Monday, October 6, 2014

मनुवादियों की मेरिट का इतिहास


October 1 at 8:24pm · 
आरक्षण के इतिहास की हकीकत 
आरक्षण को मेरिट के नाम पर चुनौती देने वाले ज़रा शिक्षा के इतिहास को पलट कर देख लें, पता चलेगा की भारत में उन्ही केलिए “थर्ड डिविज़न ” की शुरआत करनी पड़ी थी। श्री चन्द्रभान प्रसाद जी ने अपनी पुस्तक ‘ मेरिट, मंडल और आरक्षण’ में लिखते हैं की जब सन 1854 ब्रिटिश शासन ने भारत में मोर्डेन एडुकेशन की शुरआत की, तो फर्स्टऔर सेकेंड दो डिविज़न होती थी। न्यूनतम अंक 40% होते थे।  
जब 1857 में मद्रास में पहला डिग्री कालेज खुला तो उसमें पढ़ने के लिए पर्याप्त स्टूडेंट ही नहीं मिल रहे थे। जब कि पढाने के लिए ब्रिटेन से प्रोफेसर बुला लिए गये थे तब मद्रास के ब्राह्मणों ने ब्रिटश सरकार से गुहार लगाईं की इंटरमीडिएट पास करने के लिए “थर्ड डिविज़न ” शुरू कर दी जाए और पासिंग मार्क्स घटा कर 33% कर दिए जाएँ. ब्राह्मणों की बातमान ली गई और तब से ये सिस्टम चला आ रहा है। आरक्षण के विरुद्ध मेरिट के नाम पर बवाल मचाने वाले ब्राह्मणों के मेरिट का 75 साल पूर्व यह हॉल था। इसके उलट दलितों ने कभी ना तो फोर्थ डिविज़न जोड़ने की मांग की और ना ही पासिंग मार्क्स घटा कर33 से 27 प्रतिशत करने की अर्ज़ी दी।"
UnlikeUnlike ·  · 

Friday, September 5, 2014

शिक्षक दिवस पर प्रधानमंत्री ने छात्रों से बातचीत की

05-सितम्बर-2014 20:46 IST
शिक्षा राष्ट्र के चरित्र निर्माण की ताकत बननी चाहिए 
माओवाद से लहूलुहान भूमि की लड़की का प्रश्न जागृत कर सकता है 
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी 05 सितम्बर, 2014 को नई दिल्ली के मानेकशॉ ऑडिटोरियम में शिक्षक दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान बच्चों बात करते हुए।(पसूका-हिंदी इकाई)
The Prime Minister, Shri Narendra Modi interacting with the children at the "Teachers' Day" function, at Manekshaw Auditorium, in New Delhi on September 05, 2014.
• छात्रों से बातचीत में प्रधानमंत्री ने कहा, बचपन का आनंद लें, अपने बालपन को मरने ना दें 
• हमें निश्चित तौर पर समाज में शिक्षकों का फिर से सम्मान करना होगा 
• क्‍या भारत अच्छे शिक्षकों को विदेश भेजने के बारे में नहीं सोच सकता? 
• बच्चे साफ-सफाई के माध्‍यम से और बिजली व पानी की बचत कर राष्ट्र निर्माण में सहयोग कर सकते हैं 
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी 05 सितम्बर, 2014 को नई दिल्ली के मानेकशॉ
ऑडिटोरियम में शिक्षक दिवस के अवसर पर आय़ोजित कार्यक्रम को
सम्बोधित करते हुए। साथ में केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्री
श्रीमती स्मृति इरानी भी हैं। (पसूका-हिंदी इकाई)

The Prime Minister, Shri Narendra Modi addressing at
the "Teachers' Day" function, at Manekshaw Auditorium,
in New Delhi on September 05, 2014. The Union Minister for
Human Resource Development, Smt. Smriti Irani is also seen.
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने आज शिक्षा को राष्ट्र निर्माण की ताकत बनाने का आह्वान किया। 

