐजुकेशन की असिस्टेंट प्रोफेसर बलविंदर कौर ने भारतीय शिक्षा व्यवस्था में वर्तमान समय में अपनाए जा रहे शिक्षा माध्यमों के बारे बताया। इस सारे कार्यक्रम का संचालन कज़ान फैडरल यूनिवर्सिटी से स्वेतलाना वी.कारकिना(कैंडीडेट आफ पैडागाजी ,एसोसिएट प्रोफेसर आफ डिपार्टमेंट ऑफ टाटरिस्टिक्स एंड कल्चरल स्टडीज) ने अत्यंत सफलतापूर्वक किया। अंत में भारत से डा.मनप्रीत कौर ने वैबीनार के सफलतापूर्वक संपन्न होने पर सभी को धन्यवाद दिया।

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