05-सितम्बर-2014 20:46 IST
शिक्षा राष्ट्र के चरित्र निर्माण की ताकत बननी चाहिए
माओवाद से लहूलुहान भूमि की लड़की का प्रश्न जागृत कर सकता है
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प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी 05 सितम्बर, 2014 को नई दिल्ली के मानेकशॉ ऑडिटोरियम में शिक्षक दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान बच्चों बात करते हुए।(पसूका-हिंदी इकाई) The Prime Minister, Shri Narendra Modi interacting with the children at the "Teachers' Day" function, at Manekshaw Auditorium, in New Delhi on September 05, 2014. |
• छात्रों से बातचीत में प्रधानमंत्री ने कहा, बचपन का आनंद लें, अपने बालपन को मरने ना दें
• हमें निश्चित तौर पर समाज में शिक्षकों का फिर से सम्मान करना होगा
• क्या भारत अच्छे शिक्षकों को विदेश भेजने के बारे में नहीं सोच सकता?
• बच्चे साफ-सफाई के माध्यम से और बिजली व पानी की बचत कर राष्ट्र निर्माण में सहयोग कर सकते हैं
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प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी 05 सितम्बर, 2014 को नई दिल्ली के मानेकशॉ ऑडिटोरियम में शिक्षक दिवस के अवसर पर आय़ोजित कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए। साथ में केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्री श्रीमती स्मृति इरानी भी हैं। (पसूका-हिंदी इकाई) The Prime Minister, Shri Narendra Modi addressing at the "Teachers' Day" function, at Manekshaw Auditorium, in New Delhi on September 05, 2014. The Union Minister for Human Resource Development, Smt. Smriti Irani is also seen. |
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने आज शिक्षा को राष्ट्र निर्माण की ताकत बनाने का आह्वान किया।
शिक्षक दिवस पर पूरे देश के छात्रों के साथ अनूठे संवाद में प्रधानमंत्री ने कहा कि बदली हुई दुनिया में डॉ. राधाकृष्णन के जन्मदिवस पर शिक्षक दिवस की प्रासंगिकता की फिर से व्याख्या करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि समाज में शिक्षक के महत्व को उभारने की बहुत जरूरत है और समाज में शिक्षकों के सम्मान को फिर से स्थापित करना होगा, तभी शिक्षक नई पीढ़ी को सांचे में ढाल सकेंगे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि विश्वभर में अच्छे शिक्षकों की बहुत मांग है। अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने पूछा कि क्या भारत अच्छे शिक्षकों को विश्व भर में भेजने का सपना नहीं देख सकता?
प्रधानमंत्री ने लड़कियों की शिक्षा की जरूरत को रेखांकित करते हुए अपने स्वतंत्रता दिवस के भाषण का जिक्र किया जिसमें उन्होंने एक साल के भीतर सभी स्कूलों में लड़कियों के लिए अलग से शौचालय बनाने की बात कही थी। उन्होंने कहा कि लड़कियों के बीच में पढ़ाई छोड़ देने यानि ड्रॉप-आउट को कम करने के लिए सभी स्कूलों में लड़कियों के लिए अलग शौचालय बनाना जरूरी है।
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प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी 05 सितम्बर, 2014 को नई दिल्ली के मानेकशॉ ऑडिटोरियम में शिक्षक दिवस के अवसर पर आय़ोजित कार्यक्रम में स्कूली छात्रा को स्मृति चिन्ह प्रदान करते हुए। साथ में केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्री श्रीमती स्मृति इरानी भी हैं। (पसूका-हिंदी इकाई) The Prime Minister, Shri Narendra Modi giving the memento to a girl child, at the "Teachers' Day" function, at Manekshaw Auditorium, in New Delhi on September 05, 2014. The Union Minister for Human Resource Development, Smt. Smriti Irani is also seen. |
प्रधानमंत्री ने छत्तीसगढ़, दंतेवाड़ा की एक छात्रा के उस प्रश्न पर खुशी जाहिर की जिसमें दंतेवाड़ा में लड़कियों के लिए उच्च शिक्षा संस्थानों की कमी और लड़कियों की शिक्षा की पहल से जुड़े प्रयासों को लेकर प्रश्न किया गया था। उन्होंने कहा कि बस्तर जैसे उस इलाके जहां की धरती माओवाद के कारण लहूलुहान हो चुकी है वहां की एक लड़की का यह प्रश्न देश को जागृत कर सकता है।
छात्रों से बातचीत और उनके ढेर सारे सवालों का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री ने अपने हाल की जापान यात्रा का हवाला दिया और बताया कि कैसे वे वहां की शिक्षा व्यवस्था से प्रभावित हुए। उन्होंने कहा कि जापान में शिक्षक और छात्र मिलकर स्कूल की सफाई करते हैं-यह उनके चरित्र निर्माण का हिस्सा है। प्रधानमंत्री ने पूछा कि क्या हम इसे अपने देश के चरित्र निर्माण का हिस्सा नहीं बना सकते। प्रधानमंत्री ने जापान की शिक्षा व्यवस्था में शामिल अनुशासन, प्रौद्योगिकी और वैज्ञानिक रूझान पर भी जोर दिया।
गुजरात में अपने द्वारा शुरू किए गए कार्यक्रम “वांचे गुजरात” (गुजरात पढ़ो) की तरह देश भर में इस तरह का कार्यक्रम शुरू किए जाने के सवाल पर प्रधानमंत्री ने डिजिटल इंडिया का हवाला दिया और कहा कि उन्हें आशा है कि सभी लोग जुड़ पाने और ज्ञान तक पहुंच पाने की अपनी जरूरत पूरी कर सकेंगे। एक अन्य प्रश्न के जवाब में प्रधानमंत्री ने कौशल विकास के महत्व पर जोर दिया।
प्रधानमंत्री ने देश के प्रतिष्ठित नागरिकों को सलाह दी कि वे अपने पास के स्कूल में सप्ताह में कम से कम एक पीरियड पढ़ाने की कोशिश कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि बच्चे अपने छोटे-छोटे कामों के जरिए जैसे कि सफाई रखकर और बिजली-पानी की बचत कर राष्ट्र निर्माण में योगदान कर सकते हैं।
वि.कासोटिया/अर्चना/एसएनटी/विजय-3552