शिक्षक दिवस पर पूरे देश के छात्रों के साथ अनूठे संवाद में प्रधानमंत्री ने कहा कि बदली हुई दुनिया में डॉ. राधाकृष्णन के जन्मदिवस पर शिक्षक दिवस की प्रासंगिकता की फिर से व्‍याख्‍या करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि समाज में शिक्षक के महत्व को उभारने की बहुत जरूरत है और समाज में शिक्षकों के सम्मान को फिर से स्‍थापित करना होगा, तभी शिक्षक नई पीढ़ी को सांचे में ढाल सकेंगे। 
प्रधानमंत्री ने कहा कि विश्वभर में अच्छे शिक्षकों की बहुत मांग है। अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए उन्‍होंने पूछा कि क्या भारत अच्छे शिक्षकों को विश्व भर में भेजने का सपना नहीं देख सकता? 
प्रधानमंत्री ने लड़कियों की शिक्षा की जरूरत को रेखांकित करते हुए अपने स्वतंत्रता दिवस के भाषण का जिक्र किया जिसमें उन्‍होंने एक साल के भीतर सभी स्‍कूलों में लड़कियों के लिए अलग से शौचालय बनाने की बात कही थी। उन्होंने कहा कि लड़कियों के बीच में पढ़ाई छोड़ देने यानि ड्रॉप-आउट को कम करने के लिए सभी स्‍कूलों में लड़कियों के लिए अलग शौचालय बनाना जरूरी है। 
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी 05 सितम्बर, 2014 को नई दिल्ली के मानेकशॉ
ऑडिटोरियम में शिक्षक दिवस के अवसर पर आय़ोजित कार्यक्रम में स्कूली छात्रा
को स्मृति चिन्ह प्रदान करते हुए। साथ में केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्री
श्रीमती स्मृति इरानी भी हैं।
(पसूका-हिंदी इकाई)

The Prime Minister, Shri Narendra Modi giving the memento
to a girl child, at the "Teachers' Day" function, at Manekshaw
Auditorium, in New Delhi on September 05, 2014.
The Union Minister for Human Resource
Development, Smt. Smriti Irani is also seen.
प्रधानमंत्री ने छत्तीसगढ़, दंतेवाड़ा की एक छात्रा के उस प्रश्न पर खुशी जाहिर की जिसमें दंतेवाड़ा में लड़कियों के लिए उच्‍च शिक्षा संस्‍थानों की कमी और लड़कियों की शिक्षा की पहल से जुड़े प्रयासों को लेकर प्रश्‍न किया गया था। उन्होंने कहा कि बस्‍तर जैसे उस इलाके जहां की धरती माओवाद के कारण लहूलुहान हो चुकी है वहां की एक लड़की का यह प्रश्न देश को जागृत कर सकता है। 
छात्रों से बातचीत और उनके ढेर सारे सवालों का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री ने अपने हाल की जापान यात्रा का हवाला दिया और बताया कि कैसे वे वहां की शिक्षा व्यवस्था से प्रभावित हुए। उन्होंने कहा कि जापान में शिक्षक और छात्र मिलकर स्कूल की सफाई करते हैं-यह उनके चरित्र निर्माण का हिस्सा है। प्रधानमंत्री ने पूछा कि क्या हम इसे अपने देश के चरित्र निर्माण का हिस्सा नहीं बना सकते। प्रधानमंत्री ने जापान की शिक्षा व्यवस्था में शामिल अनुशासन, प्रौद्योगिकी और वैज्ञानिक रूझान पर भी जोर दिया। 
गुजरात में अपने द्वारा शुरू किए गए कार्यक्रम “वांचे गुजरात” (गुजरात पढ़ो) की तरह देश भर में इस तरह का कार्यक्रम शुरू किए जाने के सवाल पर प्रधानमंत्री ने डिजिटल इंडिया का हवाला दिया और कहा कि उन्हें आशा है कि सभी लोग जुड़ पाने और ज्ञान तक पहुंच पाने की अपनी जरूरत पूरी कर सकेंगे। एक अन्य प्रश्न के जवाब में प्रधानमंत्री ने कौशल विकास के महत्व पर जोर दिया। 

प्रधानमंत्री ने देश के प्रतिष्ठित नागरिकों को सलाह दी कि वे अपने पास के स्कूल में सप्ताह में कम से कम एक पीरियड पढ़ाने की कोशिश कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि बच्चे अपने छोटे-छोटे कामों के जरिए जैसे कि सफाई रखकर और बिजली-पानी की बचत कर राष्ट्र निर्माण में योगदान कर सकते हैं। 

