2nd November 2022 at 8:33 AM
कभी किसी समय शतरंज को शाही घरानों का खेल जाना जाता था। मुन्शी प्रेमचंद की कहानी "शतरंज के खिलाड़ी" बहुत ही खूबसूरती से इस खेल को दर्शाती है। बाद में इस पर फिल्म भी बनी थी। सन 1956 के काल को दर्शाती इस कहानी पर फिल्म बनी थी 1977 में और इसने तीन फिल्म फेयर एवार्ड भी जीते थे। दिमाग की कसरत तेज़ करने वाली शतरंज आज भी लोकप्रिय है। इस शतरंज के खिलाड़ी स्कूलों में भी अपनी रहे हैं।
बी सी एम आर्य स्कूल,ललतों की कक्षा- 1 की छात्रा मोक्षिता और कक्षा - III के विद्या सागर ने जालंधर में आयोजित 6 फायर-ऑन-बोर्ड शतरंज टूर्नामेंट में भाग लिया। जिसमें मोक्षिता ने प्रथम स्थान हासिल किया और विद्या सागर को अंडर-9 श्रेणी में 500 रुपये का नकद पुरस्कार मिला। प्रिंसिपल श्रीमती कृतिका सेठ ने उन्हें उनकी उपलब्धि पर बधाई दी।
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