Wednesday: 19th February 2020 at 3:36 PM
राष्ट्र ऋषि के रूप में याद किया गुरु गोलवलकर को
लुधियाना: 19 फरवरी 2020: (एजुकेशन स्क्रीन ब्यूरो)::
हिन्दू राष्ट्रवाद के सबसे बड़े झंडाबरदारों में से एक रहे है माधव राव सदाशिव गोलवलकर जिन्हें संघ के कार्यकर्ता गुरु गोलवलकर के नाम से जानते थे। विवादों और कठिनाईओं के बावजूद गुरु गोलवलकर ने न तो अपने विचार बदले न ही रास्ते। संघ पर प्रतिबंध का समय भी आया और उनकी गरिफ्तारी भी हुई लेकिन वह हमेशां अविचलित रहे। संघ के कार्यकर्ताओं में शायद ही कोई ऐसा हो जिसके घर में गुरु गोलवलकर की तस्वीर न हो और उनके प्रति मन में आस्था न हो। उन्हें याद करते हुए भारतीय विद्या मंदिर अर्थात बीवीएम स्कूल ऊधम सिंह नगर ब्रांच ने बहुत ही श्रद्धा से मनाया। उनकी तस्वीर, दिव्यता का असंदेश देते भजन गायन और आस्था से भरे अंदाज़ में स्मृतियों की चर्चा बहुत ही बना रही थी। आजकल के कारोबारी और स्वार्थभरे युग में ऐसे आयोजन बहुत कम ही देखने को मिलते हैं।
भारतीय विद्या मंदिर ऊधम सिंह नगर में माधव राव सदाशिव गोलवलकर के जन्मोत्सव पर अर्पित किए गए श्रद्धा सुमन सदाशिव गोलवलकर के जन्मोत्सव पर बीवीएम स्कूल में हुआ विशेष आयोजन एक ऐसा ही आयोजन था जो बहुत ही यादगारी रहा।
देश को नई दिशा दिखाने वाले राष्ट्र ऋषि एवं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के द्वितीय संचालक परम पूजनीय श्री माधव राव सदाशिव गोलवलकर जी की जयंती पर आज भारतीय विद्या मंदिर ऊधम सिंह नगर में विशेष प्रातः कालीन सभा का आयोजन किया गया। प्रधानाचार्या ने उप प्रधानाचार्या तथा विद्यार्थियों सहित उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किए।विद्यालय की अध्यापिका सीमा गुप्ता ने गुरु जी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताया कि उन्होंने निष्काम भाव से लोगों की सेवा करते हुए समाज के हित में आगे बढ़कर कुप्रथाओं का विरोध किया। वे यह मानते थे कि यदि मानव के हृदय में परहित का भाव आ जाए तो घृणा का भाव स्वतः ही लुप्त हो जाएगा। छठी से आठवीं कक्षा के छात्रों के शब्द गायन 'गुरु माधव जी को शत शत नमन' ने सब को भावविभोर कर दिया। छात्रों को गुरु जी द्वारा दर्शाए गए आदर्श मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करने हेतु पी.पी.टी. दिखाई गई।
गौरतलब है कि गुरु गोलवलकर महाभारत का एक श्लोक सुनाते हुए अक्सर कहा करते थे कि राजनीति वैश्याओं का धर्म है इसलिए संघ के कार्यकर्ता इससे दूर रहें। आज जबकि राजनीति कुछ बन गई है उस समय गुरु गोलवलकर के कहे शब्द अत्यधिक प्रासंगिक बन गए हैं।
No comments:
Post a Comment