वि.कासोटिया/अर्चना/एसएनटी/विजय-3552

शिक्षक दिवस पर प्रधानमंत्री का सभी शिक्षकों को ई-मेल के जरिये संदेश

04-सितम्बर-2014 20:17 IST
“विश्व गुरु” का दर्जा दोबारा हासिल करने के लिए निश्चित तौर पर फिर से शिक्षकों का उत्‍कृष्‍ट सम्मान आवश्यक 
प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने दी हैं ‘शिक्षक दिवस’ पर देश के शिक्षकों को हार्दिक शुभकामनाएं 
सभी शिक्षकों को ई-मेल के जरिये भेजे संदेश में प्रधानमंत्री ने कहा है, ‘’शिक्षण महज एक पेशा नहीं है, बल्कि यह मार्ग दर्शन और ज्ञान प्रदान करने का अनुपम दैविक दायित्व भी है।‘’ उन्‍होंने कहा, ‘शिक्षक समुदाय का सम्‍मान कर भारत ने एक समय विश्व गुरु होने का दर्जा हासिल किया था। यही दर्जा दोबारा पाने के लिए हमें एक बार फिर शिक्षकों को वैसा ही उत्‍कृष्‍ट सम्मान देना होगा ताकि भारत समस्त विश्व में ज्ञान का प्रकाशस्तम्भ बन सके।‘
प्रधानमंत्री ने कहा कि परिवर्तन के चक्र ने भारत को ‘सुराज’ की ओर अग्रसर कर दिया है। उन्‍होंने कहा, ‘आपकी प्रतिबद्धता और ईमानदारी से ही देश का भविष्‍य बेहतर आकार ले पाएगा! मैं बड़ी बेसब्री से यह चाहता हूं कि वह दिन आए, जब प्रत्‍येक छात्र अपने शिक्षकों पर और प्रत्‍येक शिक्षक अपने छात्रों पर गर्व महसूस करें।’ 

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘’अपने विद्यार्थियों के साथ साझा किये गये आपके अनुभव विद्यार्थियों के साथ आजीवन रहेंगे। आप समाज की आधारशिला रखने के साथ-साथ उसका निर्माण भी कर रहे हैं। यह बहुत महत्‍वपूर्ण जिम्‍मेदारी है, क्‍योंकि इसी पर यह निर्भर करता है कि हमारी वर्तमान और हमारी आने वाली पीढ़ी कैसे आगे बढ़ेगी।‘’ 

प्रधानमंत्री ने कहा कि वर्तमान समय में अक्‍सर ज्ञान की तुलना सूचना एकत्र करने और व्‍यवसाय तथा नौकरी के लिए कौशल दक्षता हासिल करने से की जाती है। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘’बेशक, वह महत्‍वपूर्ण है लेकिन यह भी जरूरी है कि आप अपने विद्यार्थियों की सोच को व्‍यापक बनाएं। उन्‍हें उत्‍साहित करें कि वे अपने देश, समाज तथा पर्यावरण संबंधी विषयों के बारे में व्‍यापक दृष्टि से सोचें। निश्चित तौर पर हमारा लक्ष्‍य अच्‍छे नागरिक बनाना होना चाहिए, जो अतीत को संजोकर रखने तथा बेहतर भविष्‍य का निर्माण करने में सक्षम हों।‘’ 

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘’बाल्यावस्था से ही अच्‍छी नागरिकता की शिक्षा देने से निश्चित तौर पर बेहतर समाज के निर्माण में मदद मिलेगी। यह यातायात नियम, साफ-सफाई, महिलाओं के प्रति संवेदना, गरीबों के प्रति चिंता और बड़ों के लिए आदर सिखाने जैसी बेहद सरल बातें हैं। मुझे आशा है कि इस शिक्षक दिवस पर इस दिशा में शुरुआत के लिए मैं आप पर भरोसा कर सकता हूं। आइये, हम सब अपने आपको इस अहम जिम्मेदारी एवं कर्तव्‍य के प्रति फिर से समर्पित करें।‘’ 

