मां ने ही हर राह दिखाया--पग पग मेरा साथ निभाया
दूर तक कोई नज़र न आया,
तब तूने मेरा हाथ थामकर
इस अकेलेपन को मिटाया।
जब जब मैं इन राहों में,
भटक गया था मंज़िल में,
तब तूने उजाला बन कर
मुझे खोये रस्ते पर लौटाया।
जब कोई न मेरी खुशियों में
शामिल होने आया था,
मां तुम ही तो थी वो
जिसने हर पल मेरा होंसला बढ़ाया।
सब समझते थे मुझको
जुगनू हूं मैं आवारा सा,
तुम्ही से तो मैंने मां
सितारे का दर्ज़ा पाया।
झाँक लिया हर कोने में
हर लम्हे को देख लिया,
समझ गया कुछ भी नहीं
बिन तेरे ये दुनिया।
मेरे जीवन के हर लम्हे में,
तेरी मज़ूदगी बनी रहे,
जब भी मैं खुद को अकेला पाऊं
माँ तू हाथ थामने खड़ी रहे।
-पार्थ गुप्ता
पुत्र श्रीमती मोनिका गुप्ता
शिक्षिका - इंग्लिश विभाग
जैन गर्ल्स सीनियर सेकेंडरी स्कूल, लुधियाना।
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