Friday, May 1, 2020

कोरोना काल में उच्च शिक्षा: चुनौतियां एवं संभावनाएं

Friday: 1st May 2020 at 05:04 PM Whats app
हिन्दी विभाग एवं शोध-केन्द्र द्वारा वेबिनार का आयोजन
लुधियाना: 1 मई 2020: (कार्तिका सिंह//एजुकेशन स्क्रीन)::
कोरोना एस. सी. डी. सरकारी कॉलेज के स्नातकोत्तर हिन्दी विभाग एवं शोध-केन्द्र द्वारा वेबिनार का आयोजन किया गया। इस वेबिनार का विषय *"कोरोना काल में उच्च शिक्षा: चुनौतियां एवं संभावनाएं"* रही। उक्त विषय पर बीज व्याख्यान महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. धर्म सिंह संधू द्वारा दिया गया तथा विषय-विशेषज्ञ व मुख्य वक्ता के रूप में प्रोफेसर (डॉ.) अश्वनी भल्ला में शिरकत की। प्राचार्य डॉ. संधू के निर्देशन में हिन्दी विभाग के प्राध्यापक डॉ. सौरभ कुमार द्वारा ज़ूम मीट एप्लिकेशन के माध्यम से ऑनलाइन वेबिनार का आयोजन किया गया जिसमें महाविद्यालय के सभी प्राध्यापक सक्रियता दिखाई। डॉ. संधू ने विभाग को बधाई देते हुए कहा कि शोध-केंद्र द्वारा महाविद्यालय में पहली बार *'वेबिनार'* का आयोजन किया गया है, जो उच्च शिक्षा का भविष्य है।
कोरोना संकट के समय उच्च शिक्षा के क्षेत्र में उत्पन्न हालात की भूमिका रखते हुए प्राचार्य डॉ. संधू ने अपनी बात रखी। उन्होंने बताया कि संकट की इस घड़ी में शिक्षक-विद्यार्थियों के मध्य संवाद की कड़ी टूटती नज़र आ रही है क्योंकि आज भी सभी प्रकार के विद्यार्थी सूचना-प्रौद्योगिकी से जुड़ नहीं पा रहे हैं। शहरी विद्यार्थियों में इस प्रकार की समस्या कम देखने को मिल सकती है परंतु सुदूर ग्रामीण क्षेत्र के विद्यार्थियों के लिए यह एक गंभीर चुनौती है। आज हमें "डिजिटल लर्निंग प्रोसेस" को स्वीकार करना ही पड़ेगा और इसके लिए जहां शिक्षकों को पहले से अधिक जागरूक रहना पड़ेगा वहीं अधिक संवेदनशीलता से अपने विद्यार्थियों के साथ पुनः संवाद स्थापित करनी होगी। आजकल ई-लर्निंग के जितने भी स्रोत हैं, उनसे जुड़ते हुए अपने शिक्षण के तरीकों में भी बदलाव लाने होंगे। 
प्रोफेसर अश्वनी भल्ला ने उक्त विषय पर विस्तारपूर्वक विमर्श करते हुए कहा कि आज हमारे सामने सबसे बड़ी चिंता विद्यार्थियों के भविष्य की है, आज सर्वत्र यह चर्चा हो रही है कि पाठ्यक्रम कैसे पूरा किया जाए, परीक्षा किस प्रकार से हो आदि आदि।  परंतु हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि सबसे पहले शिक्षक-विद्यार्थी की शारीरिक-मानसिक सुरक्षा बनाए रखना बहुत बड़ी चुनौती है। इसी लिए आज विश्व के अनेक विश्वविद्यालयों द्वारा वर्चुअल क्लास की व्यवस्था तैयार की जा रही है ताकि  व्हाइवा, प्रेक्टिकल, असाइनमेंट आदि सभी प्रकार की शैक्षिक गतिविधियों को ऑनलाइन पूरा किया जा सके। इसी प्रकार मूल्यांकन व्यवस्था भी संभव दिखाई दे रही है जहां शिक्षक ऑनलाइन गतिविधियों द्वारा विद्यार्थियों के कार्यों का मूल्यांकन करते हुए उन्हें अंक दे सकते हैं।   