वसुधा गुप्‍ता/विजयलक्ष्‍मी कासोटिया/अर्चना/रंजन/गांधी/निर्मल- हिन्‍दी इकाई-3525

Tuesday, September 2, 2014

उपराष्ट्रपति श्री हामिद अंसारी ने की 89वें आधार पाठ्यक्रम की शुरूआत

02-सितम्बर-2014 17:53 IST
शुरूआत मसूरी में लाल बहादुर शास्त्री भारतीय प्रशासनिक अकादमी में   
उपराष्‍ट्रपति श्री मोहम्‍मद हामिद अंसारी को 02 सितंबर, 2014 को उत्‍तराखंड के मसूरी स्थित लालबहादुर शास्‍त्री नेशनल एकेडमी ऑफ एडमिनिस्‍ट्रेशन के 89वें फाउंडेशन कोर्स के मौके पर स्‍मृति चिन्‍ह भेंट किया गया। (फोटो आईडी:56309, पसूका-हिंदी इकाई)
The Vice President, Shri Mohd. Hamid Ansari being presented a memento at the 89th Foundation Course at the Lal Bahadur Shastri National Academy of Administration, in Mussoori, Uttarakhand on September 02, 2014. The Governor of Uttarakhand, Dr. Aziz Qureshi is also seen.
उपराष्ट्रपति श्री हामिद अंसारी ने आज मसूरी में लाल बहादुर शास्त्री भारतीय प्रशासनिक अकादमी के 89वे आधार पाठ्यक्रम की शुरूआत की । इस अवसर पर उन्होंने जून 1961 के उस पहले दिन को याद किया जब वो पहली बार उत्सुकता, उम्मीद और नए विचारों के साथ यहां आए थे। उन्होंनें अकादमी में बिताए समय के साथ साथ अपने उन साथियों को भी याद किया जो अब उनके साथ नहीं हैं। सिविल सेवा में करियर शुरू कर रहे युवाओं से मिलकर उपराष्ट्रपति खासे उत्साहित थे। उन्होंने कहा "वो बदलाव के इस रोमांचक दौर में ये कर रहे हैं, जब दुनिया बदल रही है, भारत बदल रहा है और काम और चुनौतियां भी बदल रही हैं। उनके पास भविष्य को आकार देने का मौका है।"
उपराष्‍ट्रपति श्री मोहम्‍मद हामिद अंसारी 02 सितंबर, 2014 को उत्‍तराखंड के मसूरी स्थित लालबहादुर शास्‍त्री नेशनल एकेडमी ऑफ एडमिनिस्‍ट्रेशन के 89वें फाउंडेशन कोर्स के मौके पर उद्घाटन भाषण देते हुए। (पसूका-हिंदी इकाई)
The Vice President, Shri Mohd. Hamid Ansari delivering inaugural address at the 89th Foundation Course at the Lal Bahadur Shastri National Academy of Administration, in Mussoori, Uttarakhand on September 02, 2014.
उन्होंने पाठ्यक्रम में शामिल होने जा रहे प्रशिक्षुओं का उत्साहवर्धन किया। उपराष्ट्रपति ने कहा "आपका सफर अभी शुरू ही हुआ है और एक लंबा सफर तय करना है। केवल निष्पक्ष सेवा के प्रति आपकी कड़ी मेहनत, ईमानदारी और उत्कृष्टता की अंतहीन तलाश से ही आपको कामयाबी हासिल हो सकती है।"
उपराष्ट्रपति ने राष्ट्र निर्माण सामाजिक बदलाव में भागीदर बनने के लिए सिविल सेवा को सबसे बेहतर करियर विकल्प बताया। उन्होंने प्रशिक्षुओं को उनके अधिकारों के साथ-साथ उनकी जिम्मेदारियों का भी अहसास कराया ।
उन्होंने सरकार को जनहित का प्रबंधक बताते हुए कहा कि यह जनता की जरूरतों को ध्यान में रखकर अपनी प्रथमिकताओं का निर्धारण करती है और उनके आधार पर अपनी नीतियां और योजनाएं बनाती है, जिससे कि लोगों के जीवन स्तर में लगातार सुधार होता रहे। सरकार और सिविल सेवा प्रथमिक्ताओं और कार्यक्रमों को लोगों की जरूरतों और अपेक्षाओं के अनुरूप बदलाव करती है। उन्होंने सिविल सेवा को लोगों को सार्वजनिक वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति का प्रधान वाहक करार दिया ।
उन्होंने कहा कि "जनसेवकों से ये उम्मीद की जाती है कि वो निर्वाचित सरकार के निर्देशों का निष्ठापूर्वक पालन करें। साथ ही, उन्हें ये भी सुनिश्चित करना होता है कि राजनीतिक कार्यप्रणाली से हमारे लोकतंत्र के मूल कानून का उल्लंघन नहीं हो।"

उपराष्ट्रपति श्री अंसारी ने कहा कि आजादी के बाद के दशकों में जो विकास हुआ उसका लाभ आम लोगों तक समान रुप से नहीं पहुंचा। उन्होंने कहा कि भुखमरी, कुपोषण, गरीबी और बेरोजगारी आज भी हकीकत हैं। उन्होंने इसके लिए स्वास्थ्य, शिक्षा, जल आपूर्ति, स्वच्छता, परिवहन और संचार के साधनों की कमी को जिम्मेदार बताया। उपराष्ट्रपति ने कहा कि लिंगभेद और उससे जुड़ी कुरीतियां आज भी हमारे समाज में प्रचलित हैं।

उन्होंने कहा कि आज भी भारत में गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों की तादाद बहुत ज्यादा है। ऐसा नहीं है कि गरीबी मिटाने के लिए जनसेवकों और सरकारों ने कुछ नहीं किया है। योजनाओं के अपेक्षित परिणाम प्राप्त नहीं होने के लिए उन्होंने भ्रष्टाचार को जिम्मेदार बताया। उन्होंने कहा कि जनता आज प्रभावी, पारदर्शी, ईमानदार और जिम्मेदार प्रशासन के लिए आतुर है।

उन्होंने कहा कि हाल के दिनों में सरकारों और उसके अधिकारियों की आलोचना काफी बढ़ गई है। सार्वजनिक जीवन जीने वालों को इसका सामना ईमानदारी और दृढ़ता के साथ करना चाहिए। उन्होंने कहा कि योजना की कामयाबी इसी में है कि उसे किस तरह से लागू किया जाता है। कार्यक्रम में मौजूद प्रशिक्षुओं को उपराष्ट्रपति ने योजनाओं को बेहतर तरीके से लागू करने के गुर सीखने पर ध्यान देने की नसीहत दी।

उपराष्ट्रपति ने कहा "जनसेवक के रुप में आप महान कार्य को करने के लिए मूलभूत उपकरण हैं।" उपराष्ट्रपति ने प्रशिक्षुओं को किसी एक खास समूह के हितों की पूर्ति का साधन बनने से बचने की सलाह देते हुए कहा कि अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करते हुए कभी किसी दबाव में नहीं आएं।

उपराष्ट्रपति ने गांधीजी की नसीहत को दोहराते हुए कहा कि "अपनी तलाश का सबसे अच्छा तरीका खुद को दूसरों की सेवा में समर्पित करना है।"

उपराष्ट्रपति ने कहा दुनिया में भारत की भूमिका लगातार अहम हो रही है। विश्व स्तर पर हमारा राजनीतिक और आर्थिक प्रभाव बढ़ रहा है। इसके साथ ही हमारे जोखिम और चुनौतियों में भी इजाफा हो रहा है। उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा में बने रहने के लिए अपने ज्ञान और कुशलताओं को लगातार समृद्ध करने की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने प्रशिक्षुओं को नसीहत दी कि वो अपने कामकाज में नई तकनीक के प्रयोग के साथ-साथ आम भारतीयों के हितों के प्रति संवेदनशीलता को भी बरकरार रखें।

इस अवसर पर उत्तराखंड के माननीय राज्यपाल श्री अजीज कुरैशी, माननीय राज्यमंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह, कोर्स कोऑर्डीनेटर श्री सौरभ जैन और 89वें फाउंडेशन कोर्स के प्रशिक्षु अधिकारी उपस्थित थे।