इसके लिए हमें तकनीकी तौर पर जागरूक भी होगा होगा। मानव संसाधन विकास मंत्रालय और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा इस संबंध में कई प्रकार के प्रयास किये जा रहे हैं जिनमें ऑनलाइन शिक्षण व्यवस्था का में हम पहले से अधिक समर्थ हो पाए हैं। आयोग द्वारा कई प्रकार के ऑनलाइन वेबसाइटों की सूची भी दी गयी है जिसे बड़े पैमाने पर आज उपयोग में लाया जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि निजी तौर पर यू-ट्यूब चैनल के माध्यम से भी हम अपने विद्यार्थियों से संवाद कर सकते हैं। यद्यपि बहुत सारे ज्ञान के स्रोत यू-ट्यूब पर उपलब्ध हैं परंतु विद्यार्थी आज भी अपने शिक्षक का लेक्चर सुनना ही अधिक पसंद करते हैं। इसके साथ साथ महाविद्यालय के कई प्राध्यापकों ने भी अपने सुझाव व्यक्त किये।
डॉ. तनवीर सचदेव(विभागाध्यक्ष अंग्रेजी विभाग) ने सुझाव दिया कि हमें आज अधिक व्यवस्थित तरीके से आगे बढ़ने की आवश्यकता है ताकि सभी प्रकार के विद्यार्थियों को हम साथ लेकर आगे बढ़ सकें। प्रो. दीपक चोपड़ा का कहना था प्रेक्टिकल क्लास जो लैब में होना था, विद्यार्थी उससे वंचित हो रहे हैं, जो विज्ञान के विद्यार्थियों के लिए अति आवश्यक है।
इस वेबिनार में एक बात निकल कर सामने आई कि ऑनलाइन शिक्षण में विद्यार्थियों की भागीदारी कम है। डॉ. डी. एस. सिद्धू ने बताया कि आज सरकारी में बहुसंख्यक ऐसे विद्यार्थी हैं जो छात्रवृत्ति से पढ़ाई कर रहे हैं, उनके अभिभावक दिहाड़ीदार मजदूर हैं जिनकी रोजी-रोटी प्रतिदिन काम करने के बाद ही चलती है। ऐसे परिवार के विद्यार्थी को दो वक्त का खाना मुश्किल से मिला पा रहा है, वे किस प्रकार ऑनलाइन पढ़ पाएंगे? अतः हम शिक्षकों को विद्यार्थियों की परेशानी को भी समझना होगा। प्रो. रीतिन्दर जोशी द्वारा आगामी परीक्षा के सम्बन्ध में दिया गया  सुझाव का स्वागत अधिकांश प्राध्यापकों द्वारा किया गया, उन्होंने कहा कि सभी महाविद्यालय द्वारा मिड-सेमेस्टर टेस्ट का आयोजन किया गया था, उस परीक्षा के अंक का प्रतिशत ही आगामी परीक्षा का मान लिया जाना चाहिए जिससे शिक्षक-विद्यार्थी की सुरक्षा भी बनी रहेगी और विद्यार्थियों का भविष्य भी संकट में नहीं रहेगा। इसी प्रकार महाविद्यालय के 60 से अधिक प्राध्यापकों ने भी अपनी सक्रिय भागीदारी करते हुए सुझाव दिए। महाविद्यालय के ऐसे प्राध्यापक जो 'कोरोना योद्धा' की भूमिका में अपनी ड्यूटी दे रहे हैं, उन्हें सभी प्राध्यापकों द्वारा तालियां बजाकर उन्हें सलामी दी गयी व उनकी सफलता-सुरक्षा की कामना की। प्राचार्य डॉ. संधू, प्रो. भल्ला तथा अन्य प्राध्यापकों ने  इस वेबिनार के लिए हिन्दी विभाग को बधाई दी। कुल तीन सत्रों में यह वेबिनार का आयोजन किया गया।

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