विजयलक्ष्मी कासोटिया/एएम/एनए-3468

Saturday, March 29, 2014

MTSM महिला कालेज में होस्टल नाईट

नारी को हर मामले में विज्ञापन बनाने पर भी हुई चर्चा 
लुधियाना: 28 मार्च 2014: (रेकटर कथूरिया//शिक्षा स्क्रीन):
ज़िंदगी में खुशियां भी आती हैं और गम भी। मिलन भी होता है और बिछड़ना भी। कभी अचानक कोई अच्छा मौका मिला जाता है और कभी हाथ में आया अच्छा मौका छूट भी जाता है। इन सब रंगों को मिला कर ही बनती है ज़िंदगी---कभी ख़ुशी कभी गम। ज़िंदगी के इन अलग अलग रंगों का सहजता से सामना करते हुए हर पल संतुलन में बताने के लिए होस्टल की ज़िंदगी कई अनुभव देती है। शिक्षा, अनुशासन, और परिवार से दूर पूरी छूट और अपने कमरों में अपनी खुद की ज़िम्मेदारी। इन सब अनुभवों पर आधारित था मास्टर तारा सिंह मेमोरियल महिला कालेज में हुआ होस्टल नाईट का आयोजन। इसमें नयी मंज़िलों का  जोश भी था, अपनी पुराणी सहेलियों से बिछुड़ने का दर्द भी और ज़िंदगी के हर कदम पर आने वाले इम्तिहान की चुनौती को स्वीकार करने की हिम्मत भी। उह एक ऐसा माहौल था जहाँ सभी लड़कियां अपने घरों से दूर यहाँ होस्टल में थीं।  इस दूरी के बावजूद इन सभी के चेहरों पर एक ऐसी ख़ुशी जो नसीब वालों को मिलती है। इन लड़कियों को यहाँ सभी अपने जैसे ही मिले। उनके कैरिअर और शिक्षा को पूरे ध्यान से उनके जीवन में उतरने वाली प्रोफेसर्स। कोई मैडम उनकी बड़ी बहन जैसी थी तो कोई मां जैसी।
इस यादगारी संगीतमय शाम में डांस का जोश संगीत का जादू और सुंदरता का जलवा सब कुछ था। एक घंटे का कार्यक्रम दो घंटे से भी अधिक चला पर वक़त का किसी को कुछ पता ही नहीं चला। यादविंदर कौर को इस प्रोग्राम में मिस होस्टलर का खिताब मिला जबकि जसप्रीत कौर फस्ट रनरअप और स्वाति सेकंड रनरअप रहीं।
कालेज में हिंदी की लेक्चरर इंद्रमोहन कौर ने एक सवाल पूछ कर सारे माहौल को ही एक गंभीर दिशा में मोड़ दिया। उन्होंने  छात्राओं से पूछा कि क्या हर मामले में नारी को विज्ञापन बना कर दिखाना क्या उचित है? इस सवाल के जवाब में इस सोच और सिलसिले को बुरी तरह से रद किया गया। मैडम इंद्रमोहन कौर ने कार्यक्रम के बाद बताया कि उन्होंने यह सवाल लड़कियों के दिलो-दिमाग में एक चेतना लाने के लिए पूछा तांकि महिला वर्ग के अंदर इस बुराई के खिलाफ एक मनोवैज्ञानिक इनकार पैदा हो सके। इस चेतना के बाद ही नारी ऐसे विज्ञापनों का अंग बनने से ज़ोरदार इनकार कर सकेगी।
प्रिंसिपल मैडम डाकटर चावला ने मुख्य अतिथि का फ़र्ज़ भी निभाया और लड़कियों को जीवन में साकारत्मक सोच बनाने पर ज़ोर दिया क्यूंकि इस सोच के बल पर आगे बढ़ा जा सकता है। कुल मिलाकर यह एक यादगारी आयोजन रहा।    

Sunday, March 23, 2014

History of 23 March -Bhagat Singh - By Bhai Rakesh Ji (Must Watch)


Courtesy: Swami Ramdev//YouTube
23-03-2013 पर प्रकाशित
देखिये शहीद भगत सिंह , राजगुरु, सुखदेव जी को शहीदी दिवस पर श्रधांजलि,

जानिये कैसे अंग्रेज डर गए थे भगत सिंह की लाश से...।

भगत सिंह का फंसी से पहले अधुरा काम क्या था जो उन्होंने कहा था की यह आब देशवासियों को पूरा करना है. ...

क्यों दी एक दिन पहले फांसी ............
कहाँ से मिले भगत सिंह को देश पर मरने मिटने के संस्कार ........
भगत सिंह के चाचा जी, पिता जी दादा जी क्या करते थे,
देशवासियों के नाम भगत सिंह का अंतिम सन्देश क्या था ..............
अन्गेरेजो के जाने पर खुश क्यों नहीं थे भगत सिंह ...
यह सब कुछ और बहुत कुछ शहीदों का इतिहास जानने के लिए देखिये पूज्य स्वामी जी महाराज का पूरा वीडियो .....
आज अगर देश को बचाना है ...तो भगत सिंह को सुनना पड़ेगा,......भगत सिंह को पढना पड़ेगा ....
भगत सिंह को जानना पड़ेगा .......
भगत सिंह के विचारों का प्रचार करे .......देश को बचाए .........
इ मेल ...फेसबुक ...से सबको सुनाये .......
http://www.bharatswabhimansamachar.in/
http://bharatswabhimantrust.org/
https://www.facebook.com/swami.ramdev
https://www.facebook.com/bharatswabhi...
https://www.facebook.com/BharatSwabhi..

Wednesday, March 12, 2014

देवकी देवी जैन जी का जन्मदिन सेमिनार करके मनाया

Wed, Mar 12, 2014 at 3:25 PM
डा. ओझा ने दी  इतिहास पर रौचक जानकारी 
लुधियाना:12 मार्च 2014: (शिक्षा स्क्रीन ब्यूरो): 
शोर शराबे से भरे हल्के आयोजनों से हट कर डीडी जैन महिला कालेज ने एक और विशेष आयोजन कराया। यह एक राष्ट्रीय सेमिनार था जो पंजाब के प्रारंभिक मध्यकाल के दौरान राजनीतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक संक्रमणकालीन चरण प् विशेष चर्चा करने के लिए आयोजित कराया गया। इस एक दिवसीय संगोष्ठी प्रायोजित किया था पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ के ICSSR विभाग ने। गौरतलब है कि आज के इस शुभ दिन इस कालेज  की मुख्य प्रेरणा स्रोत देवकी देवी जैन जी का जन्मदिन भी था। इस शुभ अवसर पर कालेज ने एक गंभीर और खो चुके विषय पर संगोष्ठी करा कर जहाँ कालेज की छात्रायों को एक ज्ञान भरी सौगात दी वहीँ इतिहास में रूची रखने वाले अन्य लोगों के लिए भी एक नया सिलसिला शुरू किया। कार्यक्रम के दो तकनीकी स्तर थे जिनमें दस शोध पत्र प्रस्तुत किये गए। 
सेमिनार  शुरूआत औपचारिक ज्योति प्रज्वलित करके हुई। इस मौके पर हमेशां की तरह णमोकार मंत्र का उच्चारण भी किया गया। वक्ताओं और मेहमानों का स्वागत बहुत ही सम्मान और गर्मजोशी से किया गया। पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ से आये डा. एन के ओझा पहले सेशन के मुख्य वक्ता थे जबकि उनके साथ ही चंडीगढ़ से आये डा. अश्विनी अग्रवाल दुसरे तकनीकी स्तर के मुख्य वक्ता था। इस यादगारी मौके पर जानेमाने समाज रत्न और कालेज के की प्रबंधन समिति के चेअरमैन श्री हीरा लाल जैन, कालेज के प्रधान केदारनाथ जैन, सचिव बिपन जैन, मैनेजर सुरिंदर कुमार जैन, राज कुमार जैन, श्री शांति सरूप जैन, और वरिष्ठ उपाध्यक्ष शीतल कुमार जैन, उप प्रधान और अन्य वशिष्ठ लोग भी मौजोड़ रहे।  
अपने मुख्य भाषण में में डा. एन के ओझा ने पंजाब के राजनीतिक पर इतिहास पर बहुत ही दिलचस्प तरीके से बॉट ही अमूल्य जानकारी दी। उन्होंने छठी और 12वीं सदी के कार्यकाल का एक नक्शा सा ही खींच दिया। उन्होंने उस समय की राजनीति के साथ पंजाब की आर्थिक हालत, धर्म-कर्म और संस्कृति की भी जानकारी दी। 
आये हुए डेलीगेटों ने अपने अपने शोधपत्रों में छूयाछात, महिलायों की हालत और बहुत से अन्य मुद्दों पर भी जानकारी दी। समापन सेशन के मुख्य मेहमान थे डाकटर आर के शर्मा।  उन्होंने ने भी इस विष पर बहुत ही जानकारी दी।  कालेज की प्रिंसिपल सरिता बहल ने आये हुए मेहमानों का धन्यवाद किया।समापन रिपोर्ट के साथ ही प्रमाणपत्र भी दिए गए और राष्ट्र गान के साथ ही कार्यक्रम सम्पन्न हुआ।